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Health risks of plastic packaging: वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हमारे पेट में जाकर सूजन और सर्कुलेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे ये खतरा पैदा होता है। आइए जानते हैं प्लास्टिक कंटेनर में पैक किए हुए भोजन को खाने से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

ऑफिस या कॉलेज से लौटते ही तेज भूख लगी हुई हो और 15-20 मिनट में ही आपका फेवरेट फूड बिना कोई मेहनत किए प्लास्टिक के काले डिब्बों में फैंसी पैकिंग के साथ घर के दरवाजे तक आ जाए। तो भूख के साथ गुस्सा भी कहीं गायब हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आपकी यह कुछ देर की खुशी लंबे समय में आपको कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में ला सकती है। जी हां, यहां बात होटल के खाने की नहीं बल्कि उसे पैक करने के लिए यूज किए जाने वाले काले प्लास्टिक के डिब्बों की हो रही है। प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स सेहत को नुकसान पहुंचाकर हार्ट फेलियर, कैंसर, हार्मोनल असंतुलन जैसे रोगों का खतरा पैदा करते हैं।

हाल ही में साइंसडायरेक्ट डॉट कॉम पर छपी एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्लास्टिक के कंटेनरों में खाना परोसने और खाने से दिल की गंभीर बीमारी, खासकर कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हमारे पेट में जाकर सूजन और सर्कुलेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे ये खतरा पैदा होता है। आइए जानते हैं प्लास्टिक कंटेनर में पैक किए हुए भोजन को खाने से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

प्लास्टिक कंटेनर में पैक किए हुए भोजन को खाने के नुकसान

हृदय रोग

प्लास्टिक कंटेनर से माइक्रोप्लास्टिक्स (1 मिमी से छोटे प्लास्टिक कण) भोजन में रिस सकते हैं, खासकर जब कंटेनर को माइक्रोवेव में गर्म किया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, माइक्रोवेव में 3 मिनट तक गर्म करने पर 1 वर्ग सेंटीमीटर प्लास्टिक से 4.22 मिलियन माइक्रोप्लास्टिक और 2.11 बिलियन नैनोप्लास्टिक कण निकल सकते हैं। ये कण शरीर में जमा होकर सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव, और पुरानी बीमारियों जैसे हृदय रोग और मधुमेह का खतरा बढ़ा सकते हैं।

इम्यूनिटी पर असर

माइक्रोप्लास्टिक्स और रसायन जैसे फ्थैलेट्स प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करके शरीर में सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं। लंबे समय तक इस जोखिम के संपर्क में रहने से ऑटोइम्यून विकारों का खतरा बढ़ सकता है।

पाचन तंत्र पर प्रभाव

प्लास्टिक से रिसने वाले सूक्ष्म कण भोजन के साथ शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे पाचन तंत्र में सूजन और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

कैंसर का खतरा

कुछ अध्ययनों में प्लास्टिक कंटेनर से रिसने वाले रसायनों को कैंसर, विशेष रूप से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर, से जोड़ा गया है। गर्म करने पर यह जोखिम और बढ़ जाता है।

हार्मोनल समस्याएं

प्लास्टिक कंटेनर से रिसने वाले रसायन हार्मोनल समस्याएं पैदा कर सकते हैं। बीपीए और थैलेट्स जैसे रसायन शरीर में एस्ट्रोजन की नकल करके थायराइड की समस्या, प्रजनन संबंधी विकार और मधुमेह का जोखिम बढ़ सकता है।

कंटेनर पर चेक करें यह नंबर

ज्यादातर प्लास्टिक के खाने के डिब्बों के नीचे एक नंबर लिखा होता है, इसके आधार पर उनका सुरक्षित होना और न होना तय किया जा सकता है। उदाहरण के लिए 7, 3 और 6 नंबर के कंटेनर का खाना खाने के लिए सेफ नहीं माना जाता है।

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