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ट्रंप ने चीन को रूस के युद्ध समर्थन से रोकने के लिए दबाव बनाने से अचानक नरमी दिखाई है। ट्रंप इस मुद्दे को अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में पीछे रखकर, अमेरिका और चीन के बीच अन्य द्विपक्षीय मामलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध में पलटी मारी है। उन्होंने रूस के युद्ध प्रयासों के लिए चीन को रोकने की कड़ी नीति से अचानक पीछे हटना शुरू कर दिया है। यूक्रेन संकट को विदेशी नीति की प्राथमिकताओं से नीचे रखकर ट्रंप अब चीन के साथ अपने रिश्तों के दूसरे अहम मसलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन यूक्रेन में जारी युद्ध को अमेरिकी विदेश नीति के शीर्ष एजेंडा से नीचे रख रहा है, जबकि चीन के साथ तकनीकी प्रतिबंध, टैरिफ और दुर्लभ धातुओं जैसे विषयों को प्राथमिकता दे रहा है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि ट्रंप अपनी रणनीति कभी भी बदल सकते हैं।

अगर वाइट हाउस इस नीति को जारी रखता है, तो यह अमेरिका और ग्रुप ऑफ़ सेवन की उस लंबे समय से चली आ रही नीति से बड़ा बदलाव होगा, जिसमें चीन को रूस के युद्ध प्रयासों का एक मुख्य समर्थक बताया जाता था। मार्च में G-7 के विदेश मंत्रियों ने भी चीन द्वारा मास्को के समर्थन की निंदा की थी और उसे वार्ता के लिए पुतिन पर दबाव डालने को कहा था।

चीन पर नरम रुख

हाल ही में ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ फोन पर बातचीत के बाद कहा कि “रूस/यूक्रेन पर कोई चर्चा नहीं हुई।” वाइट हाउस के प्रवक्ताओं ने इस विषय पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की। यह मुद्दा इस महीने कनाडा के अल्बर्टा में होने वाले G-7 समिट में भी चर्चा में आने की संभावना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कोई भी नेता ट्रंप प्रशासन को चीन पर सख्त भाषा अपनाने के लिए राजी कर पाएगा या नहीं।

ट्रंप की यह नीति पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की उस रणनीति से अलग है, जिसमें विदेश संबंधों को पूरी तरह से यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में देखा जाता था। ट्रंप की टीम चीन के साथ उन मुद्दों पर जोर देना चाहती है जो अमेरिकी राष्ट्रीय हित के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं।

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रूस की आलोचना भी नहीं करेंगे

हाल ही में ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन की कड़ी आलोचना की थी। अब ट्रंप अपनी विदेश नीति में बदलाव करने जा रही है। जानकारों का कहना है कि ट्रंप चीन को सीधे तौर पर रूस के युद्ध प्रयासों का समर्थन करने के लिए निशाना नहीं बना रहे क्योंकि वे पुतिन संग बातचीत में यूक्रेन युद्ध खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप के करीबी रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा है कि वे G-7 समिट से पहले रूस पर नए प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं। उन्होंने एक बिल पेश किया है जिसमें रूस को तेल बेचने से चीन और भारत को रोकने की मांग है।

अमेरिकी अधिकारी यूरोपीय देशों की आलोचना भी कर रहे हैं जो अभी भी रूस से ऊर्जा खरीद रहे हैं, जबकि वे चीन के निर्यात को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हैं। वहीं यूरोपीय संघ ने भी सार्वजनिक रूप से दबाव बनाए रखा है और द्विपक्षीय वार्ताओं में इस मुद्दे को उठाया है। यूरोपीय संघ की मुख्य राजनयिका काजा कालास ने हाल ही में सिंगापुर में कहा कि चीन रूस के युद्ध प्रयासों में मदद कर रहा है।

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