Source :- BBC INDIA
शेयर बाज़ार की नियामक संस्था सेबी ने पिछले दिनों केतन पारेख सहित तीन लोगों को शेयर बाजार से बैन कर दिया है. इन लोगों पर ‘फ्रंट-रनिंग’ घोटाले का आरोप है.
सेबी का कहना है कि इन्होंने अवैध तरीके से 65.77 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया.
सेबी ने केतन पारेख को शिकंजे में लाने के लिए नए तरीक़ों का इस्तेमाल किया. दरअसल, केतन पारेख ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई अलग-अलग फोन नंबर और नामों का इस्तेमाल किया था.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय शेयर बाज़ारों में निवेश के लिए अक्सर फेसिलिटेटर यानी स्थानीय सहायक की ज़रूरत होती है.
क्योंकि इस तरह ट्रेड्स में लाखों करोड़ों की मोटी रक़म लगती है, इसलिए फेसिलिलेटर का काम होता है कि वह बेहद सूझ-बूझ से इन सौदों को बेस्ट प्राइस पर करे.
रोहित सलगांवकर ऐसे ही एक फेसिलिलेटर हैं. वह अमेरिका स्थित टाइगर ग्लोबल के साथ काम करते थे और ये सुनिश्चित करते थे कि शेयर बाज़ार में ये सौदे आराम से और बेस्ट प्राइस पर हों.
सेबी का कहना है केतन पारेख ने सलगांवकर से हाथ मिला लिया और फ्रंट रनिंग का एक प्लान बनाया
क्या होती है फ्रंट-रनिंग?
फ्रंट-रनिंग एक तरह की धोखाधड़ी है जो शेयर बाजार में होती है. इसमें एक ब्रोकर या ट्रेडर को शेयरों के किसी सौदे के पहले से ही जानकारी होती है और वह खुद पहले से उन शेयरों का सौदा कर देता है.
इसका मतलब है कि वह अपने ग्राहकों की जानकारी का गलत इस्तेमाल करके खुद फ़ायदा उठाता है.
इसी मामले का उदाहरण लेते हुए इसे समझते हैं- एक अमेरिकी फर्म भारतीय बाज़ार में शेयरों का सौदा करना चाहती है. रोहित सलगांवकर को इस बारे में जानकारी होती है, क्योंकि उन्हें ही इस सौदे की ख़रीद-फ़रोख्त करनी है.
रोहित सलगांवकर को पता होता है कि- अमेरिकी कंपनी किन शेयरों को ख़रीदना या बेचना चाहती है? वो किस भाव पर शेयरों का सौदा करने का इरादा रखते हैं? और ये सौदा कब होने जा रहा है?
अमेरिकी क्लाइंट की इस संवेदनशील जानकारी को गुप्त रखने के बजाय रोहित सलगांवकर इसे केतन पारेख को लीक कर देते हैं. इसके बाद ‘इस खेल’ में केतन पारेख और उनके सहयोगियों की भूमिका शुरू होती है.
मान लीजिए कि अमेरिकी कंपनी किसी कंपनी के एक लाख शेयर 100 रुपये के भाव पर ख़रीदने का इरादा रखती है. तो इस जानकारी के आधार पर केतन पारेख का नेटवर्क इस सौदे से पहले 100 रुपये या इससे नीचे के भाव पर शेयर ख़रीद लेता है, जब अमेरिकी कंपनी एक लाख शेयरों का सौदा करती है तो ज़ाहिर है इस शेयर का भाव भी बढ़ जाता है.
माना कि ये भाव 106 रुपये तक चला जाता है तो केतन पारेख का नेटवर्क अब अपने शेयर बेच देता है और थोड़े से ही समय में 6 रुपये प्रति शेयर का मुनाफ़ा कमा लेता है.
यहां ये बता दें कि भारत में फ्रंट-रनिंग अवैध है.
केतन पारेख ने ऐसे तैयार किया नेटवर्क
सेबी के मुताबिक केतन पारेख का नेटवर्क काफ़ी फैला हुआ था, जिसमें अशोक कुमार पोद्दार समेत कई और शख्स भी जुड़े हुए थे.
ये लोग कोलकाता स्थित स्टॉक फर्म जीआरडी सिक्योरिटीज और सालासर स्टॉक ब्रोकिंग के लिए काम करते हैं. ये सभी लोग इसमें शामिल थे. वे उन्हीं शेयरों का सौदा करते थे, जिनका सौदा टाइगर ग्लोबल करने वाला होता था.
ये सारी योजना कई मोबाइन नंबर्स से परवान चढ़ाई जा रही थी. इस खेल को असल में केतन पारेख चला रहे थे और अपने सहयोगियों के साथ उन्होंने फ्रंट रनिंग के इस खेल से 65 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की.
केतन पारेख के नेटवर्क तक कैसे पहुंची सेबी?
हालाँकि ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि वौ कौन सी सूचनाएं थी, जिनके आधार पर सेबी ने केतन पारेख के नेटवर्क का पता लगाने का फ़ैसला किया.
पारेख के नेटवर्क को ट्रैक करना आसान नहीं था. हज़ारों सौदों की जांच और इनके पैटर्न देखने के बाद सेबी इस नेटवर्क तक पहुँच सकी.सेबी ने ट्रेड पैटर्न देखे, कॉल रिकॉर्ड्स खंगाले और मोबाइल पर संदेशों के आदान-प्रदान पर भी नज़र रखी.
सेबी के मुताबिक पारेख 10 मोबाइल नंबरों से अपने सहयोगियों से संपर्क में रहते थे. इनमें से कोई भी पारेख के नाम पर नहीं था. जिन लोगों से उनकी बातचीत होती थी, उन्होंने केतन पारेख का नाम जैक, जॉन, बॉस, भाभी… जैसे नामों से सेव किया था.
सेबी ने जाँच में पाया कि इनमें से एक नंबर केतन पारेख की पत्नी के नाम पर दर्ज है, ये उन 10 मोबाइल नंबरों में से एक था, जिनके ज़रिये केतन पारेख अपने सहयोगियों के संपर्क में रहते थे. सेबी ने तार जोड़ने शुरू किए और इस पहेली को सुलझाने का दावा किया.
सेबी की जाँच पड़ताल में एक और दिलचस्प बात सामने आई. संजय तापड़िया नाम के एक संदिग्ध ने ‘Jack Latest’ को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. केतन पारेख की जन्मतिथि भी 15 फ़रवरी है, जैसा कि उनके पैन कार्ड में दर्ज है. इसके बाद सेबी का संदेह केतन पारेख के नेटवर्क पर और पुख्ता हो गया.
सेबी ने अपने आदेश में क्या कहा?
रेगुलेटर ने केतन पारेख, रोहित सालगांवकर और अशोक कुमार पोद्दार को सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी मध्यस्थ से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर तत्काल प्रभाव से जुड़ने से रोक दिया है.
सेबी ने केतन पारेख, सालगावकर और पोद्दार समेत 22 इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न धन वापसी, रोक और जुर्माना लगाने सहित उचित निर्देश पारित किए जाएं.
रेगुलेटर ने कहा कि इन इकाइयों को इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 21 दिन के भीतर सेबी के समक्ष अपने जवाब दाखिल करने होंगे.
188 पेज के अंतरिम आदेश में सेबी ने कहा कि ‘रोहित सलगांवकर और केतन पारेख ने ‘फ्रंट-रनिंग’ से बड़े ‘ग्राहकों’ से संबंधित एनपीआई (गैर-सार्वजनिक सूचना) से अनुचित तरीके से लाभ कमाने की पूरी योजना बनाई.
सेबी ने जिक्र किया कि पोद्दार ने फ्रंट-रनिंग गतिविधियों में एक सूत्रधार होने की बात स्वीकार की है.
हालाँकि सेबी का केतन पारेख और उनके सहयोगियों को बैन करने का यह आदेश अंतरिम है.
सेबी इस आदेश में बदलाव कर सकता है, इसे वापस ले सकता है या फिर अपने अंतिम फ़ैसले में इस आदेश की पुष्टि कर सकता है. क्योंकि ये मामला जटिल है इसलिए अंतिम फ़ैसले तक पहुँचने में सेबी को कुछ समय लग सकता है.
इस दौरान केतन पारेख और उनके सहयोगियों के पास अदालत का रुख़ करने का विकल्प खुला रहेगा. वे सेबी के अंतरिम आदेश और उनके ख़िलाफ़ जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दे सकते हैं.
कौन हैं केतन पारेख?
केतन पारेख का नाम 2000 के समय भारतीय शेयर मार्केट में बहुत जाना-पहचाना था. शेयर बाज़ार में उनके हर दांव का ट्रेडर्स को इंतज़ार रहता था.
यह वह दौर था कि जब उन्होंने कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज में अपना अलग ही दबदबा बना लिया था. साल 1999 से 2000 में जब सारी दुनिया पर टेक्नोलॉज़ी बबल हावी था, वहीं भारत में भी शेयर बाज़ार तेज़ी के दौर में था.
लेकिन जल्द ही केतन पारेख का घोटाला सामने आ गया.
सेबी की जाँच में पाया गया कि केतन ने बैंक और प्रोमोटर्स के फंड्स का इस्तेमाल शेयरों की कीमत नाजायज़ तरीके से बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की.
पारेख को मार्च 2001 में गिरफ़्तार किया गया और 50 से अधिक दिनों तक वह हिरासत में रहे.
इसके बाद से शेयर बाज़ार की कई ख़ामियों को भी दूर किया गया और ट्रेडिंग साइकिल को एक हफ्ते से घटाकर एक दिन कर दिया गया. बदला कारोबार को बंद कर दिया गया. पारेख पर शेयर बाज़ार से 14 साल की पाबंदी लगा दी गई.
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SOURCE : BBC NEWS