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IIT अहमदाबाद स्टूडेंट की ओर से ChatGPT का इस्तेमाल एक प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए किए जाने का मामला सामने आया है। कमाल की बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए उसे A+ ग्रेड दिया गया है।

हाल ही में भारत के सबसे बड़े मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स में से एक IIM अहमदाबाद से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक स्टूडेंट को ChatGPT की मदद से तैयार किए गए प्रोजेक्ट के लिए A+ ग्रेड मिला। इस मामले के बाद एजुकेशन वर्ल्ड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में नई बहस शुरू हो गई है कि क्या AI अब केवल एक हेल्पिंग टूल है या फिर यह स्टूडेंट्स की सोच और लिखन की शैली पर भी असर डाल रहा है।

IIM स्टूडेंट ने अपने कोर्स से जुड़े एक प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसमें सबजेक्ट था, ‘द रोल ऑफ AI इन द अंत्रपन्योरशिप एंड डिजिटल इनोवेशन’। प्रोजेक्ट को तैयार करने के दौरान उसने ChatGPT की मदद ली, जिससे ना केवल अपनी बातों और जानकारी को बेहतर ढंग से पेश करने में मदद मिली, बल्कि डाटा एनालिसिस, प्रेजेंटेशन का तरीका और फॉर्मेशन भी कहीं बेहतर ढंग से हुआ।

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स्टूडेंट ने खुद किया खुलासा

प्रोफेसर्स ने बताया कि सबमिट किया गया प्रोजेक्ट हाई-लेवल की एनालिटिकल एबिलिटी, बेहतर स्ट्रक्चर और क्लियर एक्सप्रेशन का बेहतरीन उदाहरण था, जिससे यह A+ ग्रेड पाने में सफल रहा। बाद में जब स्टूडेंट ने स्वीकार किया कि उसने ChatGPT की मदद ली थी, तब टीजर्स और स्टूडेंट्स के बीच एक नई चर्चा शुरू हो गई कि AI के इस्तेमाल की सीमा क्या होनी चाहिए?

कुछ लोगों का मानना है कि AI एक टूल की तरह है, जैसे पहले के समय में किताबें, गूगल सर्च या एक्सेल शीट्स वगैरह हुआ करते थे। अगर इसका इस्तेमाल जानकारी जुटाने, सोचने और बेहतर ढंग से पेश करने के लिए हो रहा है, तो यह एक अच्छा बदलाव है। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स को चिंता है कि इससे स्टूडेंट्स की ओरिजनल सोच और लिखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

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बता दें, IIM अहमदाबाद जैसे इंस्टीट्यूट्स अब इस दिशा में नियम बना रहे हैं, जिससे AI का इस्तेमाल पारदर्शिता से हो और सीमाओं के भीतर हो सके।

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