Source :- NEWS18
Last Updated:May 15, 2025, 21:47 IST
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से पहले अपनी मां के पैर छूए. यह भारतीय संस्कृति में बड़ों के प्रति सम्मान और विनम्रता को दर्शाता है.
जस्टिस गवई अपनी मां कमलताई गवई के पैर छूए.
हाइलाइट्स
- न्यायमूर्ति गवई ने शपथ से पहले मां के पैर छुए.
- भारतीय संस्कृति में चरण स्पर्श सम्मान का प्रतीक है.
- चरण स्पर्श से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है.
Why Touching Mother’s Feet Holds Deep Significance in Indian Culture: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को एक साहसी और निर्णय लेने वाले न्यायधीश के रूप में जाना जाता है, जो अपने विचार साफ तौर पर रखते हैं. बुधवार को न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 52वें मुख्य न्यायधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ दिलाई. पर शपथ लेने से पहले जस्टिस गवई अपनी मां कमलताई गवई के पैर छूते नजर आए. भारतीय परंपरा की इस भावुक झलक में इससे पहले भारतीय वायु सेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह भी शपथ लेने से पहले अपनी मां के पैर छूते नजर आए. इन दो तस्वीरों में नजर आ रहे बेटे देश के 2 सबसे शक्तिशाली पदों पर बैठे हैं, लेकिन उस सीढ़ी पर चढ़ने से पहले वो अपनी मां के चरणों में झुकते नजर आए. यह दृश्य भारतीय संस्कृति में गहराई से जड़े मूल्यों, सम्मान, विनम्रता और बड़ों के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है, जिन्हें पीढ़ियों से संजोकर रखा गया है.
विनम्रता, सम्मान और कृतज्ञता की परंपरा
बड़ों के पैर छूना, जिसे प्रणाम या चरण स्पर्श कहा जाता है, भारत की एक प्राचीन परंपरा है. यह कृतज्ञता, मार्गदर्शन और बड़ों के त्याग को सम्मान देने का प्रतीक होता है. यह माना जाता है कि माता-पिता जैसे बड़ों का आशीर्वाद लेने से किसी भी नए कार्य में सफलता और शुभता मिलती है. यह परंपरा पद, प्रतिष्ठा या उपलब्धियों से ऊपर उठकर होती है. दरअसल चरण स्पर्श भारतीय संस्कृति की एक ऐसी परंपरा है जो आपको विनम्र और झुकना सिखाती है. भारतीय परिवारों में बच्चों को शुरू से ही बड़ों का सम्मान करना सिखाया जाता है, और चरण स्पर्श उसका एक भावनात्मक प्रतीक होता है. यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि दिल से किया गया वह भाव है जो बड़ों के योगदान को स्वीकार करता है. चाहे नई शुरुआत हो, त्योहार हो या कोई महत्वपूर्ण अवसर, यह परंपरा परिवार को जोड़ती है और विनम्रता को बनाए रखती है.
भारतीय संस्कृति में पैर छूने का क्या मतलब है?
आजकल आपने Gratitude प्रैक्टिस की बातें सुनी होंगी. ये एक नया कॉन्सेप्ट है जिसे लोग मेनीफेस्टेशन प्रैक्टिस के दौरान अपनाते हैं. लेकिन भारतीय संस्कृति में कृतज्ञता यानी ग्रैटिट्यूड का भाव हमेशा से ही हमारे मूल में रहा है. नकारात्मकता और शिकायती रवैये से इतर भारतीय संस्कृति बड़ों के पैर छूने की परंपरा और पितृ-पक्ष पूजा के माध्यम से अपने पूर्वजों तक का आभार मानती है. जानीमानी ज्योतिषाचार्य गर्गी ए जैतली भी इस परंपरा के ज्योतिषीय महत्व को बताती हैं. वह बताती हैं, ‘ज्योतिष में माता आपका चंद्र ग्रह होती है. आपकी मां चंद्रमा की प्रतिनिधि मानी जाती हैं. चंद्रमा मन, भावना, और मानसिक संतुलन का कारक है. यानी जब आप अपनी मां के पैर छूते हैं तो आप अपना चंद्रमा बलवान कर रहे होते हैं. माता के चरण छूने से मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन, पारिवारिक सुख और बेहतर स्मरण शक्ति जैसे लाभ मिलते हैं. मां के चरण छूने से आप अपने भीतर संवेदनशीलता को भी बढ़ावा देते हैं.

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायधीश बने हैं.
तेजी से आधुनिक होते भारत में, जहां परंपरागत मूल्य कभी-कभी आधुनिक जीवनशैली के दबाव में आ जाते हैं. ऐसे समय में वायु सेना प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश का यह सार्वजनिक कदम एक शक्तिशाली संदेश देता है कि भारतीय संस्कृति आज भी उतनी ही मजबूत है, जितने पहले थे. यह दिखाता है कि चाहे इंसान कितना भी ऊंचा क्यों न पहुंच जाए, बड़ों का आशीर्वाद हमेशा ताकत और प्रेरणा का स्रोत बना रहता है.
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दीपिका शर्मा पिछले 5 सालों से News18 Hindi में काम कर रही हैं. News Editor के पद पर रहते हुए Entertainment सेक्शन को 4 सालों तक लीड करने के साथ अब Lifestyle, Astrology और Dharma की टीम को लीड कर रही हैं. पत्र…और पढ़ें
दीपिका शर्मा पिछले 5 सालों से News18 Hindi में काम कर रही हैं. News Editor के पद पर रहते हुए Entertainment सेक्शन को 4 सालों तक लीड करने के साथ अब Lifestyle, Astrology और Dharma की टीम को लीड कर रही हैं. पत्र… और पढ़ें
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