Source :- NEWS18
Last Updated:May 16, 2025, 17:39 IST
बड़े बजट की फिल्मों जैसे छावा, रेड 2 और सिकंदर के रिलीज होने के बावजूद, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने थिएटर भरने के लिए कई री-रिलीज पर भी भरोसा किया है. कल्कि कोचलिन ने फिल्मों के री-रिलीज की कई वजहें बताईं. उनका मा…और पढ़ें
कल्कि ने खोली बॉलीवुड की पोल.
हाइलाइट्स
- बॉलीवुड संकट से गुजर रहा है: कल्कि कोचलिन
- पुरानी फिल्मों की री-रिलीज से थिएटर भरने की कोशिश
- डिजिटल युग में शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट का बोलबाला
नई दिल्ली: पुरानी फिल्में जैसे हाइवे, क्वीन, लुटेरा, नमस्ते लंदन, सनम तेरी कसम और अन्य को दूसरा जीवन मिला है. मल्टीप्लेक्स ने भी फिल्म फेस्टिवल के बहाने राज कपूर और शाहरुख खान की पुरानी फिल्मों को फिर से रिलीज किया है ताकि खोई हुई चमक वापस लाई जा सके. कल्कि कोचलिन ने क्लासिक फिल्मों के दोबारा रिलीज की साफ वजह बताई है.
एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन मानती हैं कि बॉलीवुड संकट के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने अलीना डिसेक्ट्स पॉडकास्ट पर कहा कि फिल्म इंडस्ट्री मंदी से गुजर रही है, जहां लोग फीचर फिल्मों को बनाने के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं, जबकि डिजिटल युग में शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट का बोलबाला है.
बॉलीवुड के संकट पर कल्कि कोचलिन से पूछा गया कि बॉलीवुड के बारे में कुछ ऐसा बताएं जो कोई नहीं जानता, तो उन्होंने कहा, ‘बॉलीवुड में मंदी है; इसलिए वे सब कुछ फिर से रिलीज कर रहे हैं. कोई कंटेंट नहीं है. कुछ काम नहीं कर रहा है. इसलिए सब कुछ रुका हुआ है. वे भी जानते हैं लेकिन डरते हैं. उन्हें नहीं पता कि क्या काम कर रहा है, क्या नहीं. इसलिए सब कुछ रुका हुआ है, सब कुछ अटका हुआ है.’
दुविधा में फिल्म इंडस्ट्री!
कल्कि ने कहा कि ऊपर से नीचे तक हर कोई ‘अटका’ हुआ महसूस कर रहा है, क्योंकि किसी को नहीं पता कि यह सब कहां जा रहा है. क्रिएटिव टीमें निकाली जा रही हैं और फिर से भर्ती की जा रही हैं. उन्हें बस समझ नहीं आ रहा कि क्यों काम नहीं कर रहा है. लोग नहीं समझते कि यह संकट चल रहा है. और ऊपर से नीचे तक, मैंने लोगों से बात की है. ऊपर वाले लोग करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं और उन्हें रिलीज करने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहे हैं. और छोटे (चोटू) एक्टर्स हैं जिन्हें दो साल से काम नहीं मिला है.’
वर्चुअल रियलिटी का किया जिक्र
कल्कि ने फिर कहा कि बॉलीवुड को पहले यह स्वीकार करना होगा कि कोई समस्या है, ताकि वह खुद को फिर से खोज सके. उन्होंने यह भी कहा कि ‘दर्शकों का ध्यान भटक गया है’ और ‘पूरी फिल्म देखना बिना फोन स्क्रॉल किए आसान नहीं है’. अगर थिएटर नहीं या यहां तक कि ओटीटी भी नहीं, तो शायद आगे का रास्ता वीआर (वर्चुअल रियलिटी) हो सकता है.
About the Author

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें
अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल… और पढ़ें
और पढ़ें
SOURCE : NEWS18