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आसिम मुनीर का पाकिस्तान आर्मी का चीफ बनना भी हैरानी की बात है। वह पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे पहले मिलिट्री चीफ हैं, जो परंपरागत सैनिक न होने के बाद भी मुखिया बन गए। वह आईएसआई के डीजी थे और फिर आर्मी चीफ बना दिए गए। उन्हें आर्मी चीफ भी रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले बनाया गया।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने 16 अप्रैल को प्रवासी पाकिस्तानियों के एक आयोजन में जहरीला भाषण दिया था। अपनी स्पीच में उन्होंने खुलकर टू नेशन थ्योरी की वकालत की थी और कहा कि हम हिंदुओं से अलग हैं। हमारी संस्कृति, नस्ल, सोचने का तरीका सब कुछ अलग है। इसका हमें ध्यान रखना होगा और यह सोचना होगा कि पाकिस्तान को बनाने के लिए क्या कुर्बानियां दी गई हैं। उन्होंने इस दौरान कई बार कुरान की आयतें पढ़ीं, रियासत-ए-मदीना बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मदीना के बाद पाकिस्तान ऐसी दूसरी जगह जिसे कलमे की बुनियाद पर बनाया गया है। पाकिस्तान में लंबे समय तक सैन्य शासन रहा है। जिया उल हक से लेकर परवेज मुशर्रफ तक कई कट्टरपंथी पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही चलाते रहे हैं।
मुशर्रफ के बाद से दौर थोड़ा अलग था। आसिम मुनीर से ठीक पहले आर्मी चीफ रहे कमर जावेद बाजवा तो कहीं ज्यादा तार्किक थे। माना जाता है कि कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ संबंध सामान्य बनाए रखने के लिए अपने स्तर पर भी प्रयास किए थे। लेकिन आसिम मुनीर एकदम अलग हैं और जिया उल हक की याद दिलाते हैं। यही नहीं आसिम मुनीर की पाकिस्तानी सेना में एंट्री भी 1986 में तब हुई थी, जब पाकिस्तान पर जिया उल हक का शासन था। उस दौर में पाकिस्तानी सेना में बड़े पैमाने पर भर्तियां नियमों को ताक पर रखी गई थीं। कट्टरपंथी विचार के तमाम लोगों को तब भर्ती किया गया था और आज भी उन्हें पाकिस्तान में ‘जिया भर्ती’ के नाम से जाना जाता है।
आसिम मुनीर का पाकिस्तान आर्मी का चीफ बनना भी हैरानी की बात है। वह पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे पहले मिलिट्री चीफ हैं, जो परंपरागत सैनिक न होने के बाद भी मुखिया बन गए। वह आईएसआई के डीजी थे और फिर आर्मी चीफ बना दिए गए। उन्हें आर्मी चीफ भी रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले बनाया गया। यदि वह रिटायर हो जाते तो फिर उन्हें कमान नहीं मिल पाती। माना जाता है कि आसिम मुनीर ने इमरान खान को नियंत्रित करने का वादा किया था और इसी आधार पर उन्हें मौका मिला। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि आसिम मुनीर की ट्रेनिस पाकिस्तान ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल में हुई थी, जो शॉर्ट सर्विस कमीशन वालों के लिए होता है। आमतौर पर सैनिकों को प्रशिक्षण पाकिस्तान मिलिट्री अकेडमी में मिलता है।
इस तरह पहली बार OTS वाले को पाक आर्मी चीफ बनने का मौका मिला। उनके साथ कई संयोग यूं ही नहीं जुड़े बल्कि कट्टरपंथी विचारों ने उन्हें एक वर्ग के करीब ला दिया। फिर इमरान खान से अदावत ने उन्हें और आगे बढ़ाया। पुलवामा आतंकी हमला जब 2019 में हुआ था तो आसिम मुनीर आईएसआई के चीफ थे। फिर उन्हें गुजरांवाला में कॉर्प्स कमांडर बनाया गया। यहीं से उनके लिए आर्मी चीफ बनने के दरवाजे खुल गए। दरअसल पाकिस्तान में आर्मी चीफ बनने के लिए जरूरी है कि कभी न कभी कॉर्प्स कमांडर के तौर पर सेवाएं दी हों। इसके बाद जब आसिम मुनीर को मौका मिला तो इमरान खान को पत्नी बुशरा बीबी समेत जेल में डाला गया। बिना किसी विपक्ष के ही चुनाव हुए और धांधली के तमाम आरोपों के बीच भी शहबाज शरीफ वापस सत्ता में लौटे।
कहां से सिखीं आसिम मुनीर ने इतनी कट्टरता भरी बातें
दरअसल आसिम मुनीर के पिता रावलपिंडी की मस्जिद अल-कुरैश में इमाम थे। हर शुक्रवार को वह तकरीरें किया करते थे। खुद आसिम मुनीर ने भी शुरुआती पढ़ाई मदरसे में ही की थी। इसके अलावा उनके पास हाफिज-ए-कुरान की भी डिग्री है। यह डिग्री उन लोगों को मिलती हैं, जिन्हें कुरान याद हो। इस तरह मजहबी शिक्षा और जिया की ट्रेनिंग में आसिम मुनीर एकदम कट्टरपंथी रास्ते पर बढ़कर यहां तक पहुंचे हैं।
क्या थी जिया उल हक की ब्लीड इंडिया विद थाउजेंड कट्स की नीति
आसिम मुनीर अपने गुरु जनरल जिया उल हक की नीतियों को ही बढ़ाते दिखते हैं। जिया ने ही ब्लीड इंडिया विद थाउजेंड कट्स की बात की थी। इसका अर्थ था- भारत को एक हजार जगह पर जख्म देना। यह नीति जुल्फिकार अली भुट्टो का 1977 में तख्तापलट करने के बाद जिया उल हक लेकर आए। मेजर जनरल कटोच जिया उल हक की इस नीति को लेकर लिखते हैं, ‘पाकिस्तान को यह आभास हो गया था कि सैन्य ताकत के बल पर भारत से कश्मीर नहीं लिया जा सकता। 1971 में पाकिस्तान के टूट जाने के बाद उसे यह भी लगा कि देश को जोड़ने के लिए भी इस्लाम को एक नीति के तौर पर लाना होगा।
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