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पहले डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दो घंटे की बातचीत में पुतिन को यूक्रेन से बातचीत के लिए मना लिया है। अब चीन का डिप्लोमैटिक बयान आया है कि वह दोनों के बीच शांति का शुरुआत से समर्थन कर रहा है।

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी युद्ध को लेकर एक बार फिर कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को ऐलान किया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की है और इसके बाद दोनों देशों ने “तुरंत” शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई है। हालांकि, यह बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन ट्रंप इसे अपनी एक बड़ी कामयाबी के तौर पर दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं।

इस ऐलान के ठीक बाद चीन भी इस घटनाक्रम में सक्रिय हो गया है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “चीन शांति के लिए किए गए सभी प्रयासों का समर्थन करता है। हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष बातचीत और संवाद की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।” चीन का बयान डिप्लोमैटिक और संतुलित है, लेकिन संकेत साफ हैं कि वह खुद को ‘शांतिदूत’ की भूमिका में पेश कर रहा है।

ट्रंप ने खुद को बताया वार्ता का सूत्रधार

डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि पुतिन से उनकी दो घंटे लंबी फोन कॉल के बाद ही रूस-यूक्रेन में तत्काल शांति वार्ता की सहमति बनी। उन्होंने कहा कि अगर बातचीत आगे बढ़ती है तो इससे न सिर्फ युद्ध थमेगा बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी बल मिलेगा। ट्रंप प्रशासन इसे उनकी “डीलमेकर” वाली छवि का प्रमाण बता रहा है।

‘शांतिदूत’ बनने की कोशिश में चीन

उधर, चीन ने भी रूस-यूक्रेन सीजफायर से पहले क्रेडिट लेना शुरू कर दिया है। मंगलवार को उसके बयान से साफ है कि वह भी लंबे समय से दोनों देशों के बीच शांति चाहता है। चीन पहले भी रूस-यूक्रेन विवाद में मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है। 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन से मुलाकात की थी और ‘शांति प्रस्ताव’ का सुझाव दिया था, हालांकि उस वक्त यूक्रेन और पश्चिमी देश चीन की पहल को निष्पक्ष नहीं मानते थे। अब जब ट्रंप के दावे के बाद शांति वार्ता की जमीन बन रही है, तो बीजिंग एक बार फिर खुद को शांतिदूत के रूप में पेश करना चाहता है।

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तीन साल से चल रही जंग

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था। रूस ने यूक्रेन पर पूरी ताकत से हमला बोला था। अब तक इस जंग में अरबों की संपदा खाक हो चुकी है और दोनों ओर से लाखों जानें जा चुकी है। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। कई बार युद्धविराम और शांति वार्ता की कोशिशें हुईं लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। 2023 में वॉशिंगटन, बीजिंग और इस्तांबुल में भी बैकचैनल डिप्लोमेसी के प्रयास हुए थे, लेकिन रूस ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता और पश्चिमी समर्थन को लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ था।

अभी तक रूस या यूक्रेन की तरफ से शांति वार्ता की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे और चीन की बयानबाजी से संकेत मिल रहा है कि बड़े स्तर पर कूटनीतिक गतिविधियां शुरू हो सकती हैं।

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