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सैफ़ अली ख़ान

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31 मिनट पहले

बॉलीवुड अभिनेता सैफ़ अली ख़ान पर उनके घर में चाकू से हमला हुआ और वह अस्पताल में भर्ती हैं. सर्जरी के बाद वे मुंबई के लीलावती अस्पताल में रिकवर कर रहे हैं.

देर रात हुई इस वारदात के वक्त घर पर सैफ़ अली ख़ान के अलावा उनके परिवार के अन्य सदस्य भी थे, जो बिल्कुल ठीक हैं.

सैफ़ अली खान के जीवन और करियर को आकार देने में उनके परिवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पटौदी परिवार में जन्में सैफ़ हमेशा शाही ठाठ-बाट और ग्लैमर से घिरे रहे.

सैफ़ अली ख़ान की मां शर्मिला टैगोर एक चर्चित अभिनेत्री थीं और उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी एक स्टार क्रिकेटर. इन दोनों ने सैफ़ के जीवन को बहुत प्रभावित किया.

सैफ़ अली ख़ान की गिनती बॉलीवुड के उन अभिनेता और निर्माताओं में होती है जो राजनीति, धर्म और निजी ज़िंदगी पर खुलकर अपनी राय रखते हैं.

बीबीसी
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बॉलीवुड के ‘छोटे नवाब’

सैफ़ अली ख़ान के पिता मंसूर अली ख़ान मशहूर भारतीय क्रिकेटर थे और साथ ही पटौदी ख़ानदान के वारिस भी थे. वहीं माँ शर्मिला टैगोर बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री हैं, जिनका नाता नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर से रहा है.

आज़ादी के बाद भी साल 1971 तक मंसूर अली ख़ान को ब्रिटिश काल की रियासत पटौदी के नवाब की उपाधि रखने की इजाज़त थी. इसके बाद भारत सरकार ने सभी रियासतों को खत्म कर दिया था.

इस परिवार का इतिहास करीब 200 साल से अधिक पुराना है. गुरुग्राम से करीब 30-35 किलोमीटर दूर पटौदी में बना एक सफ़ेद महल पटौदी परिवार की निशानी है.

सैफ़ अब पटौदी ख़ानदान के ‘नवाब’ हैं. हालांकि, ये कोई औपचारिक उपाधि नहीं है लेकिन अब उन्हें बॉलीवुड में भी अक्सर ‘छोटे नवाब’ कहकर पुकारा जाता है.

मां से अधिक प्रभावित

नवाव पटौदी और शर्मिला टैगोर

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1960 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम की बागडोर संभालने वाले मंसूर अली ख़ान पटौदी ने भारत के लिए 47 टेस्ट खेले जिनमें 40 टेस्ट मैचों में उन्होंने भारत की कप्तानी की.

21 साल की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी दी गई थी.

उनके पिता यानी सैफ़ अली ख़ान के दादा इफ़्तिख़ार अली ख़ाँ पटौदी आज़ादी से पहले भारतीय टेस्ट टीम के सदस्य थे.

सैफ़ अली ख़ान के रिश्तेदारों में मेजर जनरल शेर अली ख़ान पटौदी शामिल हैं, जिन्होंने पाकिस्तानी सेना में सेवाएं दीं. वहीं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन शहरयार ख़ान भी सैफ़ अली ख़ान के रिश्तेदारों में शामिल थे.

मंसूर अली ख़ान ने 27 दिसंबर 1969 को बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की.

16 अगस्त 1970 को जन्में सैफ़ अली ख़ान का बचपन क्रिकेट और फ़िल्म दोनों के बीच बीता.

शुरुआती पढ़ाई हिमाचल प्रदेश के द लॉरेंस स्कूल से करने वाले सैफ़ अली ख़ान इंग्लैंड के विनचेस्टर कॉलेज से भी पढ़े.

द ग्रेट इंडियन कपिल शो-2 के एक एपिसोड में सैफ़ अली ख़ान ने दिग्गज क्रिकेटर के बेटे होने के बावजूद क्रिकेट को अपना करियर न बनाने पर बात की थी.

वजह उनकी मां शर्मिला टैगोर थीं, जिनके हिस्से में अराधना, अमर प्रेम जैसी कई बेहतरीन बॉलीवुड फिल्में रहीं.

उन्होंने माना कि वो अपने पिता के क्रिकेट की विरासत का आदर करते हैं लेकिन उनकी मां शर्मिला टैगोर की सिनेमा जगत पर जिस तरह की छाप थी, उसने उन्हें अभियन की ओर खींचा.

इससे पहले भी सैफ़ ये कह चुके हैं कि वह क्रिकेट की ओर इसलिए नहीं गए क्योंकि उन्हें लगा कि वो अपने पिता की तरह नहीं खेल सकते.

उतार-चढ़ाव से भरा फ़िल्मी करियर

सैफ अली ख़ान (फ़ाइल फ़ोटो)

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सैफ़ अली ख़ान का 30 साल से लंबा फ़िल्मी करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा.

सैफ़ को कई फ्लॉप फ़िल्मों का सामना करना पड़ा. ‘आशिक आवारा’ में उनके अभिनय को तारीफ़ मिली और उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.

इसके साथ ही एक अभिनेता के तौर पर सैफ़ की क्षमताओं पर भी सवाल उठने लगे.

एक इंटरव्यू में सैफ़ अली ख़ान से सवाल किया गया कि उनके माता-पिता दोनों को कम उम्र में कामयाबी मिली लेकिन उन्हें खुद कामयाबी के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी.

इसपर सैफ़ ने कहा था, “इसका जवाब तो मेरे पास नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि हर इंसान का रास्ता अलग होता है. मुझे कम से कम ये तो मालूम है कि मैंने सही नौकरी चुनी है. काम करते हुए मुझे बहुत मज़ा आता है. कामयाबी मिले या न मिले, मुझे उम्मीद है कि मिलेगी, लेकिन मैं इस वक्त भी काफ़ी ख़ुश हूं.”

धीरे-धीरे सैफ़ अली ख़ान ने फ़िल्मों में अभिनय के भी हर रास्ते को अपनाना शुरू कर दिया.

नब्बे के दशक में वह रोमैंटिक एक्शन हीरो के तौर पर फ़िल्मों में दिखे. वहीं 2000 के बाद उन्होंने ये दिखाया कि वह कॉमेडी भी कर सकते हैं. साल 2001 में ‘दिल चाहता है’ में उन्होंने ये पूरी तरह साबित भी किया.

ये फ़िल्म हिट रही और इसके बाद उनके करियर ने अलग मोड़ लिया. साल 2006 में आई फिल्म ओमकारा में सैफ़ अली ख़ान के अभिनय ने उन्हें कुछ गंभीर एक्टरों की फ़ेहरिस्त में शामिल कर दिया.सैफ़ ने ये पुख्ता कर दिया कि वो कॉमेडी के साथ गंभीर किरदार भी निभा सकते हैं.

लेकिन इसके बाद उन्होंने हमशकल्स और हैप्पी एंडिग्स जैसी फ़िल्में कीं, जिसके लिए उन्हें ख़ूब आलोचनाएं झेलनी पड़ीं. उन्होंने कुछ समय के लिए फ़िल्मो से दूरी बनाई और फिर रंगून से वापसी की. ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर नहीं चली लेकिन सैफ़ को तारीफ़ मिली.

और फिर साल 2018 में सैफ़ अली ख़ान ने सैकरेड गेम्स के तौर पर वेब सिरीज़ में डेब्यू किया. उनके किरदार पुलिस अधिकारी सरताज सिंह को काफ़ी सराहा गया.

बेबाक सैफ़

सैफ़ अली ख़ान

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सैफ़ अली ख़ान बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए मशहूर रहे हैं. वे ये बता चुके हैं कि कैसे उनका झुकाव आध्यात्म की ओर अधिक रहा है.

साल 2021 में जब सैफ़ अली ख़ान की फ़िल्म भूत पुलिस आने वाली थी तो उन्होंने कहा था कि अध्यात्मिक हैं लेकिन धार्मिक नहीं.

उन्होंने कहा था, “बहुत ज़्यादा धर्म मुझे परेशान करता है.”

ईश्वर और भूत-प्रेतों पर चर्चा करते हुए सैफ़ अली ख़ान ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया था, “असल ज़िंदगी में मैं अनीश्वरवादी हूं. मैं इस मायने में धर्मनिरपेक्ष हूं क्योंकि बहुत ज़्यादा धर्म मुझे परेशान करता है. क्योंकि ये ज़िंदगी से ज़्यादा ज़ोर मृत्यु के बाद पर देता है.”

“मुझे लगता है कि बहुत ज़्यादा धर्म किसी संगठन जैसा होता है, जिसमें बहुत सी समस्याएं होती हैं जो इससे जुड़ी रहती हैं कि मेरा या आपका किसका ईश्वर बेहतर है.”

सैफ़ ने कहा था, “मैं प्रार्थना करता हूं और मैं अपनी ऊर्जा अपने काम पर केंद्रित करता हूं. मैं आध्यात्मिक ज़्यादा हूं.”

लेकिन 2023 में आई उनकी फ़िल्म आदिपुरुष और ओटीटी सीरीज़ तांडव में उनके किरदारों ने विवाद भी देखे. आदिपुरुष फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान ने लंकेश (रावण) का किरदार निभाया था, जिसे कई लोगों ने पसंद नहीं किया.

निजी ज़िंदगी भी चर्चा में रही

सैफ़ अली ख़ान

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सैफ़ अली ख़ान ने साल 1991 में ही अभिनेत्री अमृता सिंह से शादी की थी. अमृता सिंह उनसे 12 साल बड़ी थीं और इसलिए ये शादी खूब चर्चा में भी रही.

लेकिन 13 साल बाद दोनों ने 2004 में तलाक़ ले लिया.

साल 2012 में सैफ़ ने बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर से शादी की.

करीना कपूर ने अपने पहले बेटे तैमूर अली ख़ान को 2016 में जन्म दिया था और नाम सामने आते ही विवाद हो गया था. नाम का विरोध करने वाले कह रहे थे कि ये एक विदेशी हमलावर शासक का नाम था.

हालांकि, सैफ़ से जब इस विवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “मुझे ये नाम अच्छा लगा. मैंने इस नाम के ऐतिहासिक महत्व के बारे में ज़्यादा सोचा नहीं था.”

हाल ही में सैफ़ ने कपूर ख़ानदान के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी. उस मुलाक़ात में पीएम मोदी ने भी जानना चाहा था कि सैफ़ ‘तीसरी पीढ़ी’ को साथ क्यों नहीं लाए हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

SOURCE : BBC NEWS