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Gensol Engineering Ltd: वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप के बाद जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर पिछले कई सेशंस से चर्चा में हैं। अब सोमवार को भी निवेशकों की पैनी नजर रहेगी। जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर इस साल अब तक 85% तक टूट गए और 772 रुपये से गिरकर 116 रुपये पर आ गए। वहीं, कंपनी के शेयर की कीमत एक साल पहले 1,126 के उच्च स्तर से घटकर 116 रुपये प्रति शेयर पर आ गई। इस बीच, अब खबर है कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय कथित तौर पर जेनसोल इंजीनियरिंग और इसकी संबंधित यूनिट ब्लूस्मार्ट के खिलाफ कॉर्पोरेट प्रशासन के उल्लंघन (जिसमें फंड डायवर्जन और पब्लिक सेक्टर के लोन का दुरुपयोग शामिल है)के खिलाफ औपचारिक जांच पर विचार कर रहा है।

क्या है डिटेल

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जांच शुरू करने के बारे में फैसला एक पखवाड़े के भीतर होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि मंत्रालय पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कंटेंट की जांच कर रहा है, साथ ही कुछ ऐसी जानकारी भी जो उसे स्वतंत्र रूप से मिली है। ईटी रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि इसका उद्देश्य यह आकलन करना है कि क्या प्रमोटर के फंड का दुरुपयोग निजी लाभ के लिए किया गया था – जैसे कि एक लग्जरी अपार्टमेंट की खरीद, परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर और प्रमोटर से जुड़े निजी तौर पर रखे गए व्यवसायों में पैसे लगाना। विवाद के केंद्र में जेनसोल द्वारा राज्य समर्थित इरेडा और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन से लिए गए ₹977.75 करोड़ के ऋण पैकेज का कथित दुरुपयोग है। इसमें से, ₹663.89 करोड़ विशेष रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद के लिए थे, जिन्हें ब्लूस्मार्ट को पट्टे पर दिया जाना था।

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क्या है मामला

बता दें कि देश के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के दिग्गज माने जाने वाले अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी भाइयों पर अब वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं। दोनों ने दो प्रमुख उद्यमों – जेनसोल इंजीनियरिंग और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी के जरिए स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक परिवहन क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। हालांकि, सेबी की जांच के बाद उनकी प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचा। बाजार नियामक ने हाल ही में अपने अंतरिम आदेश में जग्गी बंधुओं को अगली सूचना तक प्रतिभूति बाजारों में लेन-देन से रोक दिया। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग द्वारा लिए गए कर्ज के कुछ हिस्से का इस्तेमाल निजी उपयोग के लिए किया। इससे कंपनी में कॉरपोरेट प्रशासन और वित्तीय गड़बड़ी से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं।

कंपनी का कारोबार

जेनसोल इंजीनियरिंग सौर परामर्श सेवाएं, इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) सेवाओं, तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को पट्टे पर देने के व्यवसाय में शामिल है। इसे 15 अक्टूबर, 2019 को बीएसई एसएमई मंच पर सूचीबद्ध किया गया था और बाद में इसे तीन जुलाई, 2023 को बीएसई और एनएसई के मुख्य बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से वृद्धि दर्ज की। वित्त वर्ष 2016-17 से 2023-24 के बीच कंपनी का परिचालन लाभ दो करोड़ रुपये से बढ़कर 209 करोड़ रुपये हो गया, जबकि शुद्ध लाभ दो करोड़ रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गया।

रेटिंग एजेंसी ने पहले किया था अलर्ट

बता दें कि क्रेडिट रेटिंग एजेसिंयों ने इसकी साख को घटा दिया और कॉरपोरेट प्रशासन प्रथाओं पर चिंता जताई। इसके बाद मिली शिकायतों के आधार पर सेबी ने अपनी जांच शुरू की। सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) से ऋण दायित्वों के बारे में पता लगाने के लिए कहा। सीआरए ने कहा कि जेनसोल ने इरेडा और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) को छोड़कर सभी ऋणदाताओं के स्टेटमेंट दिए। इन दो ऋणदाताओं के संबंध में जेनसोल ने इरेडा और पीएफसी द्वारा कथित रूप से जारी किए गए आचरण पत्र साझा किए, जिसमें कहा गया था कि जेनसोल नियमित रूप से अपना कर्ज चुका रही है। हालांकि, जब इरेडा और पीएफसी से इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने ऐसा कोई प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार किया। इसके बाद सेबी ने इरेडा और पीएफसी से जेनसोल को दिए गए कर्ज को चुकाने के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी, जिसके कई चूक के बारे में पता चला। सेबी की जांच में पाया गया कि ईवी खरीद के लिए निर्धारित धन अक्सर जेनसोल या जग्गी बंधुओं से जुड़ी दूसरी कंपनियों को भेज दिया जाता था। कुछ धनराशि का इस्तेमाल प्रमोटर्स के निजी खर्चों के लिए किया गया था। इसके तहत लग्जरी अपार्टमेंट खरीदा गया, रिश्तेदारों को पैसा दिया गया और प्रवर्तकों के स्वामित्व वाली निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए निवेश किया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह पता चली कि 42.94 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अनमोल सिंह जग्गी के कैपब्रिज वेंचर्स के जरिए डीएलएफ कैमेलियास में एक लग्जरी अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया गया। सेबी ने पाया कि प्रवर्तक कंपनी को निजी गुल्लक की तरह चला रहे थे और शेयरधारकों के हितों की परवाह किए बिना खर्च कर रहे थे।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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