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पनामा नहर की क्या है अहमियत, ट्रंप इसपर अमेरिका का नियंत्रण क्यों चाहते हैं?

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Source :- BBC INDIA

पनामा नहर

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52 मिनट पहले

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे.

ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है.

रविवार को ट्रंप ने एरिज़ोना में अपने समर्थकों से कहा, ”पनामा अमेरिका से मनमानी फीस वसूल रहा है. यह पूरी तरह से अनुचित है. यह हमारे लिए काफ़ी महंगा है और हम इसे तत्काल रोकेंगे.”

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है. ट्रंप ने टर्निंग पॉइंट यूएसए नाम के एक कंजर्वेटिव ग्रुप को संबोधित करते हुए यह बात कही है.

लेकिन पनामा के राष्ट्रपति होसे राउल मुनीलो ने ट्रंप को जवाब देने में देरी नहीं की.

राष्ट्रपति मुनीलो ने कहा, ”पनामा नहर का हर वर्ग मीटर हमारा है और इसके चारों तरफ़ का इलाक़ा भी हमारा है. पनामा की संप्रभुत्ता और स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं होगा.”

इस तरह की मिसाल कम ही देखने को मिलती है, जब एक अमेरिकी नेता कहे कि वह किसी देश के हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लेंगे.

हालांकि ट्रंप ने ये नहीं बताया कि वह इसे कैसे अंजाम देंगे. ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति की कमान संभालेंगे और वह संदेश दे रहे हैं कि उनके कार्यकाल में विदेश नीति का रुख़ क्या होने जा रहा है.

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पनामा

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पनामा नहर अहम क्यों?

इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि पनामा नहर अमेरिका के लिए ‘अहम राष्ट्रीय संपत्ति’ हुआ करती थी. ट्रंप ने रविवार को कहा कि अगर पनामा ने शिपिंग की दरें कम नहीं कीं तो वह पनामा नहर पर नियंत्रण वापस करने की मांग करेंगे.

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है.

इसका निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में किया गया था. 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था. इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था.

हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है. इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं.

पनामा के अलावा ट्रंप मेक्सिको और कनाडा पर भी कथित अनुचित टैक्स के लिए हमला बोल चुके हैं. ट्रंप का कहना है कि कनाडा के ज़रिए अवैध प्रवासी और ड्रग्स अमेरिका आ रहे हैं.

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1914 में पनामा नहर खोली गई थी. यानी इसके 110 साल हो चुके हैं. पनामा नहर को कुशल इंजीनियरिंग का नतीजा बताया जाता है और वैश्विक व्यापार में इसे क्रांतिकारी बदलाव के रूप में भी देखा जाता है.

पनामा सिटी गगनचुंबी इमारतों के लिए जाना जाता है. कई बार इसे लातिन अमेरिका की दुबई कहा जाता है. पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है.

पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है. पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है.

हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है.

कहा जा रहा है कि पनामा नहर को ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. न्यू सुपरटैंक्स इस नहर के ज़रिए आवाजाही करने में सहज नहीं हैं.

इसके विस्तार के लिए पनामा अरबों डॉलर ख़र्च कर रहा है. कहा जा रहा है कि वैश्विक व्यापार में चीन के ताक़त के रूप में उभरने के बाद इसकी अहमियत बढ़ गई है. यह नहर चीन से अमेरिका के पूर्वी तट को जोड़ती है.

पनामा

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पनामा नहर की चुनौतियां

पनामा नहर को स्वेज़ नहर से भी चुनौती मिल रही है. स्वेज़ नहर का भी विस्तार किया जा रहा है. वहीं निकारगुआ अटलांटिक और प्रशांत महासागर के बीच अपनी नहर बना रहा है.

पनामा नहर की परियोजना का विचार सबसे पहले 15वीं सदी में दिया गया था. शुरुआती असलफताओं के बाद फ्रांस ने 1881 में इस परियोजना पर काम शुरू किया. लेकिन आर्थिक नुकसान, बीमारी और दुर्घटनाओं में लोगों के मरने की वजह से इसे बीच में अधूरा छोड़ दिया गया था.

इसके बाद 1904 में अमरीका ने इस परियोजना में दिलचस्पी लेनी शुरू की और काम शुरू हो गया. पनामा नहर में आवागमन 1914 में चालू हो गया था.

पनामा नहर से अमेरिकी पोतों की आवाजाही सबसे ज़्यादा होती है. पनामा कैनाल अथॉरिटी के अनुसार, पनामा नहर से लगभग 75 फ़ीसदी कारगो या तो अमेरिका जाते हैं या अमेरिका से आते हैं. क़रीब 270 अरब डॉलर का कारोबार इस रूट के ज़रिए हर साल हो रहा है. लेकिन हाल के वर्षों में पनामा नहर में पानी कम होने का असर कारोबार पर सीधा पड़ा है.

2017 में पनामा ने ताइवान से राजनयिक संबंध ख़त्म कर चीन से कायम कर लिया था. जो देश ताइवान से राजनयिक संबंध रखते हैं, चीन उनसे नहीं रखता है क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. चीन के भारी निवेश के कारण पनामा का अहम सहयोगी बन गया है.

पनामा नहर के दो पोर्ट्स का संचालन हॉन्ग कॉन्ग की एक कंपनी करती है. ट्रंप ने रविवार को कहा था कि पनामा नहर चीन के लिए नहीं है. उन्होंने कहा था कि यह नहर ग़लत हाथों में चली गई है. हालांकि पनामा के राष्ट्रपति ने कहा है कि इस नहर पर प्रत्यक्ष और या अप्रत्यक्ष रूप से चीन का नियंत्रण नहीं है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

SOURCE : BBC NEWS