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एक घंटा पहले
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफ़ा देने की इच्छा जताने वाली ख़बर ने देश में राजनीतिक बहस और तेज़ कर दी है.
नेशनल सिटीजंस पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने गुरुवार को मुख्य सलाहकार के आधिकारिक आवास यमुना में मोहम्मद यूनुस के साथ मुलाकात की थी.
नाहिद इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला को बताया, “उनको सूचना मिली थी कि मोहम्मद युनूस मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा दे सकते हैं. उसके बाद ही मैंने उनसे मुलाकात का फ़ैसला किया.”
दूसरी ओर, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत अंतरिम सरकार के सभी विवादास्पद सलाहकारों को हटाने की मांग उठाई.
इससे पहले बीएनपी नेता इशराक हुसैन के समर्थकों ने भी स्थानीय सरकार (लोकल गवर्नमेंट) के सलाहकार आसिफ महमूद संजीव भुइयां और सूचना सलाहकार महफूज़ आलम के इस्तीफ़े की मांग को लेकर ढाका की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया था.
इस बीच, एनसीपी के एक शीर्ष नेता ने अंतरिम सरकार के तीन सलाहकारों को ‘बीएनपी प्रवक्ता’ बताते हुए धमकी दी है कि अगर सुधार संबंधी सिफ़ारिशों को लागू नहीं किया गया तो वे उनको इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर देंगे.
इनमें क़ानूनी सलाहकार प्रोफ़ेसर आसिफ नज़रूल, वित्त सलाहकार सलाहुद्दीन अहमद और योजना सलाहकार डॉ. वाहिदउद्दीन महमूद शामिल हैं.
बीएनपी ने की ये मांग

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इस उठापटक के बीच ही यह अफ़वाह फैल गई कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहते हैं.
इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों, समाज के विभिन्न तबकों के साथ ही व्यापार जगत से जुड़े लोग भी इस ख़बर पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
एनसीपी के नाहिद इस्लाम ने मोहम्मद युनूस से मुलाकात के बाद बीबीसी बांग्ला को बताया, “हम आज सुबह से ही देश के मौजूदा हालात को लेकर मुख्य सलाहकार के इस्तीफ़े की खबर सुन रहे थे. इसलिए मैं उस मामले पर बातचीत के लिए उनसे मिलने गया था.”
इस्लाम ने कहा कि मुख्य सलाहकार ने मुलाकात के दौरान मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि देश की मौजूदा परिस्थिति में वो काम नहीं कर पाएंगे.
उन्होंने इस्लाम से कहा कि अगर सभी राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं बनी तो वो इस तरह काम नहीं कर सकते. मुख्य सलाहकार का कहना था कि सामूहिक आंदोलन के बाद उनको इस पद के लिए चुना गया था. लेकिन अब जिस तरह आंदोलन चल रहा है और उनको बंधक बनाया जा रहा है, उस हालत में काम करना संभव नहीं है.
नाहिद इस्लाम ने मुख्य सलाहकार से अपने पद पर बने रहने की अपील की है. उन्होंने प्रोफेसर युनूस को कहा कि वो आम लोगों के आंदोलन की उम्मीदों, राष्ट्रीय सुरक्षा औऱ देश के भविष्य को साथ लेकर मजबूत बने रहें. इसके साथ ही तमाम दलों में आम सहमति के मुद्दे पर बढ़ते रहें. इस्लाम ने उम्मीद जताई कि इस मामले में उनको तमाम पक्षों का सहयोग मिलेगा.
इस्तीफ़े के बारे में मोहम्मद यूनुस के रवैए पर नाहिद इस्लाम का कहना था, “अब अगर राजनीतिक दल चाहते हैं वो इस्तीफ़ा दे दें… तो वो क्यों रहेंगे?”
इस्लाम के मुताबिक, मुख्य सलाहकार ने इस्तीफ़े के मुद्दे पर विचार करने की बात कही है. इस्लाम ने बताया, “मोहम्मद यूनुस ने अपने इस्तीफ़े के मुद्दे पर विचार करने का भरोसा दिया है. उनको लगता है कि मौजूदा हालात में वो काम नहीं कर सकेंगे.”

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गुरुवार को दिनभर विभिन्न घटनाओं के बाद बीएनपी ने दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अंतरिम सरकार के विवादास्पद सलाहकारों को हटाने की मांग की.
बीएनपी स्थायी समिति के सदस्य खांडेकर मुशर्रफ़ हुसैन ने कहा, “अंतरिम सरकार की तटस्थता बनाए रखने के हित में हमने कुछ विवादास्पद सलाहकारों को हटाने की मांग की थी. उनके बयान और कामकाज सरकार की छवि को धूमिल कर रहे थे.”
उनका कहना था कि सरकार की छवि बनाए रखने के लिए उनको हटाना ज़रूरी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की ताज़ा टिप्पणी ने नया विवाद पैदा कर दिया है.
बाद में उसी रात इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के सत्यापित फेसबुक पेज से एक पोस्ट में कहा गया कि इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, गण अधिकार परिषद और नेशनल सिटीजंस पार्टी सहित पांच दलों की कल एक आपातकालीन बैठक हुई. बैठक में वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई.
नवगठित नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (एनसीपी), जो जुलाई विद्रोह का नेतृत्व करने वाली युवा पार्टी है, के मुख्य संयोजक (दक्षिण) हसनत अब्दुल्ला ने कल अपने सत्यापित फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर लिखा कि देश और राष्ट्र के हित में इस अप्रत्याशित विभाजन को हल किया जाना चाहिए.
इस बीच, जमात-ए-इस्लामी के आमिर शफीकुर रहमान ने मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस से देश की मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए जल्द एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की अपील की है. पार्टी ने अपनी बैठक में देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति पर विचार-विमर्श के बाद यह अपील की है.
सरकार के सलाहकार आसिफ़ महमूद ने फेसबुक पर एक स्टेटस पोस्ट किया था. उन्होंने इसमें कहा है, “आप बांग्लादेश अवामी लीग, ‘उत्तर’ और ‘दिल्ली’ गठबंधन में शामिल होकर जिस मगरमच्छ को आमंत्रित कर रहे हैं, वह आपको खा जाएगा.”
बांग्लादेशी राजनीति में ‘नॉर्थ’ या ‘उत्तर’ शब्द आमतौर पर छावनी का जिक्र करने के लिए किया जाता है. उनका कहना था, “हमें मौत का कोई डर नहीं है, कुछ खोने का भी कोई डर नहीं है. लेकिन एकमात्र अफ़सोस यह है कि लोकतांत्रिक बदलाव और इस देश के लोगों का भाग्य सकारात्मक दिशा में आगे नहीं बढ़ सकेगा.. शायद सपने देखने और सपने टूटने का दर्द ही इस देश की नियति बन गई है.”
14 मई से शुरू हुआ था आंदोलन

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दूसरी ओर, सूचना सलाहकार महफूज़ आलम ने अपने फेसबुक स्टेटस पर अतीत में किसी विभाजनकारी टिप्पणी के लिए और शब्दों के चयन पर खेद जताया है.
उन्होंने लिखा, “देशभक्त ताक़तों की एकता अपरिहार्य है. देश व्यक्तिगत आदर्शों, सम्मान और भावनाओं से बड़ा है. मैं पिछले किसी भी बयान और विभाजनकारी शब्दों के लिए ईमानदारी से माफ़ी मांगता हूं.”
महफूज़ आलम ने उम्मीद जताई कि भविष्य का बांग्लादेश उसी स्थिति में लोकतांत्रिक और समावेशी होगा जब हम पुरानी व्यवस्था के विभाजनकारी नारों और आरोप-प्रत्यारोप से बचेंगे. बांग्लादेश के दुश्मन एकजुट और आक्रामक हैं. यह धैर्य और एकता की परीक्षा का दौर है. इसमें पास होना ही होगा.
आलम ने सरकार में रहने तक सामूहिक आंदोलन में शामिल तमाम ताक़तों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता बरतते हुए देशहित में काम करते रहने की इच्छा जताई है.
इससे पहले बीएनपी नेता इशराक हुसैन के समर्थकों ने सरकार के एक सलाहकार आसिफ़ मोहम्मद और सूचना सलाहकार महफूज़ आलम के इस्तीफ़े की मांग में ढाका की सड़कों पर एक रैली आयोजित की थी.
हुसैन को ढाका दक्षिण सिटी कॉर्पोरेशन (डीसीएससी) के मेयर के तौर पर शपथ दिलाने की मांग में बीएनपी के कार्यकर्ताओं और समर्थको ने बीती 14 मई से आंदोलन शुरू किया था.
बाद में वह आंदोलन दो सलाहकारों के इस्तीफ़े की मांग में बदल गया.
बीएनपी ने बाद में एक पत्रकार सम्मेलन में इन दोनों के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ख़लीलुर रहमान को भी उनके पद से हटाने की मांग उठाई है.
इशराक़ हुसैन का कहना था, “फासीवाद समर्थक सलाहकारों को हटाना ही होगा. एकजुट होने की वजह से ही हमें करीब डेढ़ दशक से जारी फासीवाद के दौर को ख़त्म करने में कामयाबी मिली है. देश के हित में इस एकजुटता को बनाए रखना ज़रूरी है.”
सेना प्रमुख क्या बोले?

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बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीमउद्दीन ने इस्तीफ़ा दे दिया है. ऐसा कहा जा रहा है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और विदेशी मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन के साथ कथित मतभेदों और तालमेल नहीं बैठ पाने की वजह से उन्होंने ये फ़ैसला लिया.
करीब आठ महीने पहले ही उनकी नियुक्ति की गई थी. सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका में बांग्लादेश के राजदूत असम आलम सियाम के अगला विदेश सचिव बनने की संभावना है.
इससे पहले बुधवार को सेना प्रमुख वक़ार-उज़-ज़मान ने कहा था कि देश में दिसंबर तक आम चुनाव कराए जाने चाहिए. उनका कहना था कि देश का भविष्य के बारे में फ़ैसला करना किसी निर्वाचित सरकार का ही विशेषाधिकार है.
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी शीघ्र चुनाव कराने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की मांग कर रही है.
बीएनपी के सदस्य मिर्ज़ा फख़रुल इस्लाम ने बताया है कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य पर एक ‘नई काली छाया’ मंडरा रही है. यहां चुनाव में देरी करने और नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित करने के लिए एक सुनियोजित साजिश की जा रही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS