Source :- BBC INDIA
अमेरिका पर हुए 9/11 चरमपंथी हमले का मास्टरमाइंड अभियुक्त अपना अपराध स्वीकार नहीं कर पाया, क्योंकि अमेरिकी सरकार ने दोष स्वीकार करने को लेकर पिछले साल हुए समझौते पर आगे बढ़ने से रोक लगाने की अपील कर दी.
ख़ालिद शेख़ मोहम्मद जिन्हें केएसएम के नाम से भी जाना जाता है, शुक्रवार को दक्षिण-पूर्वी क्यूबा में स्थित अमेरिका के नेवी बेस ग्वांतानामो बे की वॉर कोर्ट में पेश होने वाले थे, जहां वह लगभग दो दशकों से एक मिलिट्री जेल में बंद हैं.
मोहम्मद ख़ालिद, ग्वांतानामो बे में रखे गए सबसे कुख्यात और यहां के सबसे अंतिम क़ैदी हैं.
लेकिन अमेरिका की संघीय अपील अदालत ने बीते गुरुवार की शाम मोहम्मद के साथ दो और क़ैदियों के लिए दोष स्वीकार याचिका समझौते पर निर्धारित कार्यवाही को रोक दिया.
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यह रोक अमेरिकी सरकार के उस अपील के मद्देनज़र लगाई गई है जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि मोहम्मद और उसके दो साथियों की ‘दोष स्वीकार करने के समझौता याचिका’ पर आगे ना बढ़ा जाए.
सरकार ने कहा था कि समझौते से सरकार और जनता दोनों को ‘न भरपाई होने वाला नुकसान’ होगा.
अमेरिकी क़ानून के अनुसार, अपना अपराध स्वीकार कर लेने पर सज़ा में छूट दी जाती है.
तीन जजों वाले पैनल ने यह भी कहा कि इस मामले में देरी को कतई यह न समझा जाय कि यह ‘गुण-दोष के आधार पर फ़ैसला’ लिया गया है.
बल्कि इसका मक़सद यह है कि अदालत पूरी ब्रीफ़िंग सुन सके और उसे ‘जल्द से जल्द’ दलीलें सुनने का समय मिल सके.
इस देरी का मतलब है कि अब यह मामला ट्रंप प्रशासन के सामने जाएगा.
इस हफ़्ते क्या होने वाला था?
शुक्रवार को जो सुनवाई होने वाली थी उसमें मोहम्मद 11 सितंबर 2001 के विमान हमलों में अपनी भूमिका का अपराध स्वीकार करने वाले थे.
यह हमला तब हुआ था जब अपहरणकर्ताओं ने एक यात्री विमान पर कब्ज़ा कर लिया था और न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर और वॉशिंगटन में पेंटागन के बाहर क्रैश करा दिया था.
वहीं यात्रियों के प्रतिरोध करने के बाद एक अन्य विमान (जिसका अपहरण किया गया था) पेनसिल्वेनिया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
मोहम्मद ख़ालिद पर लगे कई आरोपों में साज़िश और हत्या का आरोप भी शामिल है और उनकी चार्जशीट में 2,976 पीड़ितों के नाम दर्ज हैं.
मोहम्मद ख़ालिद ने पहले दिए अपने बयान में कहा था कि उन्होंने ही 9/11 हमले की शुरू से लेकर अंत तक पूरी योजना बनाई थी.
यानी, 1990 के दशक के मध्य में, इमारत से भिड़ाने के लिए कमर्शियल विमानों को उड़ाने की पायलटों को ट्रेनिंग देने का आइडिया बनाने और इन योजनाओं को ओसामा बिन लादेन तक ले जाने तक की ज़िम्मेदारी उनकी थी.
शुक्रवार की सुनवाई ग्वांतानामो बे बेस पर स्थित अदालत के एक कमरे में होनी थी. इसमें 9/11 में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों और मीडिया के लोग भी मौजूद रहने वाले थे.
9/11 हमले के 23 साल बाद यह सब क्यों हो रहा है?
ग्वांतानामो बे बेस पर स्थित सैन्य अदालत में हुई प्री-ट्रायल सुनवाई लगभग एक दशक से भी लंबे समय से जारी है.
लेकिन मोहम्मद ख़ालिद और दूसरे अरोपियों को अमेरिकी हिरासत में रहते हुए दी गई यातनाओं से सबूतों पर होने वाले असर के सवाल ने कार्यवाही को और जटिल बना दिया है.
साल 2003 में पाकिस्तान में गिरफ़्तारी के बाद मोहम्मद को तीन सालों तक सीआईए की गुप्त जेलों में रहना पड़ा, जिन्हें ‘ब्लैक साइट्स’ के नाम से जाना जाता है. यहां उन्हें 183 बार वॉटरबोर्डिंग यानी पानी में डुबाने का सामना भी करना पड़ा.
इसके साथ ही उन्हें कथित तौर पर पूछताछ के ‘दूसरे आधुनिक तरीक़ों’ का सामना करना पड़ा, जैसे सोने न देना और जबरन निर्वस्त्र रहने पर मजबूर करना.
‘लीस्ट वर्स्ट प्लेस: हाउ ग्वांतानामो बिकेम द वर्ल्ड्स मोस्ट नॉटोरियस प्रिज़न’ की लेखिका कैरेन ग्रीनबर्ग कहती हैं, “यातना के इस्तेमाल ने इस मामले को क़ानून और अमेरिकी न्याय व्यवस्था का सम्मान करते हुए सुनवाई के लिए लाना लगभग असंभव कर दिया.”
वह कहती हैं, “इन मामलों में टॉर्चर से मिले सुबूतों के अलावा कोई साक्ष्य देना स्पष्ट रूप से असंभव है. इसके अलावा इन व्यक्तियों को दी गईं यातनाएं अभियोग को और जटिल बना देती हैं.”
यह मामला मिलिट्री कमीशन के तहत भी आता है, जो पारंपरिक अमेरिकी आपराधिक न्याय प्रणाली से अलग नियमों के तहत काम करते हैं और इससे प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
लगभग दो साल की वार्ता के बाद पिछले साल गर्मियों में दोष स्वीकार करने की याचिका समझौता हुआ था.
याचिका समझौते में क्या था?
मोहम्मद और उनके साथ के दो प्रतिवादियों के साथ किए गए समझौते की पूरी जानकारी जारी नहीं की गई है.
जैसा कि हम जानते हैं कि इस समझौते का मतलब है कि उन्हें मौत की सज़ा का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बीते सप्ताह बुधवार को अदालत की सुनवाई में, मोहम्मद ख़ालिद की क़ानूनी टीम ने यह पुष्टि किया कि, ‘वह सभी आरोपों में दोष स्वीकार करने के लिए राज़ी हो गए हैं.’
मोहम्मद ने निजी तौर पर अदालत को बयान नहीं दिया लेकिन अभियोजन पक्ष और जज के साथ समझौते को लेकर अपनी टीम के साथ चर्चा की और शब्दों में छोटे-मोटे सुधार और बदलाव किए.
अगर याचिका समझौता बरकरार रहता और अदालत याचिकाएं स्वीकार कर लेती तो अगला कदम एक सैन्य ज्यूरी की नियुक्ति होगा, जिसे पैनल के तौर पर जाना जाता है और जो सज़ा सुनाए जाने वाली प्रक्रिया में साक्ष्यों को सुनेगी.
बुधवार को अदालत में वकीलों ने इस मामले को सार्वजनिक मुकदमा बताया, जहां जीवित बचे लोगों और मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को बयान देने का मौका दिया जाएगा.
वकीलों का कहना है कि समझौते के तहत परिवार भी मोहम्मद से सवाल पूछ सकेंगे. मोहम्मद को उन सवालों का पूरी सच्चाई से जवाब देना होगा.
अभियोजक क्लेटन जी. ट्रिवेट जूनियर ने बुधवार को अदालत में कहा, “समझौते पर अभियोजन पक्ष की सहमति बनने के मुख्य कारण यह था कि हमें वे सभी सबूतों को पेश करने की गारंटी दी गई थी, जिन्हें 11 सितंबर को जो कुछ हुआ उसमें अभियुक्त की भूमिका को स्थापित करने के लिए हम जरूरी मानते थे.”
भले ही दलीलें आगे बढ़ जाएं, लेकिन इन कार्यवाहियों के शुरू होने और अंत में सज़ा सुनाए जाने में कई महीने लग जाएंगे.
समझौते को क्यों रोकना चाहती है अमेरिकी सरकार?
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने समझौते के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त किया था, जिन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक़, जिस समय यह समझौता हुआ, उस वक़्त रक्षा मंत्री यात्रा पर थे और कथित तौर पर चौंक गए थे.
कुछ दिनों बाद उन्होंने एक मेमो में यह कहते हुए इस समझौते को रद्द करने की कोशिश की थी कि, “इस तरह के फ़ैसले की ज़िम्मेदारी वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर मेरी होनी चाहिए.”
हालांकि एक मिलिट्री जज और एक सैन्य अपील पैनल दोनों ने यह फ़ैसला सुनाया कि यह समझौता वैध था और ऑस्टिन ने इस मामले में बहुत देर कर दी.
समझौते को रोकने की एक और कोशिश में सरकार ने इसी हफ़्ते एक संघीय अपील अदालत से दख़ल देने को कहा था.
एक क़ानूनी फ़ाइलिंग में, मोहम्मद और दो अन्य व्यक्तियों पर “आधुनिक इतिहास में अमेरिकी धरती पर सबसे जघन्य आपराधिक कृत्य” करने का आरोप लगाया गया था.
इसमें कहा गया कि “समझौतों को लागू करने से अमेरिकी सरकार और नागरिक, अभियुक्तों के अपराध और संभावित मृत्युदंड के बारे में सार्वजनिक सुनवाई से वंचित रह जाएंगे- इस तथ्य के बावजूद कि रक्षा मंत्री ने उन समझौतों को क़ानूनी रूप से वापस ले लिया है.”
पिछली गर्मियों में इस समझौते के एलान के बाद, रिपब्लिकन सीनेटर और उस समय सदन में पार्टी के नेता मिच मैककोनेल ने एक बयान जारी किया था.
बयान में उन्होंने इसे “अमेरिका की रक्षा करने और इंसाफ़ मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी से भागने की सरकार की कोशिश” बताई.
पीड़ित परिवारों ने क्या कहा?
हमलों में मारे गए लोगों के कुछ परिवारों ने भी इस समझौते को बहुत उदार या पारदर्शिता की कमी बताते हुए आलोचना की है.
पिछली गर्मियों में बीबीसी के ‘टुडे प्रोग्राम’ से बात करते हुए टेरी स्ट्राडा ने समझौते पर कहा कि, ‘ग्वांतानामो बे में बंदियों को वह दिया जा रहा है जो वे चाहते हैं.’
टेरी स्ट्राडा के पति टॉम हमलों में मारे गए थे. स्ट्राडा कैंपेन ग्रुप 9/11 फ़ैमिलीज़ यूनाइटेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा, “यह ख़ालिद शेख़ मोहम्मद और दो अन्य की जीत है.”
वहीं दूसरे परिवार इस समझौते को जटिल और लंबे समय से चल रही कार्यवाही में दोषसिद्धि की ओर एक रास्ते के रूप में देखते हैं और सरकार के हालिया दख़ल से निराश थे.
स्टीफ़न गेरहार्ट, जिनके छोटे भाई राल्फ़ इन हमलों में मारे गए थे, वह मोहम्मद को अपराध स्वीकार करते हुए देखने के लिए ग्वांतानामो बे गए थे.
उन्होंने कहा, “बाइडन प्रशासन का अंतिम लक्ष्य क्या है? उन्हें स्टे मिला और यह मामला अब अगले प्रशासन तक खिंचेगा. लेकिन कहां तक और कब तक? पीड़ित परिवारों को इस बारे में सोचना होगा. आप इस कहानी को लंबा क्यों खींच रहे हैं?”
गेरहार्ट ने बीबीसी से कहा, “समझौते परिवारों की जीत नहीं है. लेकिन अब वक़्त आ गया है कि इस मामले को बंद करके इन लोगों को सज़ा देने का रास्ता खोजा जाए.”
जब बेस पर मौजूद परिवार वहां आए प्रेस के लोगों से मुलाक़ा कर रहे थे, तभी देरी की ख़बर सार्वजनिक हुई.
एक व्यक्ति ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह घाव भरने का समय माना जा रहा था. लेकिन अब दर्द की गहरी भावना हमारे साथ रहेगी. इसका कोई अंत नहीं है.”
ग्वांतानामो में सुनवाई क्यों हो रही है?
मोहम्मद को 2006 से ग्वांतानामो बे में एक मिलिट्री जेल में रखा गया है.
जेल को 23 साल पहले 11 जनवरी 2002 को 9/11 हमलों के बाद “आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध” के दौरान खोला गया था, जहां संदिग्ध आतंकवादियों और “ग़ैरक़ानूनी दुश्मन लड़ाकों” को रखा जाता था.
यहां रखे गए ज़्यादातर लोगों पर कभी आरोप पत्र नहीं दाख़िल किया गया और बंदियों के साथ व्यवहार को लेकर मिलिट्री जेल को मानवाधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र की आलोचना का सामना करना पड़ा है.
ज़्यादातर लोगों को अब या तो वापस भेज दिया गया है या दूसरे देशों में उनका पुनर्वास करा दिया गया है.
मौजूदा समय में इस जेल में 15 लोग हैं, जो कि इस जेल के इतिहास की सबसे कम संख्या है. उनमें से छह को छोड़कर सभी पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया गया या उन्हें दोषी ठहराया गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
SOURCE : BBC NEWS