Source :- BBC INDIA
अपने बेटे के बारे में बात करते हुए 91 साल के के गोविंदैया के चेहरे पर मुस्कान बनी हुई थी.
उनके बेटे चंद्रा आर्या कनाडा में लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर जस्टिन ट्रूडो की जगह लेने और प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
के गोविंदैया दो बातों को लेकर आश्वस्त हैं.
पहली बात ये कि, ‘2006 में कनाडा जाने वाले उनके बेटे चंद्रा आर्या कनाडा को कभी निराश नहीं करेंगे.’
और दूसरी बात ये है कि ‘उन्होंने (चंद्रा आर्या) अपनी ज़िंदगी में कभी असफलता नहीं देखी है.’
गोविंदैया ने बीबीसी हिंदी से कहा, “किसी ने कल्पना नहीं की थी कि उनकी राजनीति में दिलचस्पी थी. वह वहां (कनाडा) नौकरी की खोज में गए थे.”
चंद्रा आर्या हर साल अपने गृह राज्य कर्नाटक आते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने परिवार या दोस्तों से राजनीति पर चर्चा नहीं की.
गोविंदैया कहते हैं, “उन्हें मीडिया के माध्यम से सबकुछ (भारत के बारे में) पता चल रहा होगा. और वह (भारत के) मौजूदा प्रशासन से खुश थे. वह मोदी साहब से मिल चुके हैं. वह मौजूदा सरकार से ख़ुश हैं.”
क्या वह कनाडा में ख़ालिस्तानी समर्थकों के बारे में बात करते हैं?
उन्होंने कहा, “उन्होंने ख़ालिस्तानियों का विरोध किया. और इसी वजह से चुनाव में कुछ सिखों ने उनका विरोध किया. मंदिरों पर हमले के लिए उन्होंने उनकी आलोचना की थी. लेकिन वह कह रहे थे कि अधिकांश सिख ख़ालिस्तानियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं. वे उनका (आर्या) समर्थन करते हैं.”
राजनीति से पहले चंद्रा आर्या क्या करते थे?
एमबीए करने से पहले चंद्रा आर्या ने इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की थी.
उन्होंने सशस्त्र सुरक्षा बलों में शामिल होने और डीआरडीओ में जूनियर साइंटिस्ट के पद के लिए परीक्षाएं भी दी थीं, लेकिन आखिरकार उन्होंने कर्नाटक स्टेट फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन की नौकरी चुनी.
जल्द ही उन्होंने मांड्या ज़िले के मद्दूर, सोमनहल्ली में एक औद्योगिक इकाई खोली. इसके बाद वह ओमान गए, फिर क़तर और अंत में कनाडा पहुंचे.
गोविंदैया कहते हैं, “वह महत्वाकांक्षी थे और क़ाबिल भी थे. इसलिए उन्होंने अपना पेशा बदला.”
उन्होंने बताया, “कनाडा में भी उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. वहां उन्होंने एक बड़ी फ़ाइनेंशियल कंपनी ज्वॉइन की. इसके बाद एक दूसरी बड़ी कंपनी से उन्हें ऑफ़र मिला. वह उस कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट थे. वह बहुत बुद्धिमान हैं और सब कुछ संभालने में बहुत क़ाबिल हैं. वह बहुत पढ़ते हैं और उनके पास ज्ञान का खजाना है.”
लेकिन कनाडा में काम शुरू करने के आठ या नौ साल बाद चंद्रा आर्या और उनकी पत्नी, जिन्होंने अंग्रेज़ी में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी, ने एक मंथली जर्नल शुरू कर दिया.
गोविंदैया बताते हैं, “इस तरह से वे बड़े लोगों, राजनीतिज्ञों, मंत्रियों और उच्च पदों पर बैठे अफ़सरों से संपर्क में आए. इसके अलावा, वह आठ-नौ संगठनों से भी जुड़े हुए थे. इस तरह किसी ने सुझाव दिया और वह राजनीति में प्रवेश कर गए.”
चंद्रा आर्या 2015 में नेपियन से कनाडा के हाउस ऑफ़ कॉमंस के लिए चुने गए थे. 2019 और 2021 में भी वो फिर से चुने गए.
भारत के साथ रिश्ता
अगर वह कनाडा के प्रधानमंत्री बनते हैं, तो आपको क्या लगता है कि भारत के साथ उनका रिश्ता कैसा होगा?
इस सवाल पर गोविंदैया ने कहा, “यह स्वाभाविक है. यह उनकी जन्मभूमि है. मदर इंडिया है. स्वाभाविक रूप से वह भारत के साथ रिश्ते को सुधारने के लिए अपनी तरकीब लगाएंगे.”
“उनकी अपनी योजनाएं हैं. वह कह रहे थे कि कनाडाई लोगों की आने वाली पीढ़ियों के लिए, वह कुछ करना चाहते हैं. मुझे नहीं पता कि असल में उनकी क्या योजना है.”
क्या आप कनाडा जाने या न जाने का फ़ैसला लेने से पहले, वहां के घटनाक्रम का इंतज़ार कर रहे हैं?
उन्होंने कहा, “ऐसा ही है, मैं जाने का इच्छुक हूं. अभी तक उन्होंने (चंद्रा आर्या) कोई असफलता नहीं देखी है.”
कर्नाटक सरकार के कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के एक पूर्व कर्मचारी, मृदुभाषी गोविंदैया अपने दूसरे बेटे श्रीनिवास आर्या से मिलने बेंगलुरू आए हुए थे. बेंगलुरू से 70 किलोमीटर दूर टुमाकुरु में उनका घर है.
राज्य सरकार के लिए काम करने के दिनों में गोविंदैया अपने डिपार्टमेंट के सभी फ़ॉर्म्स का अंग्रेज़ी से कन्नड़ में अनुवाद करते थे.
वह कहते हैं, “हमारे कमिश्नर इस तरह का कोई अनुवाद ट्रांसलेशन डिपार्टमेंट को नहीं भेजते थे. यह काम हमेशा वह मुझे भेजते थे.”
2022 में कर्नाटक के लोगों को तब हैरानी हुई जब चंद्रा आर्या ने कनाडा के हाउस ऑफ़ कॉमंस में अपनी मातृ भाषा कन्नड़ में भाषण दिया था. सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया.
गोविंदैया कहते हैं, “कर्नाटक के हर कोने से लोगों ने मुझे फ़ोन कर इस बात के लिए बधाई दी कि मेरे बेटे ने कनाडा की संसद में कन्नड़ में भाषण दिया.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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