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कई घरों में शादी के बाद बेटा अपने मां-बाप और पत्नी के बीच घुन की तरह पिसता रहता है। जब मां-बाप और बहू की न बनें और बेटा दोनों से प्यार करे, ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए। जानें प्रेमानंद महाराज का जवाब।

प्रेमानंद महाराज के सत्संग में लोग अपनी कई तरह की समस्याएं लेकर पहुंचते हैं। गृहस्थ जिंदगी से जुड़ी समस्याएं भी कई बार उनके सामने रखी जा चुकी हैं। एक वायरल वीडियो में उन्होंने घर-घर की एक कॉमन समस्या का काफी अच्छा जवाब दिया है। उनसे सवाल किया गया था कि एक शख्स माता-पिता को बहुत प्यार करते हैं। संसार में सबसे ऊपर समझते हैं। पत्नी से भी बहुत प्यार करते हैं लेकिन पत्नी और माता-पिता में अच्छी सुलह नहीं है। यहां पढ़ें प्रेमानंद महाराज ने इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या कहा।
माता-पिता की सेवा से नहीं रोक सकती अर्धानिंगी
प्रेमानंद महाराज बोले, प्राथमिकता माता-पिता की रखनी है क्योंकि अर्धानिंगी हमारा ही अंग है। हमें माता-पिता ने प्रकट किया है। अर्धांगिनी भले माता-पिता की सेवा न करे लेकिन वह माता-पिता की सेवा से नहीं रोक सकती। पति को कहना चाहिए, हम आपकी सुविधा और अनुकूलता आपको देंगे लेकिन माता-पिता की सेवा में जरा भी विरोध करती हैं तो हमारे और आपके संबंध में विरोध हो जाएगा। यह बात जरूर आपमें होना चाहिए।
पत्नी से कह दें यह बात
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं जो पत्नी के कहने पर माता-पिता का त्याग कर दे ऐसा बेटा किस काम का। धर्म में वीरता नहीं रही। जो लड़की इस तरह के व्यवहार वाली हो जो कहे, ‘आप हमसे प्यार करते हैं तो माता-पिता का त्याग कर दो।’ उससे कहें कि त्याग के लिए तैयार रहना। जिस दिन माता-पिता की सेवा में व्यवधान पैदा करोगी उस दिन संबंध विच्छेद हो जाएगा। अगर माता-पिता की सेवा करती हो तो प्राणों से प्यारी हो जाओगी। अगर नहीं करती हो तो अधिकार दिए जाएंगे लेकिन माता-पिता की सेवा में जाने से नहीं रोकना चाहिए। माता-पिता भगवान का रूप हैं तो बेटे को माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
अगर मां-बाप करें गलत व्यवहार…
प्रेमानंदजी से जब पूछा गया कि अगर माता-पिता गलत व्यवहार करें तो? इस पर वह बोले, ‘उन्हें पता होना चाहिए कि बुढ़ापा आ रहा है। अगर ज्यादा उद्दंडता करेंगे तो दुर्गति को प्राप्त होंगे। अगर माता-पिता अपना सब कुछ करने लायक हों और बहू-बेट से ईर्ष्या करें तो बेटे को चाहिए कि वह दूर से देखता रहे। उनकी सेवा में न जाए। जिस दिन वह करने की स्थिति में न रहें फिर गाली भी दें तो उनकी सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वे बुजुर्ग हैं। 60-70 के बाद मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जो माता-पिता की सेवा करता है भगवान उससे खुश हो जाते हैं।
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