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सीरियन नेशनल आर्मी का एक सैनिक (फ़ाइल फ़ोटो)

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सीरिया में बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद तुर्की का मीडिया और देश के अधिकारियों का फ़ोकस उत्तरी सीरिया पर है. इस इलाक़े में कुर्द संगठनों का दबदबा है.

उत्तरी सीरिया में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) का ज़ोर है. ये संगठन सीरिया और तुर्की के कुछ इलाकों को मिलाकर अलग कुर्द देश की स्थापना करना चाहता है.

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने अलगाववादी एजेंडे का मज़बूती से विरोध किया है और हमेशा सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने की वचनबद्धता को दोहराया है.

तुर्की में सरकार समर्थक मीडिया ने इस मामले पर ज़्यादा खुलकर अपनी बात रखी है. अब देश का मीडिया सरकार से सीरिया में बदलावों का फायदा उठाने को कह रहा है.

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तुर्की में विशेषज्ञ अब सीरिया की अंतरिम सरकार और तुर्की समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना (एसएनए) से उत्तरी सीरियाई क्षेत्रों को आज़ाद करवाने की अपील कर रहे हैं.

इन इलाक़ों में कोबानी, क़ामिशली और रक्का जैसे शहर हैं.

तुर्की अपनी दक्षिणी सीमा पर सीरियाई कुर्द बलों के कब्ज़े वाले इलाक़ों में 30 किलोमीटर का बफ़र ज़ोन बनाने की योजना बना रहा है.

यह तुर्की की बहुत पुरानी योजना रही है.

उत्तरी सीरिया में घुसेगी तुर्की की सेना?

सीरिया के उत्तर-पूर्व में तुर्की के साथ लगी सीमा ( फ़ाइल फ़ोटो)

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तुर्की के अधिकारियों ने असद सरकार के पतन से पहले ही उत्तरी सीरिया में सैन्य अभियान के संकेत दे दिए थे.

नवंबर के मध्य में राष्ट्रपति अर्दोआन ने क़ामिशली में संभावित अभियान का मज़बूती से संकेत देते हुए कहा, “हम क़ामिशली में अपने सुरक्षा बलों के साथ ज़रूरी कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि हम वहाँ इस आतंकवादी संगठन की जड़ों को नष्ट कर सकें.”

असद सरकार के पतन के बाद उत्तरी सीरिया के मनबीज और ताल रिफ़ात इलाक़ों को एसएनए ने कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी) से अपने कब्ज़े में ले लिया था.

तुर्की के मीडिया के मुताबिक अब दूसरे इलाक़ों से भी कुर्द लड़ाकों के बेदख़ल करने का अभियान चल सकता है.

तुर्की की मीडिया रिपोर्टों ने ख़ास तौर पर कोबानी पर ज़ोर दिया है जो तुर्की की सीमा पर मौजूद है.

कोबानी तुर्की की घरेलू राजनीति के लिए ख़ास महत्व रखता है. साल 2014 में इस शहर पर इस्लामिक स्टेट समूह (आईएस) के कब्ज़े की आशंकाओं ने लोगों में बेचैनी फैला दी थी.

22 दिसंबर को तुर्की के डिफ़ेंस मिनिस्टर यासर गुलर ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ देश के दक्षिणी सीमावर्ती प्रांत किलिस का दौरा किया. यहां उन्होंने कहा कि तुर्की की प्राथमिकता वाईपीजी (कुर्द पृथकावादी संगठन) को ख़त्म करना है.

अगर कुर्द नेतृत्व वाले समूहों से इसे छुड़ा लिया जाता है तो तुर्की, सीरियाई सीमा के साथ इस बफर ज़ोन के ज़्यादातर हिस्से को सुरक्षित कर लेगा.

कुर्द अलगाववादी किसी भी तुर्की सेना के संभावित ऑपरेशन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. यही वजह है कि वो अमेरिका से कार्रवाई करने की अपील कर रहे हैं.

तुर्की के मीडिया में अक्सर कहा जाता है कि सीरिया के तेल ठिकानों से कुर्द नेतृत्व वाले संगठनों को दूर करना ज़रूरी है.

वाईपीजी पर क्या है तुर्की का रुख़?

तुर्की-सीरिया सीमा

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तुर्की के अधिकारियों ने लगातार कुर्द नेतृत्व वाले समूहों से हथियार डालने और संगठन को भंग करने की अपील की है.

तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने 14 दिसंबर को एनटीवी न्यूज़ वेबसाइट से कहा, “कुर्द नेतृत्व वाले समूह खुद को भंग कर लें नहीं तो उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा. वाईपीजी और पीकेके में जो लोग सीरियाई नहीं हैं और जिन्हें सीरिया में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का दर्जा प्राप्त है, उन्हें देश छोड़ देना चाहिए.”

तुर्की के मंत्री फिदान ने 22 दिसंबर को दमिश्क में हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेता अहमद अल-शरा के साथ अपनी संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अपनी बात दोहराई.

उन्होंने कहा, “पीकेके और वाईपीजी को तुरंत खुद को भंग कर लेना चाहिए. सीरिया अब बाथ पार्टी के शासन के अंधेरे से मुक्त हो गया है. उसे अब पीकेके और दाएश (इस्लामिक स्टेट) से भी मुक्त कर दिया जाएगा.”

कुर्द नेतृत्व वाली बहुजातीय सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) के नेता मजलूम आब्दी ने 19 दिसंबर को समाचार ऐजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अगर उत्तरी सीरिया में पूर्ण युद्धविराम हो जाता है तो एसडीएफ का समर्थन करने वाले गैर-सीरियाई कुर्द लड़ाके इस क्षेत्र को छोड़ देंगे.

ट्रंप की वापसी का तुर्की पर असर

तुर्की में रह रहे सीरियाई परिवार

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कुछ विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि ट्रंप के पदभार ग्रहण करने से पहले ही तुर्की को सीरिया में तेज़ अभियान शुरू करना चाहिए ताकि क्षेत्र के मौजूदा हालात को तुर्की के पक्ष में बदला जा सके.

सरकार समर्थक अख़बार ‘तुर्किए’ ने 23 दिसंबर को तर्क दिया कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रतिनिधि, ट्रंप के पदभार ग्रहण करने से पहले तुर्की और सीरिया को ‘रोकना’ चाह रहे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे.

सीरिया की अंतरिम सरकार में तुर्की के लोग

 एचटीएस प्रमुख अहमद अल-शरा

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तुर्की के मीडिया ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि नए सीरियाई प्रशासन के कुछ अधिकारियों का संबंध तुर्की से है.

इनमें विदेश मंत्री असद हसन अल-शिबानी, महिलाओं के मामलों की मंत्री आयशा अल-दिब्स और अलेप्पो के गवर्नर बनाए गए तुर्की समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना (एसएनए) कमांडर अज़म अल-ग़रीब भी शामिल हैं.

सरकार के कट्टर समर्थक येनी सफाक अख़बार ने इसे ‘सीरिया में नए प्रशासन में तुर्की की छाप’ बताया है.

अख़बार ने लिखा, “तुर्की में पढ़ने लिखने वालों को सीरिया में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारिया दी गई हैं.”

मीडिया में बताया गया है कि अल-शिबानी और अल-गरीब ने तुर्की में पढ़ाई की है, जबकि अल-दिब्स तुर्की मूल के सीरियाई नागरिक हैं.

सरकारी चैनल टीआरटी हैबर ने 23 दिसंबर को कहा कि अल-शिबानी ने इस्तांबुल के निजी सबाहतीन ज़ैम यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई की है.

यूनिवर्सिटी ने 21 दिसंबर को एक एक्स पोस्ट में अल-शिबानी को बधाई देते हुए कहा कि वो यूनिवर्सिटी में पीएचडी छात्र थे और उन्होंने साल 2022 में ‘2010-2020’ के बीच ‘तुर्की की सीरिया नीति पर अरब विद्रोह का असर’ नाम से थीसिस लिखी थी.

तुर्की के प्रमुख न्यूज़ चैनल ‘एनटीवी’ की वेबसाइट पर कहा गया है कि अल-दिब्स तुर्की के शिविरों में सीरियाई शरणार्थियों के साथ-साथ इदलिब में एक मानवीय संगठन के साथ काम कर चुके हैं.

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