Source :- BBC INDIA
अपने आख़िरी वीडियो में जब उन्हें अदालत में पेश किया गया था, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के विरोधी एलेक्सी नवेलनी के चेहरे से लग रहा था कि उन्होंने बरसों से रूसी जेल में दुर्व्यवहार सहा है लेकिन उनके तेवर तब भी दिलेर थे.
वो पत्रकारों से चुहल कर रहे थे और प्रशासन से दो टूक बातें कर रहे थे. उन्होंने जज पर कटाक्ष करते हुए कहा था, “आप मुझे अपनी मोटी तनख्वाह का एक हिस्सा दे दीजिए. आपने मुझ पर इतने जुर्माने लगाए हैं कि मेरे पैसे बिल्कुल ख़त्म हो गए हैं.”
अगले दिन रूसी सरकार ने एक बयान जारी किया कि एलेक्सी नवेलनी रूस के सुदूर उत्तर में स्थित जेल में मृत पाए गए हैं.
जैसे-जैसे रूस में उनकी महत्ता बढ़ती गई, उनको उत्पीड़ित करने, डराने और जेल भेजने का सिलसिला बढ़ता चला गया.
ब्रिटिश अख़बार ‘द गार्डियन’ में छपे अपने लेख, ‘केमिकल बर्न्स,पॉयज़निंग एंड प्रिज़न : द परसेक्यूशन ऑफ़ एलेक्सी नवेलनी’ में जॉर्ज साहा ने लिखा, “सन 2017 में उनके चेहरे पर एक हमलावर ने हरे रंग का द्रव फेंका था उसके बाद उनकी एक आँख की 80 फ़ीसदी रोशनी चली गई थी.”
“फिर सन 2020 में रूस की सुरक्षा एजेंसी फ़ेडरल सेक्योरिटी सर्विस ने उन्हें सोवियत ज़माने में विकसित किए गए नर्व एजेंट ‘नॉविचोक’ से मारने की कोशिश की थी.”
भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम
नवेलनी की आत्मकथा बीते साल प्रकाशित हुई है- ‘पैट्रियट’, जिसमें उन्होंने ज़हर दिए जाने की घटना का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है.
नवेलनी लिखते हैं, “मैं साइबेरियन शहर टोम्स्क से मॉस्को की यात्रा कर रहा था. कई सालों से मुझे किसी भी पद का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था.”
“रूसी प्रशासन मेरे नेतृत्व वाले राजनीतिक दल को मान्यता नहीं देता था और हाल ही में उसने आठ वर्षों में नौ बार उसे रजिस्टर करने से इनकार कर दिया था.”
“पता नहीं किस वजह से हमारे भरे फ़ॉर्म में हमेशा ग़लतियाँ निकाल दी जाती थीं. पिछले कुछ सालों से मैं और मेरे साथी रूस में व्याप्त भ्रष्टाचार पर फ़िल्में बना रहे थे. हमारे हर वीडियो को यूट्यूब पर तीस से 50 लाख लोग देख रहे थे.”
भ्रष्टाचार को उजागर करने का नवेलनी का अपना तरीका था. मसलन, उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के प्रेस सचिव की शादी की तस्वीरों का अध्ययन किया.
उनकी आस्तीन के नीचे से चमकने वाली घड़ी पर फ़ोकस किया, फिर उस घड़ी को बनाने वाली स्विस कंपनी से एक सर्टिफ़िकेट लिया कि उस घड़ी की कीमत 6 लाख 20 हज़ार अमेरिकी डॉलर है.
फिर वो उसे अपने यूट्यूब चैनल पर दिखाते.
पुतिन को चुनौती
नवेलनी के पास जाँच कर पाने की कोई क़ानूनी शक्ति नहीं थी लेकिन उन्होंने इंटरनेट का सहारा लेकर रूसी सरकार के कथित ‘ग़लत कार्यों’ की एक सूची बनाई थी जिससे पुतिन भी अछूते नहीं बचे.
स्टीवन ली मायर्स अपनी किताब ‘द न्यू ज़ार, द राइज़ एंड रेन ऑफ़ व्लादिमीर पुतिन’ में लिखते हैं, “नवेलनी ने सर्जी मैग्निट्सकी की तरह सार्वजनिक रिकॉर्डों से सबूत इकट्ठा कर लोगों के सामने लाना शुरू किया.”
“उन्होंने एक वेबसाइट रॉसपिल.आरयू शुरू की जिसमें सभी टेंडरों की जाँच करके घोटालों को जनता के सामने लाया जाता. कई बार इससे हुई बदनामी के कारण टेंडरों को रद्द भी करना पड़ा.”
इसने नवेलनी को मशहूर कर दिया और उन्होंने ये बात छिपाई नहीं कि उनकी राजनीतिक महत्वाकाक्षाएं हैं जो रूस को पुतिन के रास्ते से अलग ले जाना चाहती हैं.
लंबे सुनहरे बालों वाले नवेलनी ऐसे नेता के रूप में उभर रहे थे जिनमें लोगों को पुतिन को चुनौती देने की क्षमता दिखने लगी थी.
मॉस्को से बाहर जाने पर रोक
सरकारी टीवी चैनल ‘रशिया टुडे’ ने उनके ख़िलाफ़ एक ‘वॉर-हीरो’ को बदनाम करने की साज़िश रचने के आरोप लगाते हुए एक आपराधिक मुकदमा दायर किया था. उनके ख़िलाफ़ अदालत ने एक आदेश देते हुए उनके मॉस्को से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी.
नवेलनी ने उस आदेश को नहीं माना था और एक खोजी मिशन पर साइबेरिया चले गए थे.
नवेलनी ने लिखा, “शायद इसी वजह से क्रेमलिन और पुतिन ने कार्रवाई करने का मन बनाया था. इसके लिए केजीबी और एफ़एसबी के हल्कों में ‘सक्रिय कार्यवाही’ शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा था. इसका असली अर्थ होता है व्यक्ति से छुटकारा पाया जाए ताकि समस्या का हमेशा के लिए अंत हो जाए.”
20 अगस्त को जब नवेलनी मॉस्को जाने वाले विमान में बैठे तो उन्होंने अपनी सीट बेल्ट बाँध कर अपने जूते उतार दिए.
जहाज़ ने रनवे पर दौड़ना शुरू कर दिया और नवेलनी ने अपना लैपटॉप खोल लिया.
सिस्टम ने काम करना बंद किया
नवेलनी ने लिखा, “मैंने महसूस किया कि मैं लैपटॉप की स्क्रीन पर देख तो रहा हूँ लेकिन उस पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा हूँ. मेरे माथे पर ठंडा पसीना जमा हो चुका है.”
“मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा था लेकिन मुझे अहसास हो रहा था कि मेरा शरीर काम करना बंद कर रहा है. मैंने अपनी साथी कीरा से बात करने को कहा, वह बोलती रही लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.”
नवेलनी जहाज़ के फ़र्श पर गिरे
तभी एक फ़्लाइट अटेंडेंट अपनी ट्रॉली लेकर वहाँ पहुंच गया. कीरा के अनुसार, नवेलनी कुछ बोले बिना दस सेकेंड तक एकटक देखते रहे. इसके बाद नवेलनी अपनी सीट से उठ खड़े हुए.
नवेलनी ने लिखा, “मैंने तय किया कि मैं टॉयलेट जाकर अपने चेहरे पर ठंडा पानी छिड़कूँगा. मुझमें इतनी ताक़त नहीं बची थी कि मैं अपने जूते पहन पाता.”
“मैंने अपने चेहरे पर पानी डाला लेकिन मुझे लगा कि मैं अपने दम पर टॉयलेट से बाहर नहीं निकल सकूँगा, किसी तरह मैं बाहर निकला.”
“फ़्लाइट अटेंडेंट ने मेरी तरफ़ आश्चर्य से देखा. मैं किसी तरह ये कहने में कामयाब रहा, मुझे ज़हर दिया गया है और मैं मरने वाला हूँ. ये कहकर मैं उसके पैरों के पास जहाज़ के फ़्लोर पर गिर पड़ा.”
एक महिला ने नवेलनी के कान में कहा, “मुझे बताओ क्या तुम्हें दिल का दौरा पड़ रहा है?” नवेलनी ने अपना सिर हिला कर इशारा किया कि ‘उनके दिल में कोई समस्या नहीं है.’
नवेलनी ने आगे लिखा है, “धीरे-धीरे मेरे आसपास आने वाली आवाज़ें बंद हो गईं. आख़िरी शब्द जो मुझे याद है, एक महिला ने चिल्ला कर कहा, ‘जागते रहो,’ ‘जागते रहो’. फिर मैं मर गया लेकिन असल में मैं मरा नहीं था.”
इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया
कुछ दिनों बाद जब उन्होंने अपनी आँखें खोलीं तो उन्होंने ख़ुद को एक अस्पताल में अपनी पत्नी और कुछ डॉक्टरों से घिरा पाया.
हुआ ये था कि नवेलनी के बीमार होते ही जहाज़ के पायलट ने विमान को मॉस्को के बदले नज़दीकी हवाई अड्डे पर उतारने का फ़ैसला किया.
वहाँ उनका इमरजेंसी इलाज किया गया जिसकी वजह से उनकी जान बच गई. कुछ दिनों बाद उन्हें इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया.
नवेलनी ने लिखा, “मुझे याद है कि मैं एक व्हील-चेयर पर बैठा था. डॉक्टर ने कहा, ‘एलेक्सी, कुछ बोलो.’ धीरे-धीरे मुझे अहसास होने लगा है कि मेरा नाम एलेक्सी है. धीरे-धीरे मुझे पता चलने लगा कि वहाँ क्या हो रहा है.”
“मुझे एक पेंसिल देकर कहा गया कि मैं कुछ लिखूँ. मेरे दुख का ठिकाना नहीं रहा जब मुझे पता चला कि मुझे लिखना ही नहीं आता है.”
ज़हर देने की पुष्टि
नवेलनी के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके साथ क्या हुआ था, किस तरह उनका इलाज किया जा रहा है, उनको कितने दिनों तक इस हाल में रहना होगा.
नवेलनी ने याद किया, “मेरी पत्नी यूलिया और मेरा साथी लिओनिद मुझे बार-बार ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि मेरे साथ क्या हुआ था लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही थी.”
“ऐसा लगता था जैसे वो एक बंद दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हों, जिसके पीछे मेरा दिमाग़ था जिससे कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी.”
नवेलनी ने लिखा, “प्रयोगशालाओं से इस बात की पुष्टि हो गई थी कि मुझे ज़हर दिया गया था. ये वही ज़हर था जो रूसी ख़ुफ़िया विभाग ने सर्गेई स्क्रीपाल को सैल्सबरी में दिया था.”
जर्मन चांसलर मर्केल मिलने आईं
नवेलनी धीरे-धीरे ठीक हो रहे थे लेकिन तब भी जब वो अपना हाथ धोना चाहते थे, उनके हाथ उनका कहना नहीं मानते थे.
उनकी हालत एक बूढ़े होते शख़्स की तरह हो गई थी जो न तो तीन ग़ज़ तक चल पाता था और न ही पानी का टैप खोल पाता था.
जब उनके बच्चे दाशा और ज़ख़र मॉस्को से उन्हें देखने आए तब भी वो उन्हें गले नहीं लगा सके क्योंकि उनके पूरे शरीर पर तार और ट्यूब्स बँधे हुए थे.
नवेलनी ने याद किया, “23 सितंबर को मेरा जर्मनी में आख़िरी दिन था. मैंने पहली बार आम आदमियों जैसे कपड़े पहने थे जब छह बजे मेरा डॉक्टर मुझे देखने आया तो मैंने देखा कि उसके पीछे एक महिला चली आ रही थी जिसका चेहरा कुछ जाना-पहचाना लग रहा था. वो जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल थीं. मुझे पता था कि उन्होंने ही पुतिन पर दबाव डालकर इलाज के लिए मुझे बर्लिन शिफ़्ट करवाया था.”
अगले एक घंटे तक दोनों ने रूसी राजनीति के बारे में बातें कीं.
नवेलनी ने लिखा है, “मैं इस बात से बहुत प्रभावित हुआ कि उन्हें मेरे केस के बारे में पूरी जानकारी थी. चलते-चलते उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी आगे की योजना क्या है?”
“मैंने कहा कि मैं जल्द से जल्द रूस वापस जाना चाहूँगा. उन्होंने कहा जल्दबाज़ी करने की कोई ज़रूरत नहीं है.”
एफ़एसबी अफ़सर बनकर भेद उगलवाया
नवेलनी जर्मनी में तीन महीने और रहे.
ज़ाहिर था कि क्रेमलिन को उनका वापस रूस आना पसंद नहीं आया था.
इस बीच उन्होंने अपने विरोधियों से ये बात स्वीकार करवा ली कि उन्होंने टोम्स्क में उनके अंडरवियर में नर्व एजेंट रखा था.
साहा ने ‘द गार्डियन’ अख़बार में लिखा, “नवेलनी ने एक वरिष्ठ एफ़एसबी अफ़सर बनकर दूसरे एफ़एसबी अफ़सर कुदरियावसेव से बात की. उन्होंने एक वीडियो रिलीज़ किया जिसमें उन्हें एफ़एसबी अफ़सर से फ़ोन पर पूछते हुए दिखाया गया था कि नवेलनी किस तरह बच पाए?”
“उसका जवाब था कि अगर विमान ने इमरजेंसी लैंडिंग न की होती तो उनका बचना मुश्किल था. अगर उनका विमान मॉस्को के लिए उड़ता रहता जो कि अभी भी तीन घंटे दूर था, वो जीवित नहीं बच पाते.”
एफ़एसबी ने फ़ोन कॉल के इस वीडियो को एक नकली वीडियो करार दिया जिसे विदेशी शक्तियों की मदद से बनाया गया था.
रूस पहुंचते ही गिरफ़्तारी
जनवरी 2021 में नवेलनी रूस के लिए निकले उनके विमान को रूस में नुकोवो हवाई-अड्डे पर उतरना था लेकिन उसे डाइवर्ट कर शेरेमेतेवो हवाई अड्डे पर उतारा गया, जहाँ उतरते ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.
अगले तीन सालों में कई मामलों में उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे चलाए गए. उन्हें नौ साल की जेल की सज़ा सुनाई गई.
अगस्त, 2023 में उन्हें 19 साल की और सज़ा सुनाई गई. हर सज़ा के बाद उन्हें एक नई जेल में भेज दिया जाता. जेल के हालात बद से बदतर होते गए.
उन्हें एकांत कारावास में रख दिया गया. उनको आराम से सोने नहीं दिया गया. हर एक घंटे बाद उन्हें नींद से जगा दिया जाता था. उनको फ़ोन कॉल करने या रिसीव करने की मनाही थी.
उन्हें दिन में सिर्फ़ डेढ़ घंटे के लिए काग़ज़ और कलम दिया जाता था. बाद में ये सुविधा सिर्फ़ आधे घंटे के लिए कर दी गई और अंतत: इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया.
जेल में मौत
उनको कोई भी मेडिकल सुविधा नहीं दी गई. इस वजह से वो मार्च, 2021 में भूख हड़ताल पर बैठे.
उन्होंने माँग की कि असैनिक डाक्टरों को उन्हें देखने की अनुमति दी जाए.
24 दिन तक चली इस भूख हड़ताल के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ गई.
उन्होंने शिकायत की कि उनका एक पैर सुन्न पड़ गया है जिसकी वजह से वो अपना बोझ अपने पैर पर नहीं डाल सकते थे.
बाद में वे पेट में तेज़ दर्द की भी शिकायत करने लगे थे.
उनके समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद डाक्टरों को उन्हें देखने की इजाज़त मिली.
फिर उन्हें एक बार एक दूसरी जेल में शिफ़्ट किया गया.
दिसंबर, 2023 में पता चला कि वो आर्कटिक क्षेत्र की एक जेल ‘खार्प’ में रह रहे हैं.
यह जेल पूरे रूस में अपने मच्छरों के लिए कुख्यात थी. 16 फ़रवरी, 2024 को नवेलनी अपनी जेल में मृत पाए गए.
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SOURCE : BBC NEWS