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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ((SRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने अपने SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज) मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में दो तेज़ी से चलने वाले यानों को एक-दूसरे के पास लाना और जोड़ने की तकनीक का प्रदर्शन करना था।
SpaDeX मिशन के तहत, इसरो ने 30 दिसंबर को दो छोटे सैटेलाइट्स—SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट)—को लॉन्च किया था। इन्हें पृथ्वी की निम्न कक्षा (लो-अर्थ ऑर्बिट) में 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया गया। इसके बाद, दोनों सैटेलाइट्स को धीरे-धीरे एक-दूसरे के पास लाया गया और अंत में डॉकिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई।
हालांकि, 7 और 9 जनवरी को तकनीकी कारणों से इस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका था। इसरो ने 12 जनवरी को जानकारी दी थी कि 15 मीटर और 3 मीटर की दूरी पर दोनों सैटेलाइट्स को लाने का परीक्षण सफल रहा था। इसके बाद, 14 जनवरी को मिशन को अंतिम रूप दिया गया।
इसरो के नेतृत्व में हुए बदलावों के कारण भी इस प्रक्रिया में देरी हुई। केंद्र सरकार ने हाल ही में वी. नारायणन को इसरो का नया निदेशक नियुक्त किया, जिन्होंने 14 जनवरी को पदभार संभाला। नेतृत्व परिवर्तन और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, SpaDeX मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष तकनीक के विकास में एक मील का पत्थर है।
SpaDeX मिशन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह भविष्य के मिशनों की तैयारी का हिस्सा है। भारत के प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 मिशन जैसे प्रोजेक्ट्स में डॉकिंग तकनीक की अहम भूमिका होगी। चंद्रयान-4 मिशन में चांद से नमूने लाने के लिए रिएंट्री मॉड्यूल और ट्रांसफर मॉड्यूल को आपस में जोड़ने की जरूरत पड़ेगी, जिसे इस तकनीक के ज़रिए अंजाम दिया जाएगा।
डॉकिंग क्या है और यह क्यों जरूरी है?
डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दो अलग-अलग अंतरिक्ष यानों को एक ही कक्षा में लाकर आपस में जोड़ा जाता है। यह तकनीक बड़े और जटिल अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक होती है, खासतौर पर उन परिस्थितियों में, जब भारी अंतरिक्ष यान को एक ही प्रक्षेपण में अंतरिक्ष में भेजना संभव नहीं होता।
SpaDeX की सफलता से भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई तकनीकी क्षमता हासिल की है, जो न केवल देश के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स में सहायक होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो की प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी।
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