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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। मोहम्मद यूनुस की लीडरशिप वाली सरकार ने भारत को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजने की पुष्टि की है, जिसमें मांग की गई है कि शेख हसीना को ढाका भेजा जाए। फिलहाल बांग्लादेश की पूर्व पीएम दिल्ली में ही किसी अज्ञात स्थान पर रह रही हैं। इसी साल 5 अगस्त को भड़की खूनी हिंसा के बीच वह दिल्ली आ गई थीं। उन्हें बांग्लादेश की वायुसेना का ही एक विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस तक छोड़कर गया था। तब से वह भारत में ही हैं। उन्होंने हाल ही में वर्चुअल माध्यम से ही अपनी पार्टी अवामी लीग के एक कार्यक्रम को संबोधित किया था।

शेख हसीना की सरकार का 5 अगस्त को 16 साल बाद तख्तापलट हो गया था। उन्हें भारत के साथ अच्छे रिश्तों, उदारवादी नीतियों और अन्य दलों के मुकाबले थोड़ा सेकुलर राजनीति के लिए जाना जाता है। ढाका स्थित इंटरनेशल क्राइम ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है। उनके अलावा कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य एवं न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भी वॉरंट जारी किए गए थे। 77 साल की शेख हसीना को भारत से वापस भेजे जाने की मांग बांग्लादेश सरकार कई बार कर चुकी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘हमने भारत सरकार को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा है। हमारी मांग है कि शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजा जाए ताकि उनके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।’

इससे पहले बांग्लादेश की होम मिनिस्ट्री के सलाहकार जहांगीर आलम का कहना है कि उनके दफ्तर से विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया है। इसमें मांग की गई है कि शेख हसीना को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इससे उनके खिलाफ मुकदमा चलाना आसान हो जाएगा। उनका कहना था कि फिलहाल प्रक्रिया जारी है। अब विदेश मंत्रालय ने उसके आगे की जानकारी देते हुए कहा है कि भारत को डिप्लोमैटिक नोट भेज दिया गया है। बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के दौर में शेख हसीना के पिता और बंगबंधु कहलाने वाले मुजीबुर रहमान की विरासत को भी टारगेट किया गया है। उनकी याद में बने संग्रहालय को आग के हवाले किया गया तो वहीं उनके नाम पर सरकारी छुट्टियों को भी समाप्त कर दिया गया है।

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