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एमजे अकबर
जाने माने पत्रकार और राजनेता एमजे अकबर की एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में वापसी हो गई है। दरअसल, केंद्र सरकार आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने और भारत का पक्ष रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेज रही है, उसमें एमजे अकबर का भी नाम है। 7 साल पहले 2018 में ‘मीटू विवाद’ के आरोपों के बाद एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
रवि शंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में एमजे अकबर को जगह दी गई है। ये प्रतिनिधिमंडल यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क का दौरा करेगा। एमजे अकबर की कूटनीतिक समझ इस मिशन में अहम भूमिका निभा सकती है। एमजे अकबर आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ मुखर रहे हैं। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारतीय सेना की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने पीएम मोदी की भी तारीफ करते हुए कहा था कि लोग जो सोच भी नहीं सकते, आप उसे मुमकिन कर दिखा देते हैं।
मीटू विवाद में फंसे थे एमजे अकबर
दरअसल, 2018 में ‘मीटू विवाद’ से अकबर के करियर को तगड़ा झटका लगा था। कई पूर्व महिला सहकर्मियों ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। अकबर ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। 2021 में दिल्ली की एक अदालत ने रमानी को बरी कर दिया, जिसके खिलाफ अकबर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की। इस विवाद ने उनकी पब्लिक इमेज को प्रभावित किया और वह कुछ समय के लिए वो राजनीतिक हाशिए पर चले गए।
7 सांसदों के नेतृत्व में डिलीगेशन का दौरा
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। अब, भारत आतंकवाद पर अपना पक्ष रखने के लिए 7 सांसदों के नेतृत्व में डिलीगेशन को अलग-अलग देशों में भेज रहा है। इनमें बीजेपी की ओर से रवि शंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस से शशि थरूर, जेडीयू से संजय कुमार झा, डीएमके से कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी-एसपी से सुप्रिया सुले और शिवसेना से श्रीकांत शिंदे को शामिल किया गया है।
पत्रकारिता और राजनीति का दौर
एमजे अकबर ने 1970 के दशक में संडे और एशिया जैसे प्रकाशनों में अपनी लेखनी से धूम मचाई थी। बाद में द टेलीग्राफ और एशियन एज जैसे अखबारों के संपादक के रूप में उन्होंने पत्रकारिता को नए आयाम दिए। उनकी किताबें, नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया और कश्मीर: बिहाइंड द वेल, इतिहास और राजनीति के गहन विश्लेषण के लिए जानी जाती हैं।
1989 में अकबर ने बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद के रूप में राजनीति में कदम रखा, लेकिन 1991 में वह यह सीट हार गए। 2014 में बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक पारी ने नया मोड़ लिया। 2015 में राज्यसभा सांसद बनने के बाद 2016 में वह मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने भारत की कूटनीति को वैश्विक मंच पर मजबूत करने में योगदान दिया।
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