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रेप पीड़िता

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  • Author, इमरान क़ुरैशी
  • पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए
  • 13 जनवरी 2025

    अपडेटेड एक घंटा पहले

केरल के पतनमथिट्टा सीरियल रेप केस में पीड़िता ने 30 में से छह एफ़आईआर में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया है. इस बीच गिरफ़्तार किए गए लोगों की संख्या 45 पहुंच गई है.

इस मामले में कुल 59 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. पहले यह संख्या 64 बताई जा रही थी.

इनमें दो लोग भारत से बाहर और एक व्यक्ति केरल से बाहर फरार है. एक अभियुक्त को तिरुअनंतपुरम ज़िले से गिरफ़्तार किया गया, जबकि अन्य 14 को जल्द ही गिरफ़्तार किए जाने की उम्मीद है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सोमवार को पीड़िता ने ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में बयान दिया और बाकी एफ़आईआर में वह कोर्ट के सामने मंगलवार को इन-कैमरा बयान देगी.

पतनमथिट्टा में चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के चेयरपर्सन और वकील एन राजीव ने बीबीसी हिंदी से कहा, “क़ानून के अनुसार पीड़िता को हर एफ़आईआर में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराना होगा. यह अनिवार्य है और प्रक्रिया का हिस्सा है.”

मजिस्ट्रेट के सामने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 183 के तहत दर्ज बयान दर्ज होता है जोकि सीआरपीसी की धारा 164 जैसा ही है.

एक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले पीड़िता बीमार होने की वजह से मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान नहीं दर्ज करा पाई थी.

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एसआईटी गठित

केरल पुलिस

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इससे पहले इस मामले में 28 अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के बाद विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित की गई थी.

पतनमथिट्टा के पुलिस अधीक्षक वीजी विनोद कुमार इस एसआईटी के प्रमुख बनाए गए हैं, जबकि डीएसपी नंदकुमार एस को भी उनके साथ इस एसआईटी में रखा गया है.

नंदकुमार इस मामले के जांच अधिकारी बने रहेंगे, लेकिन इस टीम को ज़्यादा जांच इंस्पेक्टर्स के साथ विस्तार दिया गया है. ये सभी लोग तिरुवनंतपुरम रैंज के डीआईजी अजीता बेगम के अंदर काम करेंगे.

इस मामले में जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, उनमें छात्रा के पड़ोसी, पड़ोसियों के दोस्त, उनके पिता के दोस्त, स्पोर्ट्स कोच और अन्य लोग भी शामिल हैं.

इनमें दो अभियुक्त 17 साल के नाबालिग़ हैं, जबकि अन्य अभियुक्त 19 से 47 साल की उम्र के हैं.

इस मामले के संबंध में अब तक 18 केस दर्ज किए जा चुके हैं. ये शिकायतें दो पुलिस थानों में दर्ज हुई हैं.

पहला अभियुक्त दोस्त

पतनमथिट्टा ज़िले के डिप्टी एसपी नंदकुमार एस ने बीबीसी हिंदी को बताया, “एससी-एसटी एक्ट और पॉक्सो के तहत भी मामले दर्ज किए गए हैं, क्योंकि ये अपराध पिछले पांच सालों में हुए हैं. उस वक्त पीड़िता नाबालिग़ थी.”

पुलिस अधिकारी ने बताया, “बीते पांच वर्षों में लड़की के साथ तीन बार गैंगरेप हुआ है .”

इस मामले में पीड़ित के पड़ोसी और बचपन के दोस्त को पहला अभियुक्त बनाया गया है, आरोपों के मुताबिक़ छात्रा के साथ पहली बार गैंग रेप उसके घर के पास ही हुआ था.

सखी नाम के महिला अधिकार संगठन ने यौन उत्पीड़न और यौन हमले को ‘सकते में डालने वाला’ बताया है.

इस मामले में सबसे पहला नाम छात्रा के पड़ोस में रहने वाले उनके बचपन के एक दोस्त का आया था. छात्रा जब तेरह साल की थी, तभी उन दोनों के बीच यह दोस्ती हुई थी.

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, “आरोपों के मुताबिक़ उसने पहले छात्रा को नग्न तस्वीरें और वीडियो दिखाए थे. उसके इस दोस्ता नाम भी एक मामले में दर्ज है.”

पतनमथिट्टा ज़िला क्राइम ब्रांच के मीडिया सेल के संजीव एम. ने बीबीसी हिंदी को बताया, “छात्रा ने अपने पिता के फ़ोन पर आए 40 लोगों की कॉल्स के सबूत मुहैया कराए.”

उन्होंने बताया, “छात्रा सदमे में है.”

यह सब शुरू कैसे हुआ?

रेप पीड़िता

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पीड़ित छात्रा उस वक्त 13 साल की थी. इसके अलावा छात्रा के दोस्त पर आरोप है कि वो गैंगरेप मामलों में से कम से कम एक में शामिल था.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ‘अभियुक्त ने छात्रा की नग्न तस्वीरें लीं और वीडियो बनाए. कथित तौर पर वह गैंग रेप के एक मामले में शामिल था.’

पतनमथिट्टा ज़िला क्राइम ब्रांच के मीडिया सेल के सजीव एम ने कहा, “पहले अभियुक्त के फ़ोन में यौन उत्पीड़न के सबूत हैं. इनके ज़रिए वो छात्रा को ब्लैकमेल करने, उसका यौन शोषण करने और उसे दोस्तों के पास ले जाने के लिए करता था.”

यह मामला तब सामने आया जब कुटुम्बश्री ‘स्नेहिता’ कार्यक्रम के अंतर्गत कम्युनिटी काउंसिलर की एक टीम पीड़िता के घर गई.

बाल कल्याण समिति, पतनमथिट्टा के चेयरपर्सन और एडवोकेट एन राजीव ने बीबीसी हिंदी से कहा, “इस कार्यक्रम के तहत बहुत सारे पारिवारिक विवरण इकट्ठा किए जाते हैं और परिवारों को परामर्श दिया जाता है कि वे अपनी समस्याओं से कैसे निपटें.”

“यह तब हुआ जब पीड़िता अपने स्कूल के दिनों के अनुभवों के बारे में बात करना चाहती थी. लेकिन उसने किसी बड़े अधिकारी से बात करने पर ज़ोर दिया और काउंसिलर ने सीधे मुझसे संपर्क किया.”

पीड़िता और उसकी मां सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष के कार्यालय गए, जहां पीड़िता ने सारी बातें बताईं.

राजीव ने बताया, “पीड़िता ने हमारे मनोचिकित्सक से बात की, जबकि उसकी मां बाहर इंतज़ार कर रही थी. मां को अपने पति का फ़ोन लाने के लिए कहा गया और इस तरह अपराधियों के नाम सामने आए.”

आमतौर पर सीडब्ल्यूसी से उम्मीद की जाती है कि वह स्थानीय थानाध्यक्ष को इसकी सूचना दें.

लेकिन राजीव ने कहा, “हमें लगा कि यह एक अलग मामला है. इसलिए हमने पुलिस अधीक्षक को सूचित किया और उन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी.”

इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी है. केरल महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है.

पीड़िता और उनकी मां को सुरक्षित घर में ले जाया गया है.

महिला अधिकार संगठन ने क्या कहा

रेप सर्वाइवर

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महिला अधिकार संगठन सखी की वकील संध्या जनार्दना पिल्लई ने बीबीसी हिंदी से कहा, “यह मामला स्पष्ट रूप से साबित करता है कि बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए सिर्फ़ क़ानून ही पर्याप्त नहीं हैं. और बहुत किए जाने की ज़रूरत है.”

संध्या ने कहा, “इसका साफ़ मतलब है कि बच्चों की सुरक्षा में सिस्टम की विफलता है. इसके अलावा, जैसा कि इस मामले में है, सर्वाइवर ग़रीब अनुसूचित जाति परिवार से आती है और पीड़िता सबसे जोखिम वाली स्थिति में होती है.”

उन्होंने कहा, “अभी तक, जांच जारी है. इस मामले में आगे कैसे बढ़ा जाए, हम इस पर जल्द फैसला लेंगे.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS