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शिमला एसपी संजीव गांधी
हिमाचल प्रदेश के डीजीपी ने हिमाचल प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को पत्र लिखकर शिमला एसपी को निलंबित करने की सिफारिश की है। उन्होंने एसपी पर घोर कदाचार, अवज्ञा और कर्तव्य में लापरवाही के आरोप लगाए हैं। पत्र में कहा गया है, “शिमला एसपी ने 24 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और राज्य में एक संवैधानिक प्राधिकरण के खिलाफ निराधार और अनुचित आरोप लगाए। उन्होंने भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के बारे में असत्यापित और संभावित रूप से पक्षपातपूर्ण बयान भी दिए, जो वर्तमान में सक्रिय जांच के तहत है। इन कार्रवाइयों से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच संबंधों में तनाव या शर्मिंदगी पैदा होने की संभावना है।”
शिमवा एसपी और हिमाचल प्रदेश के डीजीपी के बीच तकरार विमल नेगी मामले से शुरू हुई थी। इसके बाद शनिवार को शिमला एसपी ने डीजीपी, उनके कर्मचारी पर कदाचार का आरोप लगाया था।
शिमला एसपी ने क्या कहा था?
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने हिमाचल प्रदेश के डीजीपी अतुल वर्मा की सार्वजनिक रूप से आलोचना करते हुए शनिवार को आरोप लगाया था कि उन्होंने विमल नेगी की मौत मामले में एसआईटी जांच पर सवाल उठाते हुए गुप्त इरादों से गुमराह करने वाली वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल की और कई मामलों में जांच बाधित करने के प्रयास किये गए। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के कर्मचारी नेगी की रहस्यमय परिस्थतियों में हुई मौत की एसआईटी जांच का नेतृत्व करने वाले गांधी ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने के एक दिन बाद, संवाददाता सम्मेलन में डीजीपी और उनके स्टाफ के खिलाफ कदाचार के कई आरोप लगाए।
क्या है विमल नेगी मामला?
एचपीपीसीएल में महाप्रबंधक एवं मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव मिला था। उनकी पत्नी किरण नेगी ने आरोप लगाया था कि उनके वरिष्ठ अधिकारी पिछले छह महीने से उन्हें परेशान कर रहे थे। मामले ने हिमाचल में एक राजनीतिक भूचाल ला दिया। शुक्रवार को अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित कर दिया और कहा कि डीजीपी ने अपनी वस्तु स्थिति रिपोर्ट में ‘‘जांच के तौर-तरीके पर गंभीर चिंता जताई है।’’ पुलिस अधीक्षक ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस तरह का अपमान सहने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे और उन्होंने डीजीपी के कथित ‘‘गुप्त उद्देश्यों’’ को उजागर करने के लिए अदालत में तथ्य और दस्तावेज पेश करने का संकल्प लिया। इसके अलावा भी उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए थे।
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