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Last Updated:January 22, 2025, 19:09 IST

Explainer- आपने कई बार कुछ बच्चों को यह कहते हुए सुना होगा कि उनके पैरेंट्स उनसे ज्यादा उनके भाई-बहन को प्यार करते हैं. यह माता-पिता का पक्षपात दिखता है जो अक्सर घरों में देखने को मिलता है. ऐसा बर्ताव करना ना प…और पढ़ें

दुनिया में 65% परिवारों में बच्चों के बीच तुलना की जाती है (Image-Canva)

जिन कपल्स के एक से ज्यादा बच्चे होते हैं, उनके घरों में अक्सर बच्चों के बीच पक्षपात देखने को मिलता है. पैरेंट्स का एक बच्चा फेवरेट होता है और दूसरा किसी लायक नहीं होता. दरअसल पैरेंट्स ही जाने-अनजाने में बच्चे को यह बात महसूस करा देते हैं कि वह उनका पसंदीदा बच्चा नहीं है. उनका यह बर्ताव उम्रभर के लिए बच्चे की मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर देता है और ऐसे बच्चों का रिलेशनशिप ना पैरेंट्स के साथ और ना ही अपने भाई-बहनों के साथ मधुर रहता.

पैरेंट्स जानबूझकर नहीं करते तुलना
पैरेंटिंग एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि जब पैरेंट्स अपने दो बच्चों के बीच तुलना करते हैं तो उनकी मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ दोनों प्रभावित होती है. बच्चे का खुद को देखने का और दुनिया को देखने का नजरिया प्रभावित होता है. पैरेंट्स जानबूझकर अपने बच्चों में तुलना नहीं करते लेकिन उनका बर्ताव जाने अनजाने में ऐसा करा देता है.

ऐसे बच्चे बनते हैं पैरेंट्स के फेवरेट
पैरेंट्स के लिए कोई बच्चा फेवरेट कई वजहों से बनता है. अक्सर ऐसा बच्चों के पैदा होने के क्रम की वजह से होता है. परिवार में सबसे बड़े बच्चे को बाकी के मुकाबले ज्यादा प्यार और अटेंशन मिलती है. इसका दूसरा कारण बच्चों की पर्सनैलिटी होती है. जो बच्चा दिखने में सुंदर होता है या अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी होती है पैरेंट्स उसे ज्यादा पसंद करते हैं.

चीन में हुई रिसर्च में सामने आया कि पैरेंट्स के फेवरेट बच्चे मोबाइल की लत के ज्यादा शिकार होते हैं (Image-Canva)

आज्ञाकारी बच्चे होते अच्छे
पैरेंट्स की नजरों में वह बच्चे अच्छे होते हैं जो उनकी सब बातें मानते हैं यानी आज्ञाकारी होती हैं. ऐसे बच्चे अपने पैरेंट्स के बताए रास्ते पर चलते हैं. उनकी उम्मीद के हिसाब से नंबर लाते हैं. पैरेंट्स के हिसाब से करियर बनाते हैं. वहीं कुछ बच्चों की अपने पैरेंट्स के साथ रुचि मिलती है. जब इंस्ट्रेस्ट एक जैसा होता है तो उन लोगों की आपस में अच्छी बनती है. होशियार और समझदार बच्चा पैरेंट्स का फेवरेट अपने आप बन जाता है.

बच्चे में होती आत्मविश्वास की कमी
डॉ. गीतांजलि शर्मा के अनुसार पैरेंट्स अनजाने में अपने नापसंद बच्चे को नेगेटिव पर्सनैलिटी बना देते हैं. ऐसा बच्चा दूसरों की अच्छाइयों के साथ चल नहीं पाता. वह दूसरों के सामने खुद को कमतर मानता है. इससे उनमें आत्मविश्वास कम होने लगता है. उन्हें लगता है कि वह अच्छा नहीं है और हीन भावना घेर लेती है. वह मानने लगते हैं कि उनके पैरेंट्स उन्हें पसंद नहीं करते.  एक बच्चे को हमेशा अपने मां-बाप के साथ सुरक्षित महसूस होता है, लेकिन ऐसा बच्चा खुद को इनसिक्योर महसूस करता है. ऐसे में बच्चे दुनिया को पैरेंट्स की नजरों से देखने हैं क्योंकि वह खुद की औलाद को जज करते हैं. पैरेंट्स ही उन्हें बुरे इंसान बना देते हैं. जब पैरेंट्स उन्हें अपना नहीं बना पाते तो वह भी खुद को स्वीकार नहीं कर पाते हैं. 

भाई-बहनों से होने लगती है जलन
पैरेंट्स जिन बच्चों को नालायक मानते हैं, वह खुद से प्यार नहीं कर पाते और ना ही खुद की वैल्यू समझ पाते. भले ही वह बच्चा किसी दूसरे काम में अच्छा हो लेकिन वह खुद को बुरा ही मानता है और लूजर की तरह देखता है. उनके मन में पैरेंट्स के साथ-साथ अपने भाई-बहनों से नफरत होने लगती है. मां-बाप की आलोचना से उनके मन में जलन पैदा हो जाती है. 

कई बार बच्चे करते हैं साजिश
पैरेंट्स की नजरों में अच्छा बनने के लिए ऐसे बच्चे अपने भाई-बहनों के दुश्मन बन जाते हैं. वह दूसरा बच्चा बेहतर काम ना करे या अच्छे नंबर ना लाए, इसके लिए साजिशें करने लगते हैं. वह इस कदर उनकी छवि को खराब करने लगते हैं कि भूल ही जाते हैं कि उनके भाई-बहन भी उनका परिवार है. ऐसे बच्चों की कड़वाहट जिंदगीभर दूर नहीं हो पाती.

पैरेंट्स अपनी गलती की वजह बच्चे के विकास पर बुरा असर डालते हैं (Image-Canva)

डिप्रेशन और एंग्जायटी घेर लेती है
जिन बच्चों को पैरेंट्स ही अपना नहीं मानते, ऐसे बच्चे दूसरों को भी अपना कभी नहीं बना पाते. वह तारीफ के भूखे हो जाते हैं. वह चाहते हैं कि कोई उनकी कद्र करे लेकिन बचपन का रवैया उन्हें इनसिक्योरिटी से भर देता है. वह अपने पार्टनर और दोस्तों से भी रिलेशनशिप खराब कर बैठते हैं क्योंकि वह दूसरों पर विश्वास नहीं कर पाते. उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर उनकी तारीफ नहीं कर रहा है या उन पर ध्यान नहीं दे रहा है तो वह उन्हें धोखा दे रहा हैं. ऐसे में इस तरह के बच्चे एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं. वह बहुत सेंसिटिव हो जाते हैं. आलोचना सहन नहीं कर पाते. ऐसे लोग हमेशा एक डर में जीते हैं कि कोई उन्हें कोई छोड़ ना दें. 

फेवरेट बच्चा भी होता है परेशान
जो बच्चा पैरेंट्स का फेवरेट होता है, वह भी हमेशा प्रेशर में रहता है क्योंकि उन्हें पैरेंट्स की नजरों में अच्छा बने रहना है. अपने पैरेंट्स की उम्मीदों को पूरा करना है. उनके मन में यह डर रहता है कि अगर वह ऐसा नहीं कर पाएंगे तो पैरेंट्स का बर्ताव भी उनके साथ दूसरे बच्चों की तरह हो जाएगा. उनके लिए आलोचना झेलना मुश्किल होता है. उसके अंदर भी फेल होने का डर सताने लगता है. दरअसल ऐसे बच्चों को तारीफ और अटेंशन पाने की आदत हो जाती है. इस रवैये से वह भी नेगेटिविटी से घिर जाते हैं. कई बार ऐसे बच्चे डिप्रेशन के मरीज या फिर परफेक्शनिस्ट बनने का शिकार होते हैं. भविष्य में ऐसे बच्चे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर यानी OCD के भी मरीज बन सकते हैं. 

पैरेंट्स हर बच्चे को एक जैसा प्यार दें
हर पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह अपने सभी बच्चों को एक जैसा प्यार दें. हर बच्चे में कमी और खूबियां होती हैं. उन्हें वैसे ही स्वीकार करें, जैसे वह हैं. उनकी तारीफ करें और कमियों को दूर करने की कोशिश करें. जब पैरेंट्स सभी बच्चों को साथ लेकर चलेंगे तो भाई-बहनों के बीच अच्छा बॉन्ड बनेगा. पैरेंट्स से भी रिश्ते मधुर रहेंगे. फैमिली के बीच आपसी तालमेल और प्यार का होना बेहद जरूरी है इसलिए पैरेंट्स अपने बच्चों को जज करने, उनकी गलतियों को निकालने या बात-बात पर सजा देने की भूल ना करें.  

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