Source :- LIVE HINDUSTAN
India Pak Tension: भारत-पाकिस्तान टेंशन के बीच पाक के शेयर बाजार निवेशक लगभग कंगाली की कगार पर पहुंच गए।
India Pak Tension: भारत-पाकिस्तान टेंशन के बीच पाक के शेयर बाजार निवेशक लगभग कंगाली की कगार पर पहुंच गए। भारत के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंकवादी हमले ने पाकिस्तान के शेयर बाजारों को हिलाकर रख दिया है। केएसई-100 इंडेक्स में लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि इस दौरान भारत के सेंसेक्स में 1.5% की बढ़ोतरी हुई है। यह परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसियों के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण आर्थिक लचीलेपन और निवेशकों के विश्वास में भारी अंतर को दिखाता है।
क्या है डिटेल
कराची स्टॉक एक्सचेंज के केएसई-100 सूचकांक में 23 अप्रैल से 5 मई के बीच 3.7% की गिरावट आई है, जो पहलगाम में हुए घातक हमले के बाद सैन्य कार्रवाई की आशंकाओं से हिल गया। पहलगाम में यह हमला कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा किया गया था। 30 अप्रैल को पाक शेयर बाजार में बिकवाली और बढ़ गई, जब KSE-100 में 3.09% की गिरावट आई। इस दिन LUCK, ENGROH, UBL, PPL और FFC जैसे दिग्गज पस्त पड़ गए थे। इस बीच, भारत के बीएसई सेंसेक्स में 1.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। ब्रोकरेज आनंद राठी ने कहा कि “2001 में संसद पर हमले के दौरान को छोड़कर, पाकिस्तान के साथ उच्च तनाव की अवधि के दौरान भारतीय इक्विटी बाजारों में 2% से अधिक की गिरावट नहीं आई,” और यहां तक कि महत्वपूर्ण वृद्धि के मामले में भी, ब्रोकरेज निफ्टी 50 में 5-10% से अधिक की गिरावट नहीं देखता है।
इधर, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से भारत में कोई बड़ी आर्थिक बाधा उत्पन्न नहीं होगी। हालांकि, यह पाकिस्तान के लिए झटका होगा क्योंकि इससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार दबाव में आ सकता है और उसकी वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है। रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने ‘भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से पाकिस्तान की वृद्धि पर असर’ शीर्षक से सोमवार को रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि उसे भारत की आर्थिक गतिविधियों में कोई बड़ा व्यवधान उत्पन्न होने के आसार नहीं दिखते क्योंकि पाकिस्तान के साथ उसके आर्थिक संबंध बहुत मामूली हैं। वर्ष 2024 में भारत के कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 0.5 प्रतिशत से भी कम रही थी।
भारत ने लिए बड़े एक्शन
बता दें कि पहलगाम अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई कड़े एक्शन लिए हैं। इनमें सिंधु जल संधि (IWT), द्विपक्षीय व्यापार और शिपिंग और लॉजिस्टिक्स संचालन को निलंबित करने के अलावा पाकिस्तानी एयरलाइनों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र को बंद करना, ये सभी उपाय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने के उद्देश्य से किए गए हैं। इधर, ईटी की एक खबर के मुताबिक, भारत 9 मई को बहुपक्षीय संस्था की आगामी बोर्ड बैठक में पाकिस्तान को प्रस्तावित 1.3 बिलियन डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ऋण का विरोध कर सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि जब कर्ज लिया जाएगा, तो बोर्ड की बैठक में पड़ोसी देश द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने पर चर्चा की जाएगी।” आईएमएफ बोर्ड 9 मई को अपने जलवायु लचीलापन ऋण कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान के लिए 1.3 बिलियन डॉलर की नई व्यवस्था पर चर्चा करेगा। इधर, IMF के मुताबिक, भारत इस साल तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
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