Source :- BBC INDIA

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Yahya

पहलगाम हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है.

भारत की एलओसी सीमा के पार पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में गुरुवार को एक सरकारी आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने अपनी निगरानी में धार्मिक मदरसों को बंद कर दिया. जबकि क्षेत्र के अन्य इलाक़ों में कम से कम एक हज़ार मदरसे दस दिनों के लिए बंद कर दिए गए.

हालांकि यहां स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी खुली हुई हैं.

स्थानीय प्रशासन नियंत्रण रेखा या एलओसी के नज़दीकी इलाक़ों में मदरसों को बंद करने पर निगरानी रखे हुए है.

बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

सरकारी पत्र में न केवल मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है, बल्कि क्षेत्र में पर्यटकों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इस समय पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के इलाक़ों में, ख़ासकर नियंत्रण रेखा के क़रीब के इलाकों में लोगों को हथियार चलाने, आत्मरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Yahya

अधिकारियों के मुताबिक़, मुज़फ़्फ़राबाद शहर में एक आपातकालीन कोष स्थापित किया गया है, जबकि नियंत्रण रेखा के पास के गांवों में दो महीने का भोजन, पानी और चिकित्सा सामग्री भेजी गई है.

मुज़फ़्फ़राबाद के इलाक़े में रेड क्रिसेंट की प्रमुख गुलज़ार फ़ातिमा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि जैसे ही क्षेत्र में तनाव देखा गया, प्राथमिक चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों और अन्य कर्मचारियों को क्षेत्र में तैनात कर दिया गया.

उन्होंने बताया कि भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की स्थिति में नियंत्रण रेखा के आसपास के इलाक़ों से बड़ी संख्या में लोगों के पलायन की आशंका है, इसलिए उनका संगठन कम से कम 500 लोगों के लिए राहत शिविर तैयार कर रहा है.

मदरसों को क्यों बंद करवाया गया?

पुलवामा

इमेज स्रोत, Reuters

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पुंछ ज़िले के हजीरा इलाक़े में नियंत्रण रेखा से लगभग नौ किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक मदरसा जामिया मदीना अरबिया को स्थानीय प्रशासन के आदेश पर कम से कम दस दिनों के लिए बंद कर दिया गया है.

इस मदरसे में 200 से अधिक छात्र धार्मिक शिक्षा हासिल करते हैं. इन छात्रों को गुरुवार को मदरसा प्रशासन ने आपातकालीन आधार पर अचानक उनके घर भेज दिया है.

जामिया मदीना अरबिया मदरसे के प्रमुख मौलवी ग़ुलाम शाकिर ने कहा कि उन्हें स्थानीय सरकार ने असामान्य हालात के कारण मदरसा बंद करने के लिए कहा था.

जब उन्होंने स्थानीय प्रशासन से पूछा कि क्या स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, तो उन्हें बताया गया कि भारत की किसी भी संभावित कार्रवाई में मदरसे आसान निशाना बन सकते हैं.

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Getty Images

मौलवी ग़ुलाम शाकिर ने कहा कि सरकारी एजेंसी की ओर से यह भी कहा गया कि स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे हॉस्टल में नहीं रहते हैं, जबकि मदरसों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे हॉस्टल में रहते हैं, यही कारण है कि मदरसों को अधिक ख़तरा है.

उन्होंने कहा, “हमारा मदरसा नियंत्रण रेखा से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है. इससे पहले साल 2019 में झड़पों के दौरान हमारे मदरसे के पास गोले गिरे थे, लेकिन उस समय कोई नुक़सान नहीं हुआ था.”

उन्होंने आगे कहा, “अगर भारत की ओर से सीमा पार से गोलीबारी में भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया, तो ख़तरा है कि हमारा मदरसा भी इसकी ज़द में आ सकता है, यही वजह है कि हमने मदरसे को बंद करने के आदेश का पालन किया.”

साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बलों के जवानों से भरी एक बस पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 40 से अधिक जवान मारे गए थे.

इसकी ज़िम्मेदारी प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

बाद में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने बालाकोट क्षेत्र में हवाई बमबारी की. केंद्र सरकार का कहना है कि इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर को नष्ट किया गया था और कई ‘आतंकी’ मारे गए थे.

‘जैसे ही गोलीबारी शुरू होती है, लोग बंकरों में चले जाते हैं’

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Yahya

श्रीनगर से मात्र 100 किलोमीटर दूर एलओसी की दूसरी ओर चकोठी सेक्टर है, जहां के लोगों ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को देखते हुए अपने घरों में बंकर बना लिए हैं.

22 साल के फ़ैज़ान इनायत ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “जैसे ही गोलीबारी शुरू होती है लोग बंकरों में चले जाते हैं.”

दोनों देशों के बीच हालिया तनाव के बाद कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी लगातार जारी है.

वहीं लीपा घाटी के तहसील प्रशासन ने किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए स्वयंसेवकों से अपील करते हुए उन्हें प्राथमिक चिकित्सा से जुड़ी ट्रेनिंग दी है.

अधिकारियों की इस अपील के बाद कई लोगों ने ख़ुद को स्वयंसेवक के रूप में पेश किया है.

ऐसे ही एक स्वयंसेवक उमैर मोहम्मद ने कहा, “हम जानते हैं कि आज नहीं तो कल, और कल नहीं तो परसों, भारत के साथ युद्ध होगा. यह युद्ध संभवतः नियंत्रण रेखा पर होगा और हमारा इलाक़ा प्रभावित होगा, इसलिए मैंने अपने दोस्तों के साथ यह प्रशिक्षण लेने का फ़ैसला लिया.”

नीलम घाटी पर्यटकों से ख़ाली

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Yahya

ऐसा माना जाता है कि नीलम घाटी अन्य इलाक़ों की तुलना में अधिक पर्यटकों को आकर्षित करती है.

पिछले साल अप्रैल के अंत और मई की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर नीलम घाटी के अंतिम गांव तौबात में बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे. इस साल भी अप्रैल के अंत में बड़ी संख्या में पर्यटक तौबात पहुंचे, लेकिन भारत के किसी संभावित हमले के मद्देनज़र इन पर्यटकों को क्षेत्र ख़ाली करने को कहा गया.

निसार अहमद और उनकी पत्नी नसरीन अहमद अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन से पाकिस्तान आये थे. पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्होंने अपने बच्चों से वादा किया था कि वह उन्हें नीलम घाटी के अलावा दूसरे इलाक़ों की सैर भी कराएंगे, लेकिन अब वह निराश हैं.

निसार अहमद कहते हैं कि 1 मई को नीलम घाटी में कहा गया कि अगर तुरंत वापस चले जाएं तो अच्छा रहेगा.

“उसके बाद हम निराश होकर लौट आए हैं. अब मुझे नहीं पता कि हमें अपने बच्चों को नीलम घाटी दिखाने का मौक़ा दोबारा मिलेगा या नहीं.”

मोहम्मद याह्या शाह तौबात होटल और गेस्ट हाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि पर्यटन तौबात और नीलम घाटी के स्थानीय लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है.

उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आए थे, लेकिन अब तौबात और नीलम घाटी पर्यटकों से ख़ाली है.

उनके मुताबिक़ उन्हें बताया गया कि पर्यटकों का आना भी बंद कर दिया गया है और यह प्रतिबंध अस्थायी होगा और हालात में सुधार होते ही पर्यटकों को दोबारा आने की अनुमति दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि मई के लिए लगभग सभी गेस्टहाउस और होटल 50 प्रतिशत बुक हो चुके हैं, लेकिन अब जब पर्यटकों के आने पर प्रतिबंध है, तो देखते हैं आगे क्या होता है.

प्रशासन का क्या कहना है?

पहलगाम हमला

इमेज स्रोत, Getty Images

स्थानीय प्रशासन के प्रवक्ता पीर मज़हर सईद शाह ने बीबीसी को बताया कि किसी को भी भारत के संभावित आक्रमण का डर नहीं है, लेकिन लोग किसी भी कार्रवाई का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज खुले हैं, लेकिन भारत के संभावित हमले के मद्देनज़र कुछ मदरसों को बंद कर दिया गया है, जबकि बाक़ी के बारे में विचार-विमर्श चल रहा है कि उन्हें बंद किया जाना चाहिए या नहीं, उनके बारे में जल्द ही फ़ैसला लिया जाएगा.

पीर मज़हर सईद शाह ने कहा कि इसी डर के कारण पर्यटकों को भी कुछ दिनों के लिए यहां आने से रोक दिया गया.

उन्होंने बताया कि 27 और 28 अप्रैल को क़रीब 1250 पर्यटक नीलम घाटी में दाखिल हुए.

“यह एक बड़ी संख्या है जो साबित करती है कि किसी को कोई डर नहीं है. हालांकि, भारत की धमकियों के बाद एहतियात के तौर पर पर्यटकों को रोक दिया गया, लेकिन जो पर्यटक पहले से ही पर्यटक स्थलों पर थे, उन्हें निकाला नहीं गया.”

उन्होंने दावा किया कि इस इलाक़े के हालात पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS