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Last Updated:January 11, 2025, 17:05 IST

महंगाई के बढ़ने के कारण पिछले 10 सालों की तुलना करें तो गजक के डेढ़ गुना भाव बढ़ गए हैं. वहीं व्यापारी कहते हैं कि महंगाई के कारण गजक व्यापारी भी परेशान होते हैं.

दौसा. सर्दी का मौसम है और गजक की बात न हो, ऐसा नहीं हो सकता. गजक के मामले में दौसा के साहू गजक नाम सबसे आगे है यहां पर 35 से 40 प्रकार की गजक बनाई जाती है, जिसकी पूरे देश और विदेश में मांग है. सर्दी के मौसम में तिल और गुड़ से बनी गजक खाने का खास चलन है. माना जाता है कि सर्दियों के मौसम में तिल या तिल से बनी गजक खाने से शरीर की इम्यूनिटी बनी रहती है.

साहू गजक निर्माता राम अवतार साहू बताते हैं कि वह लगभग दो दशकों से गजक बनाने का कार्य कर रहे हैं. साहू गजक भंडार पर करीब 35 से 40 प्रकार की गजक बनाई जाती है. सर्दी का सीजन चल रहा है तो गुड़ की बनी हुई गजक भी लोग अधिक पसंद करते हैं. गुड़ की तासीर भी गरम है और तिल की तासीर भी गरम होती है. यहां 10 प्रकार की गुड़ की गजक बनाई जाती है.

यह प्रमुख है दौसा की गजक
गजक निर्माता रामावतार साहू बताते हैं कि उनके द्वारा अनेक प्रकार की गजक बनाई जाती है लेकिन प्रमुख गजक मुरैना की कटिंग, मुरैना की गजक, भोजपुरी गजक, तसला गजक, कस्ता गजक, रेवड़ी तिल के लड्डू सहित अनेक प्रकार की गजक बनाई जाती है और साहू गजक के नाम से दौसा में गजक बनाई जाती है.

ऐसी बनाई जाती है गजक
दौसा के गजक निर्माता राम अवतार बताते हैं कि सबसे पहले ग्रेडिंग वाले तिलों की सबसे पहले सफाई की जाती है. इसके बाद तिलों को कढ़ाई में डालकर सिकाई की जाती है, उसके बाद गुड़ की चाचणी बनाई जाती है और गुड़ की चाचणी को खींचकर टाइट किया जाता है और उसमें गुड पर तिल मिलाकर उसकी कुटाई की जाती है. गुड और तिल की मजदूरों के द्वारा कुटाई इतनी की जाती है कि दोनों का एक रस हो जाता है जिससे गजक का स्वाद अच्छा आता है.

महंगाई के चलते 10 सालों में डेढ़ गुना बड़े भाव
गजक के व्यापारी बताते हैं कि पूरे दौसा में सर्दी के सीजन में लगभग ढाई करोड़ रुपए का व्यापार आराम से हो जाता है. पूरे जिले के व्यापारियों को मिलाकर यह अनुमान लगाया जाता है. लेकिन अब महंगाई भी बढ़ती गई है तो हमें भी परेशानियां होने लगी है. गजक व्यापारी बताते हैं कि लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है.

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