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कश्मीर में सुरक्षा बल

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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम ज़िले में बीते रविवार को विशु नदी में एक युवक का शव मिला है.

परिवार का आरोप है कि उनके बेटे को सेना घर से उठा कर ले गई थी और अगले दिन उन्हें बेटे का शव मिला है.

वहीं दूसरी ओर, मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से दावा किया गया है कि युवक की मौत भागने के प्रयास के दौरान नाले में कूदने से हुई है.

इस मामले में कश्मीर जोन के आईजी, दक्षिण कश्मीर के डिप्टी आईजी और कुलगाम के एसपी से कई बार संपर्क करने की कोशिशों के बाद भी हमें उनका पक्ष नहीं मिल सका है.

दरअसल, ये मामला श्रीनगर से करीब सौ किलोमीटर दूर कुलगाम ज़िले के टंगमर्ग गांव का है. 23 साल के युवक इम्तियाज़ अहमद मागरे के परिवार वालों ने बताया है कि उन्हें (इम्तियाज़ को) शनिवार को पूछताछ के लिए ले जाया गया था.

परिवार वालों के क्या हैं आरोप

इम्तियाज़ अहमद के बड़े भाई रियाज़ अहमद मागरे ने बीबीसी हिंदी से कहा, “बीते शनिवार सुबह तड़के सेना के कुछ जवान हमारे घर आ गए थे. इम्तियाज़ सो ही रहा था, लेकिन वे लोग उसको ले गए. हम लोगों ने पूछा कि इनको क्यों ले जा रहे हो तो कहा गया कि चेकिंग के बाद ये (वापस) आ जाएगा.”

रियाज़ अहमद मागरे बताते हैं, “हमें पता चला कि वे हमारे भाई को बिहीबाग कैंप में ले गए हैं. उस कैंप में सेना भी रहती है और पुलिस के स्पेशल टास्क फ़ोर्स के लोग भी. मैं अपनी तीन बहनों के साथ वहां पहुंच गया. दिन के चार बजे कैंप के अंदर हमें भाई से मुलाक़ात कराई गई. हमने शाम तक इंतज़ार किया. देर होने पर कहा गया कि कल शाम तक छोड़ दिया जाएगा.”

परिवार वालों का दावा है कि इसके बाद वे वापस घर आ गए. रविवार की सुबह जब वे लोग फिर से कैंप जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी नज़दीकी चौकी से परिवार के पास फ़ोन आया.

रियाज़ बताते हैं, “हम वहां गए तो हमें एक वीडियो दिखाया गया जिसमें एक युवक नदी में बह रहा है. हमने वीडियो देख कर कहा कि यह हमारा लड़का नहीं है क्योंकि उस युवक के कपड़े अलग दिख रहे थे.”

सुरक्षाकर्मी

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दरअसल इस युवक की मौत के बाद सोशल मीडिया पर एक ड्रोन से लिया गया फ़ुटेज वायरल है, जिसमें एक युवक नदी में छलांग लगाता दिखाई देता है. हालांकि स्वतंत्र रूप से इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी है.

रियाज़ इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि ये उनके भाई का वीडियो है. वे दावा करते हैं, “मेरा भाई काले कपड़ों में था. वह वीडियो में नहीं है. लेकिन नाले में बरामद शव मेरे भाई का है.”

रियाज़ अहमद का यह भी कहना था कि उनका भाई कश्मीर से बाहर मज़दूरी का काम करता था और पंद्रह दिन पहले ही वह घर आया था. वे कहते हैं, “हम इंसाफ़ चाहते हैं. हमारा भाई तो गया, लेकिन हमारे साथ इंसाफ़ किया जाए.”

इस मामले पर अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस के हवाले से दावा किया है, “आज (रविवार) सुबह जब घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया गया तो मृतक ड्रोन की निगरानी से बचने के लिए छुपने की जगह (नदी के किनारे) पर गया. और वो विशु नाले में कूद गया और शायद नदी के रास्ते भागने की कोशिश की. यह भी पता चला है कि वह टंगमर्ग जंगल में सुरक्षाबलों द्वारा ध्वस्त किए गए पहले आतंकवादी ठिकाने के बारे में जनता था, जहां 23 अप्रैल को संपर्क स्थापित किया गया था.”

पुलिस का बयान कुछ दूसरे अख़बारों में भी छपा है. लेकिन आधिकारिक तौर पर पुलिस ने इस मामले को लेकर अब तक कोई बयान नहीं दिया है.

राजनीतिक दलों ने क्या कहा ?

महबूबा मुफ्ती

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इस मामले में राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने सोमवार को मीडिया में बयान जारी करते हुए कहा है कि कुलगाम के टंगमर्ग में इम्तियाज़ अहमद मागरे को सेना घर से उठाकर ले जाती है और अगले दिन उनका शव नदी में मिलता है. उन्होंने यह भी कहा है कि कश्मीरी हर जांच में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ख़ौफ़जादा किया जा रहा है.

वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस की नेता और मंत्री सकीना इटू रविवार को इम्तियाज़ अहमद के घर गई थीं. परिवार से मुलाकात के बाद उन्होंने इस मामले की अदालती जांच की मांग की है और यह भी कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस परिवार के साथ है.

पीपल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन और विधायक सज्जाद गनी लोन ने भी इस घटना को लेकर पोस्ट किया है, ” इम्तियाज़ अहमद मागरे की मौत ने संदेह पैदा कर दिया है. ज़रूरी है कि मौत की जाँच की जाए. परिवार के दावे को धयान में रखा जाना चाहिए.”

पहलगाम हमले के बाद पुलिस की कार्रवाई

पहलगाम हमला

पहलगाम हमले के बाद पुलिस ने कश्मीर में सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.

कश्मीर से छपने वाले एक अंग्रेज़ी अख़बार ने कश्मीर जोन के आइजी विधि कुमार बिरदी के हवाले से लिखा है कि पूछताछ के बाद नब्बे ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएससी) के तहत गिरफ़्तार किया गया, जो चरमपंथियों के लिए काम करते हैं.

यह एक्ट बिना किसी औपचारिक आरोप और बिना किसी मुक़दमे के किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने की अनुमति देता है.

पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद पुलिस और सेना ने कश्मीर घाटी के अलग-अलग हिस्सों में कम से कम दस रिहायशी मकानों को धमाकों से ध्वस्त कर दिया था, जिन्हें चरमपंथियों के मकान पर कार्रवाई बताया जा रहा है.

बीते 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में एक चरमपंथी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में एक कश्मीरी युवक भी शामिल था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS