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प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत और पाकिस्तान की सीमा पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। युद्ध की संभावनाओं के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कल बड़ा फैसला किया। केद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश दिया कि वह सायरन बजवा कर लोगों को युद्ध वाला सायरन पहचनना सीखाएं और कैसे उस दौरान बचाव करना है इसे लेकर जागरूक किया जाए। ऐसे में आज मुंबई के दादर के एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल का सायरन बजाकर तैयारियों का जायजा लिया गया। इस दौरान कुछ देर तक युद्ध का सायरन बजता रहा। इसी तरह श्रीनगर में भी डल झील में मॉक ड्रिल की तैयारियां की गईं। गुजरात समेत कई राज्यों में 7 मई को मॉक ड्रिल करके तैयारियों को पुख्ता किया जाएगा। 

सायरन बजाने का मकसद

युद्ध के समय जब युद्ध का सायरन बजता है तो उसके कई मायने होते हैं। जैसे- हवाई हमले की वार्निंग के लिए सायरन बजाया जाता है। इसके अलावा एयरफोर्स के साथ रेडियो संपर्क को चालू करने के लिए, हमले के दौरान सिविल डिफेंस की तैयारियों की जांच के लिए, हमले के दौरान ब्लैकआउट एक्सरसाइज के लिए और कंट्रोल रूम की तैयारियों की जांच के लिए ये सायरन बजाए जाते हैं। 

युद्ध का सायरन बजे तो क्या करें?

  • सबसे पहले सुरक्षित स्थानों की तरफ जाएं और बचें।
  • 5 से 10 मिनट में सेफ लोकेशन पर पहुंचे।
  • सायरन बजे तो बिल्कुल भी पैनिक न हों।
  • सायरन बजते ही खुले इलाकों से हट जाएं।
  • टीवी, रेडियो पर अलर्ट ध्यान से सुनें।

कैसे पहचाने युद्ध के सायरन को?

युद्ध के समय जो युद्ध का सायरन बजेगा, वह 2 से 5 किमी दूर तक सुनाई देगा। युद्ध का सायरन आम अलार्म की तरह होगा लेकिन एंबुलेंस की सायरन जैसा नहीं उससे अलग होगा। यह तेज आवाज वाला वार्निंग सिस्टम होगा जो 120-140 डेसिबल तक का आवाज करता है। इसका मकसद होगा एयर स्ट्राइक की सूचना हमले से पहले देना।

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