Source :- LIVE HINDUSTAN
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने दावा किया कि चीन ने चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग में दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता की है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जहां जाते-जाते हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता कराकर महफिल लूटी है, वहीं पूर्वी एशिया में अमेरिका का चिर प्रतिद्वंद्वी चीन ने भी इसी तरह की कोशिश की है। चीन ने मध्यस्थता कर पड़ोसी देश म्यांमार में सेना और म्यांमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सेना (MNDAA) के बीच एक औपचारिक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर करवाए हैं। चीनी समाचार एजेनंसी सिन्हुआ के मुताबिक यह समझौता शनिवार को लागू हुआ। इसके बाद से म्यामंर में लड़ाई रुक गई है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने दावा किया कि चीन ने चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग में दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता की है। म्यांमार सेना और MNDAA शांति वार्ता के सातवें दौर के बाद शनिवार को एक समझौते पर पहुंचे। सिन्हुआ के मुताबिक, माओ निंग ने कहा कि उत्तरी म्यांमार में तनाव कम करना ना सिर्फ म्यांमार के लिए बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी हितकर हैं। इसके अलावा यह चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्र की सुरक्षा, स्थिरता और विकास के लिए भी जरूरी है।
बता दें कि पिछले चार साल से यानी 2021 में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को सेना द्वारा उखाड़ फेंकने के बाद से म्यांमार हिंसा से जूझ रहा है। AL Jazeera के अनुसार, म्यांमार में चार साल पहले हुए तख्तापलट ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया, जो अंततः एक व्यापक सशस्त्र विद्रोह में बदल गया। इसमें अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है।
माओ निंग ने म्यांमार की स्वतंत्रता, संप्रभुता, राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीन का समर्थन जताया है। उन्होंने कहा, “म्यांमार की शांति और अखंडता के लिए चीन शांति वार्ता को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना जारी रखेगा और उत्तरी म्यांमार में शांति प्रक्रिया के लिए समर्थन और सहायता देगा।”
दरअसल, म्यांमार में सेना कई मोर्चों पर अपने शासन के विरोध से लड़ने के लिए संघर्ष कर रही है, और कई क्षेत्र अब विभिन्न विद्रोही समूहों के नियंत्रण में आ गए हैं। चार साल के युद्ध से ग्रस्त म्यांमार की अर्थव्यवस् खस्ताहाल हो चुकी है। दूसरी तरफ तख्तापलट करने वाली जुंटा सेना ने दर्जनों राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अल जजीरा के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने का आग्रह किया था। इसने सभी पक्षों से “सबसे कमजोर लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए निर्बाध मानवीय पहुंच की गारंटी देने” का भी आह्वान किया। जनवरी के पहले सप्ताह में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि म्यांमार में संघर्ष के कारण 35 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 15 लाख ज्यादा है।
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