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भारत में आग लगने की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं।
भारत में अग्निकांड की घटनाएं समय-समय पर भारी जनहानि और संपत्ति के नुकसान का कारण बनी हैं। ये घटनाएं शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में होती रही हैं, जिनके पीछे कई कारण जैसे लापरवाही, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, और जागरूकता की कमी शामिल हैं। आज हम आपको भारत के कुछ बड़े अग्निकांडों, उनके कारणों, और रोकथाम के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। एक बात साफ कर दें कि ये जरूरी नहीं कि हताहतों की संख्या के मामले में ये देश के सबसे बड़े अग्निकांड हों, लेकिन इन अग्नि दुर्घटनाओं ने देश की आत्मा को जरूर झकझोर दिया था। आइए, आपको ऐसे 5 बड़े अग्निकांडों के बारे में बताते हैं:
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1: उपहार सिनेमा अग्निकांड, दिल्ली (1997)
13 जून 1997 को दिल्ली के ग्रीन पार्क में स्थित उपहार सिनेमा हॉल में फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। आग और धुएं ने हॉल में मौजूद दर्शकों को फंसा दिया, और निकास मार्गों की कमी और अवरुद्ध दरवाजों ने स्थिति को और बदतर बना दिया। इस घटना में 59 लोगों की मौत हुई जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। आग लगने और जनहानि का कारण खराब रखरखाव, अग्नि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन, और अपर्याप्त निकास मार्ग को माना गया।
2: कुंभकोणम स्कूल अग्निकांड, तमिलनाडु (2004)
16 जुलाई 2004 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित सरस्वती इंग्लिश मीडियम स्कूल में रसोईघर में आग लगी, जो छप्पर की छत के माध्यम से तेजी से फैली। इस घटना में बच्चे संकरे रास्तों में फंस गए, जिससे वे समय पर बाहर निकल नहीं पाए। इस दिल दहला देने वाले हादसे में 94 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी और 18 घायल हो गए थे। आग लगने के कारणों में रसोई में लापरवाही, ज्वलनशील सामग्री का उपयोग, और अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी को पाया गया।
भारत में आग लगने की घटनाओं में हर साल कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।
3: कोलकाता AMRI अस्पताल अग्निकांड (2011)
9 दिसंबर 2011 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ढाकुरिया में स्थित AMRI अस्पताल के तहखाने में आग लगी। यह आग तहखाने में अवैध रूप से ज्वलनशील सामग्री के भंडारण के कारण शुरू हुई और इसका धुआं एयर कंडीशनिंग सिस्टम के माध्यम से ऊपरी मंजिलों तक फैल गया। आग और धुआं इतनी तेजी से फैला कि मरीज और कर्मचारी ऊपरी मंजिलों पर फंस गए। अस्पताल ने फायर ब्रिगेड को समय पर सूचित नहीं किया, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई नतीजतन 89 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और कई अन्य घायल हो गए। जांच में दुर्घटना का कारण अवैध तहखाना, अग्नि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन, और लापरवाही को माना गया।
4: मुंडका फैक्ट्री अग्निकांड, दिल्ली (2022)
13 मई 2022 को दिल्ली के मुंडका में स्थित एक व्यावसायिक इमारत में आग लगी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण होता था। आग शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई और ज्वलनशील सामग्री ने इसे और भी ज्यादा भड़का दिया। इमारत से बाहर निकलने की जगहों के अपर्याप्त होने और अग्नि सुरक्षा उपकरणों की कमी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। इस भीषण अग्निकांड में कई बच्चों समेत 33 लोगों की मौत हो गई जबकि 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस अग्नि दुर्घटना कारण शॉर्ट सर्किट, ज्वलनशील सामग्री, और अग्नि सुरक्षा की कमी को पाया गया।
5: राजकोट गेम जोन अग्निकांड, गुजरात (2024)
25 मई 2024 को गुजरात के राजकोट में एक गेमिंग जोन में आग लगी, जिसमें ज्वलनशील सामग्री और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण आग तेजी से फैली। बच्चे और उनके परिजन अंदर ही फंस गए और बाहर निकल नहीं पाए। इस दुर्घटना में 28 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इस दुर्घटना के कारणों में ज्वलनशील सामग्री, अपर्याप्त अग्नि सुरक्षा, और लापरवाही को पाया गया।
कोलकाता में हुई 14 लोगों की मौत
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बड़ा बाजार में स्थित मछुआ इलाके में होटल ऋतुराज में लगी आग में 14 लोगों की मौत हो गई। आग इस 5 मंजिला होटल की पहली मंजिल पर लगी और तेजी से फैल गई। लोग खिड़कियों और छतों से कूदकर जान बचाने की कोशिश करते नजर आए और इस वजह से भी मौतें हुईं। शुरुआती जांच के मुताबिक, यह आग किचन से फैली थी।
इन अग्निकांडों ने भारत को दहला दिया था।
भारत में अग्निकांड के प्रमुख कारण
भारत में आग लगने की घटनाएं आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से होती हैं:
- शॉर्ट सर्किट और बिजली से संबंधित खराबी: पुराने वायरिंग सिस्टम, सस्ते उपकरणों का उपयोग, और ओवरलोडिंग के कारण शॉर्ट सर्किट आम है।
- ज्वलनशील सामग्री का अनुचित भंडारण: अस्पतालों, फैक्ट्रियों, और व्यावसायिक इमारतों में ज्वलनशील पदार्थों का असुरक्षित भंडारण आग को बढ़ावा देता है।
- लापरवाही: रसोई में खाना बनाते समय लापरवाही, मोमबत्ती, अगरबत्ती, या सिगरेट का अनुचित उपयोग।
- अग्नि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन: राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) के मानकों का पालन न करना, जैसे निकास मार्गों की कमी और अग्निशामक यंत्रों की अनुपस्थिति।
- अनियोजित शहरीकरण: गगनचुंबी इमारतों में अग्नि सुरक्षा संसाधनों की कमी और जागरूकता का अभाव।
- अपर्याप्त प्रशिक्षण: कर्मचारियों को अग्निशामक उपकरणों के उपयोग की जानकारी न होना।
अग्निकांड से बचने के उपाय
अग्निकांड से बचने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है:
1: अग्नि सुरक्षा उपकरणों का उपयोग
- इमारतों में अग्निशामक यंत्र, स्मोक डिटेक्टर, और स्प्रिंकलर सिस्टम लगाएं।
- नियमित रूप से इन उपकरणों का रखरखाव और जांच करें।
2: निकास मार्गों की व्यवस्था
- सभी इमारतों में स्पष्ट और बगैर किसी बाधा का निकास मार्ग सुनिश्चित करें।
- आपातकालीन निकास के लिए साइनेज और लाइटिंग का इस्तेमाल करें।
3: जागरूकता और ट्रेनिंग
- कर्मचारियों और निवासियों को अग्निशामक उपकरणों के उपयोग और इमरजेंसी एग्जिट की प्रक्रिया की ट्रेनिंग दें।
- नियमित रूप से मॉक ड्रिल आयोजित करें।
4: बिजली से संबंधित सावधानियां
- हाई क्वॉलिटी वाले MCB, रिले, और स्टेबलाइजर्स का उपयोग करें।
- नियमित रूप से वायरिंग की जांच करें और ओवरलोडिंग से बचें।
5: ज्वलनशील सामग्री का प्रबंधन
- ज्वलनशील पदार्थों को सुरक्षित स्थानों पर स्टोर करें।
- रसोई और अन्य जोखिम वाले क्षेत्रों में सावधानी बरतें।
6: आपातकालीन सेवाओं से संपर्क
- आग लगने पर तुरंत फायर ब्रिगेड (101) या इमरजेंसी नंबर (112) पर कॉल करें।
- आतंकित होने के बजाय शांत रहकर बचाव कार्य शुरू करें।
7: कानून और नियमों का पालन
- राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) के अग्नि सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करें।
- नियमित ऑडिट और इंस्पेक्शन सुनिश्चित करें।
कड़े नियमों का पालन महत्वपूर्ण
भारत में अग्निकांड की घटनाएं ज्यादातर मानवीय लापरवाही, अपर्याप्त सुरक्षा उपायों, और नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। उपहार सिनेमा, कुंभकोणम स्कूल, और कोलकाता AMRI अस्पताल जैसे हादसों ने अग्नि सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है। इन घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता, प्रशिक्षण, और कड़े नियमों का पालन महत्वपूर्ण है।
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