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मध्य प्रदेश: सरेआम भीड़ के ज़ुल्म का शिकार लोग आज कैसे गुज़ार रहे हैं ज़िंदगी

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Source :- BBC INDIA

ब्रजेश

मध्य प्रदेश में बीते कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब भीड़ ने किसी महिला या पुरुष का सार्वजनिक तौर पर अपमान किया. कई घटनाओं में उनको निर्वस्त्र कर पिटाई भी की और जुलूस निकाला.

ऐसी घटनाएं, पीड़ित के ज़ेहन में क्या असर डालती हैं, क्या उनकी ज़िंदगी पटरी पर लौट पाती है?

“मैं एक बीटेक ग्रेजुएट था. अपनी छोटी सी दुकान चलाकर रोज़ी रोटी कमा रहा था. सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन एक दिन मुझे सबके सामने नंगा कर पीटा गया. फिर उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया गया.”

“अब मेरी पहचान सिर्फ़ उस व्यक्ति की बन गई है, जिसे नंगा कर पीटा गया. मेरी बाक़ी सभी पहचान मिट गई हैं.”

26 साल के ब्रजेश वर्मा फीकी मुस्कान के साथ अपनी बात करते-करते चुप हो जाते हैं.

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छह भाइयों और चार बहनों में सबसे छोटे ब्रजेश ने साल 2022 में बीटेक की शिक्षा पूरी करने के बाद मध्य प्रदेश के छतरपुर में अपने दो दोस्तों के साथ एक चाय-कॉफी की दुकान खोली थी.

सबकुछ ठीक चल रहा था. जून 2024 में एक शाम जब वो अपनी दुकान बंद कर घर जा रहे थे, तभी रास्ते में उनके साथ ये घटना हुई.

प्लेबैक आपके उपकरण पर नहीं हो पा रहा

वो कहते हैं, “मेरी तो हिम्मत ही जवाब दे गई. उस रात को याद करके लगता था कि अब ज़िंदा रहने का कोई मतलब नहीं बचा है.”

ब्रजेश आज अपनी उस दुकान के आसपास भी नहीं जाते. उनके साथ ऐसा क्यों हुआ, उन्हें आज तक इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है.

जब बीबीसी ने घटना के संबंध में पुलिस से बात की, तो जांच अधिकारी अमन मिश्रा ने कहा कि घटना में चार लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था, जिसमें से तीन को गिरफ़्तार कर लिया गया है और चौथे की तलाश की जा रही है.

घटना क्यों घटी इसके जवाब में अमन मिश्रा ने कहा, “ये बहुत गंभीर मामला है. अभियुक्तों की कोशिश थी कि इस तरह की घटना से क्षेत्र में दबदबा बना सकें. हम जल्द से जल्द चौथे अभियुक्त को भी पकड़ लेंगे और सारा सच सामने आ जाएगा.”

ब्रजेश

क्या पीड़ित को किसी तरह का सपोर्ट पुलिस प्रशासन से मिल रहा है? क्या उनकी सुरक्षा के लिए कोई क़दम उठाए जा रहे हैं?

इसके जवाब में अमन मिश्रा ने कहा, “हम लगातार उनके संपर्क में हैं. जो भी सहयोग ज़रूरी होगा उन्हें मुहैया कराया जाएगा.”

लेकिन, ब्रजेश के ज़ेहन में इस घटना का गहरा असर है. घटना के छह महीने बीत जाने के बाद भी वो इसे याद कर सिहर उठते हैं.

वो कहते हैं, “इस उम्र में लगता है कि सब कुछ कर जाएंगे, करियर बना लेंगे. फिर अचानक से ये घटना हुई. मैं लगभग चार महीने घर से बाहर नहीं निकल पाया था.”

“मेरे परिवार के लोगों का सबसे रिश्ता ख़त्म हो गया था. ऐसा लगने लगा था, मानो मैंने ही कोई बहुत बड़ा गुनाह किया हो.”

पुलिस के अनुसार, अभियुक्तों का ब्रजेश से कोई सीधा संबंध नहीं मिला है और ये महज़ अपना दबदबा बनाने की एक कोशिश थी.

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‘नंगा किया, लात मारी, जुलूस निकाला’

देवीसिंह

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 400 किलोमीटर दूर अलीराजपुर ज़िले के एक गांव में 14 नवंबर 2024 को 48 साल के देवी सिंह को कुछ लोगों ने पकड़ लिया.

इसके बाद उनके साथ जो हुआ उसने देवी सिंह और उनके परिवार की ज़िंदगी पूरी तरह बदल दी.

वो कहते हैं, “मैं बीते सात साल से पड़ोस के गांव की एक विधवा महिला की मदद कर रहा था. उनके बच्चों को पालने और खेती-बाड़ी में हाथ बंटाता था.”

“उस रात भी मैं खेत में पानी लगा रहा था, तब कुछ लोगों ने मुझ पर हमला बोल दिया. उस रात उन्होंने मेरी इज़्ज़त ही ख़त्म कर दी.”

देवी सिंह इतना बताते हुए हुए रुक जाते हैं.

कुछ देर पैरों से धरती कुरेदते हुए वो कहते हैं, “वो बहुत सारे लोग थे. उन्होंने मुझे मारना चालू किया और इसी बीच कुछ और लोगों को बुलाया.”

“उसके बाद उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और मेरे कपड़े फाड़ दिए. मुझे गांव भर में नंगा घुमाया, वो पीछे से लात मारते हुए जा रहे थे.”

अलीराजपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश व्यास ने कहा कि घटना के तुरंत बाद इस मामले में छह लोगों के ख़िलाफ़ नामज़द अपराध दर्ज किया गया था.

सभी को हिरासत में लेकर अदालत में पेश किया गया था. पुलिस के अनुसार, फ़िलहाल ये सभी कोर्ट से मिली ज़मानत पर बाहर हैं और पुलिस जल्द ही इस मामले में चालान पेश करने की तैयारी कर रही है.

देवीसिंह के बेटे शैलेश परमार

राजेश व्यास आगे कहते हैं, “एक विधवा महिला से संबंधों के शक में महिला के गांव के लोगों ने देवी सिंह के साथ यह सब किया था. घटना गंभीर प्रकृति की है, इसलिए हमने पीड़ित परिवार से संपर्क बनाए रखा है, ताकि उन्हें जो भी ज़रूरत हो उसे पूरा किया जा सके.”

“हमने ग्रामीणों से भी बातचीत की है और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी लगातार परिवार के संपर्क में हैं.”

लेकिन, पुलिस के इस आश्वासन के बाद भी देवी सिंह के परिवार के लिए ज़िंदगी बेहद मुश्किल हो गई है.

उनके 25 वर्षीय बेटे शैलेश परमार स्थानीय स्कूल में ही कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करते हैं.

वो कहते हैं, “जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनके मां-बाप उन्हें नग्न अवस्था में देखते हैं. लेकिन, बच्चा अपने बाप को ऐसी अवस्था में नहीं देख सकता है. दु:ख तो होता ही है. साथ ही कहीं भी निकलना मुश्किल हो गया है.”

इस घटना का भी वीडियो डिजिटल वर्ल्ड में वायरल हुआ था.

शैलेश कहते हैं, “आज सर डिजिटल का ज़माना है, एक बार वीडियो बन गया तो वो हमेशा मौजूद रहेगा. हज़ारों-लाखों लोगों ने मेरे पिता को नग्न अवस्था में मार खाते देखा है. उनमें मेरे दोस्त, मेरे गांव के लोग, शहर के लोग सभी शामिल हैं.”

“लोग कैसे भूलेंगे? वीडियो तो वायरल हो गया है. अगर एक आदमी भूल जाएगा तो दूसरा उसे फिर याद दिला देगा और लोग मज़ाक उड़ाते रहेंगे.”

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‘कपड़े फाड़े, जुलूस निकाला और जुर्माना भी लगाया’

प्रेमवती (बदला हुआ नाम)

आदिवासी महिला प्रेमवती (बदला हुआ नाम) अपने घर से 350 किलोमीटर दूर भोपाल में आकर मज़दूरी करने को मजबूर हैं.

मुंह पर कपड़ा बांधते हुए वो कहती हैं, “मेरा पति मुझे मारता था, इस कारण मैं एक दूसरे व्यक्ति के साथ भाग गई थी. फिर मुझे एक दिन थाने बुलाया गया, जहां पुलिस ने मुझे मेरे पहले पति के हवाले कर दिया.”

“थाने से निकलने के बाद मैं पहले पति के साथ गांव लौट रही थी, तब बाज़ार पहुंचने पर मेरे साथ मारपीट की गई. वहां मुझे निर्वस्त्र कर दिया गया और मेरे कंधे पर मेरे पहले पति को बैठाकर मेरा जुलूस निकाला गया.”

हैरानी की बात तो ये रही कि गांव की पंचायत ने घटना के बाद प्रेमवती और उनके दूसरे पति पर ही जुर्माना लगा दिया. उनके साथ ये घटना जून 2020 में हुई थी.

इसके बाद पंचायत ने हुक्म सुनाया कि उनके मौजूदा पति विशाल (बदला हुआ नाम) को उनके पूर्व पति को साढ़े तीन लाख रुपए बतौर हर्जाने देने होंगे.

हमने जब स्थानीय पुलिस अधिकारी से इस घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद महिला के पूर्व पति, ससुर और अन्य ग्रामीणों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.

उन्होंने आगे बताया, “हमने तो चालान भी पेश किया था, लेकिन फिर दोनों परिवारों में समझौता हो गया था. महिला अभी अपने दूसरे पति के साथ रहती हैं.”

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हमेशा के लिए छाप छोड़ने वाली घटनाएं

प्रेमवती (बदला हुआ नाम)

विशाल के पिता राजकुमार (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से कहा, “हमें ये रकम चुकाने के लिए अपनी पांच बीघा ज़मीन गिरवी रखनी पड़ी है.”

वो कहते हैं, “मेरे बेटे और बहू की कोई ग़लती नहीं थी. बहू को उसका पहला पति और उसके ससुराल वाले बहुत मारते थे. ऐसे में बेचारी कहां जाती.”

“बीच बाज़ार उसके कपड़े फाड़कर उसे मारा गया, वो बहुत ख़राब था. मुझे ज़मीन गिरवी रखकर उसके पूर्व पति को साढ़े तीन लाख रुपए देने पड़े.”

“इन सब के बावजूद आज मेरा बेटा और बहू यहां नहीं रह सकते. इतनी बदनामी और बेज़्ज़ती के बाद उन्हें बाहर ही रहना पड़ता है.”

मध्य प्रदेश में ऐसे सार्वजनिक अपमान करने की या भीड़ के कथित तौर पर इंसाफ़ करने की घटनाओं में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है.

कहीं पेड़ से बांधकर मारने की घटनाएं होती हैं, तो कहीं लोगों को निर्वस्त्र कर घुमाया जाता है.

ऐसी घटनाएं पीड़ितों के लिए शारीरिक और सामाजिक रूप से जीवन भर का घाव छोड़ जाती हैं. इन पीड़ितों के लिए सरकार का क्या कोई सपोर्ट सिस्टम है?

इनकी ज़िंदगी सामान्य रूप से पटरी पर लौट आए इसके लिए सरकार या पुलिस प्रशासन क्या एक्शन लेती हैं. अभियुक्तों पर कार्रवाई के साथ साथ, पीड़ितों को क्या किसी तरह का सहयोग दिया जाता है?

समाज शास्त्र विभाग प्रमुख रुचि घोष का बयान.

इन सवालों के जवाब में प्रदेश के इंटेलिजेंस विभाग में आईजी डॉक्टर आशीष कहते हैं, “भीड़ द्वारा की जाने वाली ऐसी घटनाओं के कारण पुलिस प्रशासन के सामने भी एक बड़ा चैलेंज है.”

“इस तरह की घटनाओं में अभी कुछ बढ़ोतरी भी देखी गई है. अक्सर ऐसे मामलों में प्रशासन आर्थिक सहायता तो करता है लेकिन पुनर्वास और सामान्य जीवन जीने में जो समस्याएं आती हैं, उनमें कैसे मदद की जा सकती है इस पर भी हम विचार कर रहे हैं.”

देश भर में भीड़ द्वारा लोगों को अलग अलग मामलों में नग्न कर मारपीट और फिर उन घटनाओं का वीडियो बनाने के मामले आए दिन सुर्ख़ियां बन रहे हैं.

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शाहरोज़ अफ़रीदी कहते हैं, “हम लोग पहले भी ऐसी घटनाओं पर ख़बरें करते रहे हैं, लेकिन 15-20 साल पहले स्मार्टफ़ोन के न होने के कारण परिस्थितियों को सामान्य होने में ज़्यादा समय नहीं लगता था. अब ये मुमकिन नहीं है.”

“किसी न किसी को इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक या अन्य किसी भी माध्यम से दोबारा ये वीडियो देखने को मिल सकता है. जहां ये घटनाएं हुई हैं, वहां के युवाओं के पास ये वीडियो मिल जाएंगे. ऐसे में सबकुछ सामान्य कैसे हो पाएगा? पीड़ितों के पुनर्वास में आज ये सबसे बड़ी समस्या है.”

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क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

मध्यप्रदेश के इंटेलिजेंस विभाग में आईजी डॉक्टर आशीष

मध्य प्रदेश के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की प्रमुख रुचि घोष दस्तीदार कहती हैं, “ऐसी घटनाओं के पीछे भीड़तंत्र का मुख्य मक़सद किसी को सामाजिक रूप से शर्मसार करने का होता है और इसके साथ ही अभियुक्तों द्वारा अपने वर्चस्व या अपनी ताक़त का नमूना पेश करने की कोशिश होती है.”

वो आगे कहती हैं, “पीड़ितों के घर के बच्चों पर भी इसका असर पड़ता है. दरअसल ऐसी घटनाएं कमज़ोरियों की पुनर्रचना कर देती हैं और उन्हें कई गुना बढ़ा देती हैं.”

“ये घटनाएं सिर्फ उस समय घटकर ख़त्म नहीं हो जाती हैं, बल्कि अब सोशल मीडिया के दौर में ऐसी घटनाओं का जीवनकाल बहुत लंबा हो जाता है.”

पुरुषों और महिलाओं के लिए इन घटनाओं से उबर पाने के सवाल पर वो कहती हैं कि इस तरह की घटनाएं महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग समस्याएं पैदा करती हैं.

रुचि घोष दस्तीदार

उनके मुताबिक़, “महिलाओं के लिए पुरुषों से ज़्यादा तो नहीं, लेकिन बहुत अलग समस्याएं होती है. उन्हें बचपन से ही अस्मिता और इज़्ज़त के प्रारूप में ढाला जाता है और वो ऐसी घटनाओं में टूट जाती हैं.”

“इन घटनाओं के बाद उन्हें महिला बनकर रहने में बहुत दिक़्क़त होती है. विवाह से लेकर परिवार में और अगली पीढ़ी को भी इसके असर का सामना करना पड़ता है.”

भीड़ के कथित इंसाफ़ के ये पीड़ित आज दोबारा अपनी ज़िंदगी जीने के लिए मशक्कत कर रहे हैं.

जहां ब्रजेश ने कुछ हिम्मत जुटाई है, वहीं देवी सिंह भी इस मामले में अब क़ानून का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं. हालांकि, प्रेमवती अब इस घटना को भूल जाना चाहती हैं. वो अपने गांव वापस नहीं जाना चाहतीं.

ब्रजेश, देवी सिंह और प्रेमवती जैसे लोग आज भी उस डर, शर्म और अपमान के साये से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं.

लेकिन, क्या वे दोबारा सामान्य ज़िंदगी जी पाएंगे या यह अपमान हमेशा उनके साथ रहेगा?

क्या सिस्टम उन्हें आगे की ज़िंदगी सामान्य तौर पर जीने के लिए कोई मदद मुहैया करा पाएगा? क्या समाज से उन्हें पर्याप्त सहयोग मिलेगा? ये सभी सवाल अभी बरक़रार हैं.

इनके संतोषजनक जवाब अभी इन तीनों पीड़ितों में से किसी को नहीं मिले हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

SOURCE : BBC NEWS