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संक्षेप:

Risk of high blood pressure: फैमिली में किसी को ब्लड प्रेशर है या फिर ज्यादा नमक खा रहे, इन सबसे भी ज्यादा हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम करते हैं रोजाना के ये स्ट्रेस और बिहेवियर। अपोलो के डॉक्टर ने गिनाएं रोजमर्रा के स्ट्रेस।

रिसर्च कहती है कि हाई सोडियम फूड्स खाने और फैमिली हिस्ट्री की वजह से हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ती है। जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण होती है लेकिन अपोलो डॉक्टर के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि कैसे रोजमर्रा की कुछ आदतें लोगों में हाइपरटेंशन की बीमारी को बढ़ा रही हैं। और हाई ब्लड प्रेशर का मरीज बना रही। डॉक्टर ने इस बारे में एक्स पर पोस्ट शेयर कर लोगों को जानकारी दी है कि मेडिकल रिस्क फैक्टर से ज्यादा रोजमर्रा की जाने वाली चीजों से हाइपरटेंशन होता है।

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डॉक्टर सुधीर कुमार ने शेयर किया

अपोलो हॉस्पिटल, हैदराबाद के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि कैसे समय के साथ रोजाना की हरकतें ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती हैं। उन्होंने बताया कि कैसे लोगों का बिहेवियर हाइपरटेंशन को बढ़ाता है। केवल हाई सोडियम डाइट या फैमिली हिस्ट्री अकेले जिम्मेदार नहीं होती। ब्लड प्रेशर को हाई करने के लिए ये डेली बिहेवियर जिम्मेदार होते हैं। बिल्कुल मामूली सी लगने वाली आदतें जो नुकसानदेह नहीं लगती लेकिन धीरे-धीरे साइकोलॉजिकल बदलाव को ट्रिगर करती है और कॉर्डियोवस्कुलर हेल्थ पर असर डालती हैं। अक्सर लोग रोजाना की एक्टीविटी में स्ट्रेस और स्ट्रेन को बॉडी में अब्जॉर्ब करते हैं और इस पर ध्यान नहीं देते।

स्ट्रेसफुल ड्राइविंग

डॉक्टर कुमार ने प्वाइंट किया कि स्ट्रेसफुल ड्राइविंग, खासतौर पर जब ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है। बहुत ही कॉमन लेकिन इग्नोर करने वाला ट्रिगर प्वाइंट है। डॉक्टर ने एक्सप्लेन किया कि टेंशन वाले माहौल में ट्रैवल करने के दौरान एड्रेनालाइन के बार-बार बढ़ने से ब्लड प्रेशर अस्थायी रूप से बढ़ता है। अगर कोई इंसान सालों से एक जैसे ट्रैफिक वाले तनाव भरे माहौल में ड्राइविंग कर रहा है तो सालों बाद हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन जाएगा।

इसके साथ ही उन्होंने ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में बाहर व्यायाम करने के लिए भी वॉर्निंग दी। उनके अनुसार, खराब एयर क्वालिटी शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाती है। कई स्टडीज में पाया गया है कि प्रदूषण बढ़ने के साथ ब्लड प्रेशर भी थोड़े समय के लिए बढ़ जाता है। इसलिए बाहर जाकर एक्सरसाइज से पहले एयर क्वालिटी पता करना जरूरी है।

वर्कलोड और सिडेंटरी लाइफस्टाइल के साथ प्रेशर

न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि काम के ज्यादा घंटों के साथ ही ओवरवर्क हाइपरटेंशन को बढ़ाता है। लगातार स्ट्रेस और स्ट्रेस की रिकवरी ना होने की वजह से कॉर्डियोवस्कुलर फंक्शन को डिस्टर्ब करती है। घंटों बैठे रहने की वजह से मेटाबॉलिक एक्टीविटी स्लो कर देता है और इससे वस्कुलर हेल्थ पर भी असर होता है।

हमेशा चिंता करना

हमेशा चिंता करना, मानसिक रूप से स्ट्रेस लेना, हर वक्त हर चीज के लिए बहुत ज्यादा उम्मीदें पालकर रखना ये सारे बिहेवियरल पैटर्न हैं जो स्ट्रेस हार्मोन को ट्रिगर करते हैं, नतीजा ब्लड प्रेशर हाई होना।

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नींद और सोशल सपोर्ट है जरूरी

डॉक्टर कुमार ने बताया कि आजकल लोग अकेलेपन के शिकार हैं जिसका कारण कमजोर सोशल सपोर्ट है। और ये कॉर्डियोवस्कुलर रिस्क को हाई करती है। रिसर्च बताते हैं कि सोशल कनेक्शन में कमी सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को एक्टिव कर देती है जो बीपी को हाई करता है। अगर बहुत ज्यादा नींद लेते हैं या फिर बहुत कम नींद लेते हैं। दोनों ही स्थितियां खतरनाक है। रोजाना 9-10 घंटे से ज्यादा की नींद भी कॉर्डियोवस्कुलर रिस्क को बढ़ाती है।

खराब डाइट ट्रिगर करती है बीपी

नमक के साथ ही ज्यादा मात्रा में शुगर लेने से इंसुलिन लेवल बढ़ता है और सिम्पैथेटिक नर्व्स सिस्टम एक्टिवेट होता है। 400 मिलीग्राम से ज्यादा कॉफी दिनभर में पीने से कुछ समय के लिए ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अगर कोई कभी कभार भी शराब पीता है तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और साथ ही स्लीप क्वालिटी पर असर पड़ता है। स्ट्रेस हार्मोन एक्टिव होते हैं।

पैकेट वाले फूड जैसे सूप, सॉस, नमकीन, स्नैक्स में ज्यादा मात्रा में हिडन सोडियम होता है। जो डेली सॉल्ट लोड को बढ़ाता है और लोगों को इसका पता भी नहीं चलता।

स्मोकिंग और एक्सरसाइज

स्मोकिंग करने और सैकेंड हैंड स्मोकिंग यानी केवल सिगरेट का धुआं लेने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है। और लंबे समय में धमनियों को डैमेज करता है। साथ ही एक्सरसाइज को ना करना कॉर्डियोवस्कुलर हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है।

डॉक्टर ने दी सलाह

डॉक्टर कुमार ने लोगों को रिमाइंड कराया कि रोजमर्रा की आदतों से ही हाइपरटेंशन धीरे-धीरे डेवलप होती है। ये कोई अचानक होने वाली बीमारी नही है। अपने मैसेज में उन्होंने लिखा है हाई ब्लड प्रेशर रातों रात नहीं बढ़ता ये रोज की गलत आदतों से बनता है। इसलिए अपने ट्रिगर प्वाइंट को समझिए और एक बार में एक आदत को सुधारिए।

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