Source :- LIVE HINDUSTAN
अगर कोई अनुभवी व्यक्ति पेरेंटिंग से जुड़ी कोई अच्छी सलाह या अपना अनुभव आपके साथ शेयर कर दे तो आपकी मुश्किलें थोड़ी आसान हो सकती हैं। सुधा मूर्ति ने अपने विवेक और सरलता भरे पेरेंटिंग सुझावों से कई पेरेंट्स की मुश्किलों को आसान बना दिया है।

अपने बच्चे में सफलता और आत्मविश्वास का गुण सभी माता-पिता देखना चाहते हैं। बावजूद इसके कई बार जाने-अनजाने में पेरेंट्स कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जो उनके बच्चों को दब्बू और जीवन में असफल बनाने लगती हैं। बच्चे की परवरिश माता-पिता के लिए भी एक नया अनुभव होती है, खासकर तब जब वो उनका पहला बच्चा होता है। बच्चे के साथ माता-पिता भी कई तरह के नए-नए अनुभवों से होकर गुजर रहे होते हैं। ऐसे में अगर कोई अनुभवी व्यक्ति पेरेंटिंग से जुड़ी कोई अच्छी सलाह या अपना अनुभव आपके साथ शेयर कर दे तो आपकी मुश्किलें थोड़ी आसान हो सकती हैं। सुधा मूर्ति ने अपने विवेक और सरलता भरे पेरेंटिंग सुझावों से कई पेरेंट्स की मुश्किलों को आसान बना दिया है। उनके विचार आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों का संतुलन बनाए हुए होते हैं। जो हर पीढ़ी के पेरेंट्स को फायदा दे सकते हैं।
बच्चों को उनकी गति से बढ़ने दें
सुधा मूर्ति का मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों पर अपनी आकांक्षाएं नहीं थोपनी चाहिए। प्रत्येक बच्चा अपनी अनूठी क्षमता और सपनों के साथ जन्म लेता है। उन्हें अपने रुचियों को खोजने और असफलताओं से सीखने की आजादी होनी चाहिए। यह बच्चों में आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को बढ़ाता है।
सादगी और कृतज्ञता सिखाएं
सुधा मूर्ति हमेशा सादगी भरे जीवन की वकालत करती हैं। उनका मानना है कि बच्चों को भौतिकवादी चीजों से ज्यादा रिश्तों और छोटी-छोटी खुशियों की कीमत समझानी चाहिए।
बच्चों का मार्गदर्शन करें
सुधा मूर्ति कहती हैं कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। सुधा मूर्ति सलाह देती हैं कि माता-पिता को उन गुणों का प्रदर्शन करना चाहिए जो वे अपने बच्चों में देखना चाहते हैं, जैसे ईमानदारी, दयालुता, और जिम्मेदारी। उदाहरण के लिए अगर आप बच्चों को पढ़ने की आदत डालना चाहते हैं तो खुद भी टीवी या फोन बंद करके पढ़ने बैठे।
बच्चों के साथ समय बिताएं
सुधा मूर्ति का मानना है कि अच्छी पेरेंटिंग किताबों में नहीं बल्कि अपने बच्चों के साथ क्वालिटी समय बिताने पर निर्भर करती है। आप अपने बच्चों के साथ भोजन करें, किताबें पढ़ें, या दिन के बारे में बात करें, ये सभी चीजें बच्चों के साथ आपके संबंध को गहरा बनाती है। उदाहरण के लिए बच्चे के साथ रचनात्मक बातचीत में समय बिताएं। हर चीज की जांच करें और उनसे बात करें।
स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को बढ़ाएं
बच्चों को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देकर उन्हें उनकी गलतियों से सीखने की प्रेरणा और आजादी दें। इससे उनमें समस्या सुलझाने की क्षमता का विकास और आत्मविश्वास विकसित होता है। उदाहरण के लिए बच्चों को अपनी पसंद की जिम्मेदारियां लेने की आजादी दें।
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