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Last Updated:June 09, 2025, 19:34 IST

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक कंटेनर, नॉन-स्टिक कुकवेयर, एल्यूमिनियम फॉयल, परफ्यूम, कीटनाशक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

नॉन-स्टिक बर्तनों के अलावा कैंसर का खतरा इससे भी.

हाइलाइट्स

  • प्लास्टिक और नॉन-स्टिक बर्तनों से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
  • परफ्यूम, कीटनाशक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी हानिकारक हो सकते हैं.
  • गर्म चाय या कॉफी पीने से गले के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए हमें सिर्फ खानपान ही नहीं, बल्कि घर के रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों पर भी ध्यान देना चाहिए. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हमारे घर में मौजूद कई सामान ऐसे हैं, जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में जहरीले तत्व पहुंचाते हैं और लंबे समय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं. इनमें सबसे पहला नाम आता है प्लास्टिक कंटेनरों और पानी की बोतलों का. अधिकतर प्लास्टिक में BPA (बिस्फेनोल-A) जैसे रसायन पाए जाते हैं, जो भोजन या पानी में मिलकर हमारे शरीर के हार्मोन सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये हार्मोनल गड़बड़ियां बाद में कैंसर का रूप ले सकती हैं. इसलिए, गर्म खाने या पानी को प्लास्टिक में स्टोर करना एक आदत बन चुकी है, लेकिन यह बहुत खतरनाक हो सकता है.

TOI की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी खतरनाक चीज़ है नॉन-स्टिक कुकवेयर. ज़्यादातर लोग बिना सोचे-समझे नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि ये बर्तन उच्च तापमान पर टेफ्लॉन कोटिंग से जहरीले रसायन छोड़ सकते हैं. पुराने नॉन-स्टिक बर्तनों में PFOA (Perfluorooctanoic Acid) पाया जाता है, जो कैंसर से जुड़ा हुआ माना गया है. अगर इन बर्तनों की कोटिंग उखड़ जाती है तो ज़हर धीरे-धीरे आपके शरीर में पहुंचता है. यही नहीं, एल्यूमिनियम फॉयल का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल भी नुकसानदेह हो सकता है, खासकर जब आप इसे एसिडिक फूड्स (जैसे नींबू या टमाटर) के साथ इस्तेमाल करते हैं. फॉयल से एल्यूमिनियम के कण खाने में मिल सकते हैं, जो न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ-साथ कैंसर से भी जुड़ते हैं.

हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले परफ्यूम, रूम फ्रेशनर और एरोसोल स्प्रे में भी वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) होते हैं, जो वायुमंडल में मिलकर सांस लेने वाली हवा को जहरीला बना देते हैं. इनसे न केवल सांस की समस्याएं होती हैं, बल्कि लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा भी बढ़ता है. इसी तरह कीटनाशक और हर्बीसाइड्स जो हम घर या पौधों के लिए इस्तेमाल करते हैं, वे भी रसायनों से भरपूर होते हैं और इनसे त्वचा, सांस और आंतरिक अंगों पर बुरा असर पड़ता है. कुछ शोधों में कीटनाशकों में मौजूद तत्वों को ल्यूकेमिया और ब्रेन कैंसर से जोड़ा गया है.

इसके अलावा, हमारे घर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन, वाई-फाई राउटर और माइक्रोवेव ओवन भी माइक्रो रेडिएशन छोड़ते हैं. भले ही यह रेडिएशन बहुत हल्का हो, लेकिन जब हम लंबे समय तक इनके संपर्क में रहते हैं तो इनका असर शरीर पर दिखाई देता है. रिसर्च में यह पाया गया है कि सिर के पास लंबे समय तक मोबाइल फोन रखना ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ा सकता है. यही नहीं, ब्यूटी और पर्सनल केयर उत्पादों जैसे डियोड्रेंट, क्रीम्स, शैंपू आदि में भी कई बार पैराबेन, फॉर्मल्डिहाइड और आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस जैसे हानिकारक रसायन पाए जाते हैं, जो स्किन कैंसर और हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा ज्यादा गर्म चाय या कॉफी पीने की आदत भी गले के कैंसर का कारण बन सकती है. जब आप बार-बार बहुत गर्म चीजें गले से नीचे ले जाते हैं, तो वहां की कोशिकाएं जलती हैं और बार-बार जलने से उनमें कैंसर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

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Vividha Singh

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें

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