Source :- LIVE HINDUSTAN
दक्षिण अफ्रीका में एक सोने की खदान में सैकड़ों मजदूरों के फंसे होने की खबर सामने आने के बाद सनसनी फैल गई है। जानकारी के मुताबिक लंबे समय से बंद पड़े इस खदान में अवैध रूप से खनन का कार्य चल रहा जहां यह दुर्घटना हुई है। माइनर्स के एक समूह के मुताबिक इस खदान में अब तक 100 से ज्यादा मजदूरों की भूख से तड़प-तड़प कर मौत गई है। वहीं 500 से ज्यादा मजदूर अब भी फंसे हुए हैं। खबर सामने आने के बाद दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों की कड़ी आलोचना हो रही है।
बफेल्सफोंटेन गोल्ड नाम की इस माइन में अधिकारियों ने नवंबर में अवैध रूप से खनन कर रहे लोगों को बाहर निकालने के लिए एक अभियान शुरू किया था। पुलिस का कहना है कि कुछ मजदूर बाहर आ सकते हैं लेकिन गिरफ्तार होने के डर से वे ऐसा करने से मना कर रहे हैं।हालांकि माइनर्स समूह का कहना है कि मजदूर देश की सबसे गहरी खदानों में से एक में सतह से 2.5 किलोमीटर नीचे फंसे हुए हैं और उन्हें बाहर निकालने की कोशिश ठीक से नहीं की जा रही है। उनके मुताबिक बचाव अभियान महीनों पहले शुरू हो जाना चाहिए था।
कब से फंसे हैं मजदूर?
यह खदान जोहान्सबर्ग से लगभग 150 किलोमीटर (93 मील) दक्षिण-पश्चिम में स्टिलफोंटेन शहर के पास मौजूद है। यह साफ नहीं कि माइनर्स कब से यहां फंसे हैं। हालांकि वे नवंबर से पहले से ही वहां दबे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने कहा है कि उनके रिश्तेदार जुलाई से ही खदान में हैं। गौरतलब है कि सोने से समृद्ध दक्षिण अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अवैध खनन आम बात है। यहां कंपनियां उन खदानों को बंद कर देती हैं जिनसे उन्हें मुनाफा मिलना बंद हो जाता है। इसके बाद यहां इलीगल माइनर्स कब्जा कर लेते हैं। जहां बड़ी कंपनियां खदान के अंदर जाने वाले मजदूरों के लिए महीनों तक का भोजन, पानी, जनरेटर और अन्य उपकरण मुहैया कराते हैं, वहीं मजदूर इसके लिए सतह पर मौजूद दूसरे लोगों पर निर्भर रहते हैं।
क्या है मौजूदा स्थिति?
बफेल्सफोंटेन खदान से जिंदा बचे लोगों और शवों को निकालने के लिए शुक्रवार को एक बार फिर बचाव अभियान शुरू किया गया है। अधिकारी खदान में पिंजरे भेज रहे हैं। पुलिस ने कहा कि कम से कम 60 शव बरामद किए गए हैं और 90 से ज्यादा जिंदा लोगों को बाहर निकाला गया है। अधिकारियों के मुताबिक जिंदा लोगों को बचाने और सभी शवों को बाहर निकालने में अभी कई सप्ताह लग सकते हैं क्योंकि एक बार में 10 से ज्यादा लोगों को निकालना संभव नहीं है। अधिकारियों ने यह भी कहा है कि कोई भी आधिकारिक बचाव कर्मी खदान में नहीं जाएगा क्योंकि यह बेहद खतरनाक है।
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