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भारत में निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की ताकत से लबरेज फिलीपींस के बाद अब इंडोनेशिया भी इस मिसाइल को हासिल करने की तैयारी में है। अप्रैल में फिलीपींस को पहली खेप मिलने के बाद, अब इंडोनेशिया जल्द ही 450 मिलियन डॉलर की डील पर हस्ताक्षर करने वाला है। यह डील भारत की सबसे बड़ी रक्षा निर्यात समझौतों में से एक होगी।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल की बढ़ती मांग के पीछे चीन की आक्रामक सैन्य नीति और दक्षिण चीन सागर में उसकी विस्तारवादी हरकतें मानी जा रही हैं। चीन के ‘नाइन-डैश लाइन’ वाले विवादित दावे और उसकी बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने आसपास के देशों में सुरक्षा की चिंता बढ़ा दी है। इस क्षेत्र के देश जैसे फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया, ब्रह्मोस मिसाइल को अपनी सुरक्षा का मजबूत आधार मान रहे हैं।

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फिलीपींस ने हाल ही में तटीय बैटरी संस्करण की ब्रह्मोस मिसाइल प्राप्त की है, अब अपनी तटरेखा से चीन के खतरे को 300 किलोमीटर दूर रखने में सक्षम है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मोस की सटीकता और गति इसे दक्षिण चीन सागर में चीन की नौसैनिक और जमीन से जुड़ी धमकियों से निपटने का प्रभावी उपकरण बनाती है।

इंडोनेशिया अपने विशाल द्वीपसमूह और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए पहले से ही अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। अब यह इस मिसाइल को अपनी रक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के नेतृत्व में यह कदम, देश की समुद्री ताकत को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में देखा जा रहा है।

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ब्रह्मोस की मांग बढ़ने से भारत के रक्षा निर्यात में भी ऐतिहासिक वृद्धि होगी। भारतीय रक्षा उद्योग की तकनीकी और वाणिज्यिक क्षमता का यह प्रमाण है, और यह क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। इंडोनेशिया के साथ होने वाली यह डील भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक और मजबूत कदम साबित होगी, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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