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भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को एक ‘ऐतिहासिक’ ट्रेड डील पूरा कर लिया। इस डील के बाद में भारत में लेदर, ज्वेलरी, जूते एवं कपड़़ों के दाम घट जाएंगे।

UK-India Free Trade Agreement (FTA) signed: भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को एक ‘ऐतिहासिक’ ट्रेड डील पूरा कर लिया। इस डील के बाद में भारत में लेदर, ज्वेलरी, जूते एवं कपड़़ों के दाम घट जाएंगे। इसके अलावा अब कार खरीदना भी सस्ता पड़ेगा। दरअसल, इस ट्रेड डील के बाद अब लेदर, जूते एवं कपड़ों जैसे लेबल इन्सेंटिव प्रोडक्ट्स के निर्यात पर शुल्क हटा देगा, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की एवं कारों का आयात सस्ता हो जाएगा। एफटीए लागू होने पर ब्रिटेन के बाजार में 99 प्रतिशत भारतीय प्रोडक्ट्स पर शुल्क जीरो हो जाएगा जबकि भारतीय श्रमिकों को ब्रिटेन की इमिग्रेशन सिस्टम में बदलाव के बगैर ही यात्रा करने की अनुमति होगी।

इसके अलावा भारतीय कपड़े, फ्रोजन झींगे, ज्वेलरी एवं रत्नों के निर्यात पर करों में कटौती की जाएगी। इसी तरह ब्रिटेन से व्हिस्की और जिन जैसी शराब किस्मों के आयात शुल्क में भी कटौती की जाएगी। इस समझौते से वर्ष 2030 तक दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार दोगुना होकर 120 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है। बता दें कि दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भारत और छठी बड़ी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन ने तीन साल की बातचीत के बाद यह व्यापार समझौता पूरा कर लिया है।

डेयरी प्रोडक्ट्स पर रियायत नहीं

भारत फ्री ट्रेड डील के तहत डेयरी प्रोडक्ट्स, सेब और पनीर जैसी संवेदनशील कृषि वस्तुओं पर आयात शुल्क में ब्रिटेन को कोई रियायत नहीं देगा। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि करीब 10 प्रतिशत शुल्क लाइनें संवेदनशील वस्तुओं की सूची में हैं। अधिकारी ने कहा, “डेयरी उत्पाद, सेब, पनीर आदि कृषि उत्पादों को किसी भी शुल्क रियायत से बाहर रखा गया है। इससे भारत को अपने किसानों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।” भारत ने पिछले साल मार्च में हस्ताक्षरित ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) व्यापार समझौते के तहत स्विट्जरलैंड और नॉर्वे को भी डेयरी क्षेत्र में कोई शुल्क रियायत नहीं दी है।

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ये सामान भी होंगे सस्ते

दोनों पक्षों के कोटा के तहत वाहनों के आयात पर शुल्क 10 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे टाटा-जेएलआर जैसी वाहन कंपनियों को लाभ होगा। ब्रिटेन में शून्य शुल्क पर प्रवेश करने वाले भारतीय उत्पादों में खनिज, रसायन, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक, रबड़, लकड़ी, कागज, कपड़े, कांच, सिरेमिक, यांत्रिक एवं बिजली मशीनरी, हथियार/गोला-बारूद, परिवहन/वाहन, फर्नीचर, खेल के सामान, पशु उत्पाद और प्रोसेसिंग फूड प्रोडक्ट्स शामिल हैं।

इन सेक्टर्स को होगा लाभ

मंत्रालय ने कहा कि भारत को लगभग 99 प्रतिशत उत्पाद श्रेणियों पर शुल्क हटने से लाभ होगा, जो लगभग 100 प्रतिशत व्यापार मूल्य को कवर करता है। सेवाओं के मोर्चे पर भी भारत को सूचना प्रौद्योगिकी एवं संबंधित सेवाओं, वित्त, पेशेवर और शैक्षणिक सेवा जैसे क्षेत्रों में लाभ होगा। मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रतिभाशाली और कुशल भारतीय युवाओं के लिए ब्रिटेन में अपार अवसर खुलेंगे, जो अपने मजबूत वित्तीय एवं पेशेवर सेवा क्षेत्रों और उन्नत डिजिटल बुनियादी ढांचे के कारण डिजिटल सेवाओं के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है।’’ इसके अलावा, भारत ने वास्तुकला, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर से संबंधित और दूरसंचार सेवाओं जैसी डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं पर महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं भी हासिल की हैं।

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क्या है डिटेल

मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए गैर-शुल्क बाधाओं को उचित रूप से संबोधित किया जाए और वे घरेलू निर्यात पर अनुचित प्रतिबंध न लगाएं। यह सौदा अब कानूनी औपचारिकता की प्रक्रिया से गुजरेगा जिसे ब्रिटिश संसद द्वारा अनुमोदित किया जाएगा और फिर इसे लागू किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन में लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है। इस समझौते के लिए दोनों देशों के बीच जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने कुल 14 दौर की वार्ता की।

एफटीए के तहत दो देश अधिकतम उत्पादों के व्यापार पर सीमा शुल्क को या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। इसके अलावा सेवाओं एवं द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाया जाता है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 21.34 अरब डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों में वस्तुओं का व्यापार 21.33 अरब डॉलर रहा।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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