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पहलगाम आतंकी हमले में बचा रूपचंदानी परिवार।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में नागपुर के जरिपटका के निवासी व्यापारी तिलक रूपचंदानी और उनका परिवार बाल-बाल बचा। रूपचंदानी परिवार गुरुवार को नागपुर पहुंच गया। पहलगाम में जब आतंकी हमला हुआ था तो यह परिवार वहीं पर मौजूद था। तिलक रूप चंदानी, बेटा गर्व रूपचंदानी और पत्नी सिमरन रूपचंदानी मैगी खाकर एग्जिट प्वाइंट पर थे, तभी गोलियों की आवाज उनके कानों में सुनाई देने लगी। वहां लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी। अब रूपचंदानी परिवार ने इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने आतंकी हमले में कैसे अपनी जान बचाई।
पहाड़ी से नीचे छलांग लगाई
पहलगाम आतंकी हमले के दौरान तिलक रूपचंदानी ने अपनी पत्नी सिमरन रूपचंदानी को पहाड़ी के तरफ धकेल, उसके बाद बेटे को और फिर खुद पहाड़ी से नीचे छलांग लगाई। जहां पर इन लोगों ने छलांग लगाई वहां पर घुटने भर दलदल था। पत्नी का पैर दलदल में फंस गया, जिस वजह से पत्नी का पैर फ्रैक्चर भी हो गया। तीनों पैदल-पैदल लगभग 7 से 8 किलोमीटर तक चले उसके बाद उन्होंने चैन की सांस ली।
कानों में गोलियों की आवाज गुंज रही- परिवार
अभी भी रूपचंदानी परिवार के कानों में गोलियों की आवाज गुंज रही है। इंडिया टीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान इन्होंने कहा कि मंजर काफी भयानक था। चारों तरफ चीख पुकार सुनाई दे रही थी। गोलियों की आवाज चारों तरफ सुनाई दे रही थी। हमारे मन में सिर्फ यही चल रहा था किसी भी हालत में वहां से बाहर निकलें क्योंकि पीछे मुड़ते तो भीड़ उनकी तरफ आ रही थी, भीड़ में दब जाते। सामने जाते तो फायरिंग हो रही थी। इसलिए इन लोगों ने कूदना ही बेहतर समझा।
मात्र 2 मिनट का अंतर था नहीं तो…
सिमरन रूपचंदानी के पैर में दो मेजर फ्रैक्चर हुआ है। आज नागपुर के डॉक्टरों ने फ्रैक्चर पर प्लास्टर किया। सिमरन रूपचंदानी अभी भी काफी डरी हुई हैं। सिमरन ने कहा कि मात्र 2 मिनट का अंतर था नहीं तो वह यहां तक नहीं पहुंच पाते।
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