Source :- LIVE HINDUSTAN
आपको बता दें कि सेबी की सैटलमेंट प्रक्रिया के तहत निवेशक और बाजार सहभागी बिना किसी अपराध के स्वीकारोक्ति या इनकार के मौद्रिक जुर्माना भरते हैं या विनियामक निर्देशों से सहमत होते हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी समूह और उसके विदेशी निवेशकों को बड़ा झटका दिया है। सेबी ने आंतरिक प्रक्रियाओं की समीक्षा होने तक नियामकीय शुल्कों का सैटलमेंट करने के अनुरोध को स्थगित रखा है। बीते दिनों ही सेबी की ओर से बताया गया था कि सैटलमेंट याचिकाओं के नियमों की समीक्षा की जा रही है।
तीन महीने में समीक्षा
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सूत्र ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सैटलमेंट प्रक्रिया में एकरूपता की कमी और लगाए गए दंड की प्रकृति पर अस्पष्ट नियमों की वजह से समीक्षा की जा रही है। सूत्र ने कहा कि समीक्षा में तीन महीने लग सकते हैं जिसके बाद अडानी की याचिकाओं पर नई प्रक्रियाओं के तहत विचार किया जाएगा। सूत्र के मुताबिक अडानी समूह की 30 संस्थाओं ने इनमें से कुछ विनियामक शुल्कों का सैटलमेंट करने के लिए आवेदन किया है। सूत्र ने बताया कि अडानी की याचिकाएं निपटान के लिए लंबित तीन सौ से अधिक आवेदनों में से हैं, लेकिन सबसे प्रमुख की समीक्षा की जा रही है। आपको बता दें कि सेबी की सैटलमेंट प्रक्रिया के तहत निवेशक और बाजार सहभागी बिना किसी अपराध के स्वीकारोक्ति या इनकार के मौद्रिक जुर्माना भरते हैं या विनियामक निर्देशों से सहमत होते हैं।
अडानी समूह को यहां मिली राहत
इससे पहले अडानी ग्रीन एनर्जी ने बताया है कि समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अडानी एवं दो अन्य कंपनी अधिकारियों पर अमेरिकी अदालत में अभियोग लगाए जाने के मामले में नियामकीय अनुपालन की एक स्वतंत्र समीक्षा में कोई भी अनियमितता या गैर-अनुपालन नहीं पाया गया है। पिछले साल नवंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी, उनके भतीजे एवं कार्यकारी निदेशक सागर अडानी और प्रबंध निदेशक विनीत एस जैन पर सौर ऊर्जा अनुबंध पाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की कथित योजना में शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके अलावा इन पर अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाने की कोशिश करते समय अपनी योजना को छुपाने का आरोप भी लगा था।
क्या है आरोप
समूह की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी पर आरोप है कि सौर ऊर्जा बिक्री अनुबंधों को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कथित रूप से 26.5 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी गई थी। इस अनुबंध से कंपनी को 20 वर्ष की अवधि में दो अरब डॉलर का लाभ होने का अनुमान था। अडानी समूह ने पहले सभी आरोपों को निराधार बताते हुए इनकार किया था और कहा था कि वह अपना बचाव करने के लिए कानूनी विकल्प अपनाएगा।
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