Source :- BBC INDIA
एक घंटा पहले
बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की देश वापसी के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी है.
इससे पहले, बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि शेख़ हसीना की देश वापसी के लिए विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखा गया है.
उन्होंने कहा था कि शेख़ हसीना को प्रत्यर्पण समझौते के तहत भारत से लाया जा सकता है.
इस साल अगस्त महीने में बांग्लादेश में व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच शेख़ हसीना ने पीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और देश छोड़कर भारत आ गईं थीं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा, “हमने राजनयिक प्रक्रिया के तहत भारत सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को वापस भेजने के लिए संदेश दिया है. हमने उन्हें (भारत सरकार) ये संदेश दिया है कि हम उन पर मुकदमा चलाना चाहते हैं और इसलिए उनकी वापसी की मांग कर रहे हैं.”
इससे पहले, बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि शेख़ हसीना की वापसी के लिए विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखा गया है.
उन्होंने ये बयान सोमवार को बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के मुख्यालय में बीजीबी स्थापना दिवस को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया.
उन्होंने ये भी कहा कि शेख़ हसीना प्रत्यर्पण समझौते के तहत वापस भेजी जा सकती हैं, इसलिए विदेश मंत्रालय (बांग्लादेश) को एक पत्र भेजा गया है ताकि भारत से संपर्क करने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जा सकें.
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने 17 अक्टूबर को ‘फरार’ शेख़ हसीना के खिलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया था. बांग्लादेश सरकार ने तब कहा था कि वो इस निर्देश को लागू करने की लिए शीघ्र कदम उठाएगी.
बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी.
सरकारी नौकरियों में आरक्षण के ख़िलाफ़ शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन बाद में शेख़ हसीना को पद से हटाने की मांग तक पहुंच गया था.
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संंधि
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है.
भारत और बांग्लादेश के बीच 28 जनवरी 2013 को प्रत्यर्पण संधि हुई थी. तब भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और बांग्लादेश के गृह मंत्री मोहिउद्दीन ख़ान आलमगीर ने ढाका में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे.
हालाँकि, संधि के आर्टिकल छह में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनमें उन हालात का जिक्र है जिनके तहत व्यक्ति का प्रत्यर्पण नहीं हो सकता.
इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि ये संधि उन लोगों पर लागू नहीं होगी जिन पर राजनीतिक अपराध के आरोप हैं और इसके तहत सिर्फ़ वही लोग आएंगे जिन पर हत्या और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप हैं.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में क्या कहा था?
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने छह अगस्त को शेख़ हसीना के भारत आने के बारे में संसद को जानकारी देते हुए कहा था कि शेख़ हसीना ने बेहद शॉर्ट नोटिस पर कुछ वक़्त के लिए भारत आने की अनुमति मांगी थी.
उन्होंने कहा था, “5 अगस्त को प्रदर्शनकारी कर्फ़्यू के बावजूद ढाका में जमा हो गए. हमें जितना समझ में आया है वो ये है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के नेताओं के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया. बेहद शॉर्ट नोटिस पर उन्होंने कुछ लम्हे के लिए भारत आने की अनुमति मांगी. इसी के साथ ही हमें बांग्लादेश प्रशासन की ओर से फ़्लाइट क्लियरेंस के लिए अनुमति मांगी गई. वो कल शाम को दिल्ली पहुंची हैं.”
17 अक्टूबर की शाम को भारत सरकार ने औपचारिक रूप से ये कहा था कि शेख़ हसीना अब भी भारत में ही हैं.
बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के पतन और प्रधानमंत्री शेख़ हसीना में भारत में शरण लेने के बाद से भारत से उसके रिश्तों में तनाव दिख रहा है.
बांग्लादेश में ‘अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न’, इस्कॉन से जुड़े महंत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी, त्रिपुरा में बांग्लादेश के उप उच्चायोग में भारतीय प्रदर्शकारियों के घुसने समेत कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसके बाद दोनों देशों के बीच तल्ख़ी स्पष्ट तौर पर नज़र आई.
इस महीने की चार तारीख़ को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक में देश की संप्रभुता, अस्तित्व, आज़ादी और गरिमा बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई गई.
अंतरिम सरकार के क़ानूनी सलाहकार आसिफ़ नज़रुल ने बैठक में लिए गए इस फ़ैसले की जानकारी देते हुए कहा कि बांग्लादेश भारत के ‘प्रोपेगेंडा’ के ख़िलाफ़ एकजुट हैं.
‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर’ लोकसभा में विदेश मंत्रालय द्वारा बताए गए आंकड़ों पर भी बांग्लादेश ने आपत्ति जताई.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार के बारे में भारतीय मीडिया में छपी रिपोर्टों को बढ़ा-चढ़ा कर और गुमराह करने वाला बताया था.
लोकसभा में भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्द्धन सिंह ने कहा कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा की 2,200 घटनाएं हो चुकी हैं.
भारत और बांग्लादेश चार हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सीमा साझा करते हैं और दोनों के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते हैं.
बांग्लादेश की सीमा भारत और म्यांमार से लगती है लेकिन उसकी 94 फ़ीसदी सीमा भारत से लगती है. इसलिए बांग्लादेश को ‘इंडिया लॉक्ड’ देश कहा जाता है.
बीते कुछ सालों में बांग्लादेश, भारत के लिए एक बड़ा बाज़ार बनकर उभरा है. दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
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SOURCE : BBC NEWS