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Last Updated:May 01, 2025, 18:44 IST

Elephant Have No Cancer: क्या आपको पता है कि धरती के सबसे बड़े जानवर हाथी को कैंसर नहीं होता. इसकी क्या वजह आप जानना चाहेंगे. यहां जान लीजिए इसका कारण.

हाथी में कैंसर के खिलाफ क्या है.

हाइलाइट्स

  • हाथी का शरीर इंसानों की तुलना में कई गुना ज्यादा है लेकिन उसे कैंसर नहीं होता
  • हाथी का शरीर समय के साथ कैंसर के खिलाफ खुद में प्रतिरोधक विकसित कर लिया
  • इंसानों को हाथी के जीनोम से सीखना चाहिए.

Elephant Have No Cancer: समंदर में व्हेल बेशक सबसे बड़ा जीव है लेकिन धरती के इतिहास का सबसे बड़ा जानवर है हाथी. हाथी की औसत उम्र करीब-करीब हमारे जितनी ही होती है. लेकिन इतना बड़ा जानवर होने के बावजूद हाथी को रेयर ही कोई बीमारी होती है. यहां तक कि कैंसर भी न के बराबर होती है. यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि इंसान के मुकाबले हाथी में करोड़ों गुना ज्यादा कोशिकाएं हैं और कोशिकाएं में डीएनए की खराबी हमेशा होती रहती है. डीएनए की खराबी जब बड़े पैमाने पर होने लगती है तो यह कैंसर की बीमारी में बदल जाती है लेकिन हाथी में डीएनए की खराबी ज्यादा होती ही नहीं है. इसी वजह से हाथी में रेयर ही कैंसर के मामले देखे जाते हैं. डीएनए में खराबी नहीं होने की वजह है हाथी में एक दुर्लभ जीन.

p53 जीन के 20 कॉपी हाथी के लिए प्राण
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सहित कई संस्थानों द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि हाथी में p53 जीन के 20 कॉपी होती है जबकि इंसान में यह सिर्फ एक होती है. यह जीन डीएनए की खराबी को तुरंत ठीक कर देता है लेकिन इंसानों में इतने स्तर पर ये जीन होते ही नहीं है. वास्तव में जीव में कोशिकाएं खुद की हूबहू कॉपी बनाती रहती है. जब कॉपी बन जाती है तो यह पुरानी कोशिकाओं की जगह ले लेती है और पुरानी कोशिकाएं शरीर से बाहर कर दी जाती है. नई कोशिकाएं ठीक पुरानी कोशिकाएं की तरह होती है तो इसमें सब कुछ बैलेंस रहता है लेकिन अगर इसमें रत्ती भर भी परिवर्तन हुआ तो म्यूटेशन शुरू हो जाता है. हालांकि इन नई कोशिकाओं में गड़बड़ियों होती रहती है लेकिन हमारे शरीर का सिस्टम इस तरह से होता है कि इसकी मरम्मत भी करता रहता है. लेकिन जब बड़े पैमाने पर यह म्यूटेशन होने लगे तो ऐसे म्यूटेशन वाली कोशिकाएं एकत्र होकर ट्यूमर बना लेती है. यही कैंसर कोशिकाएं में बदल जाती है.

हाथी कैसे इस म्यूटेशन को रोक देता है
अगर हम विषैले पदार्थों का ज्यादा सेवन करें, ज्यादा तनाव लें, खराब जीवनशैली अपनाएं तो ये सभी कारक म्यूटेशन की दर को बढ़ा सकते हैं. इस तरह इंसानों में कैंसर की दर बढ़ सकती है लेकिन इंसानों के विपरीत, हाथी इस प्रवृत्ति को चुनौती देते हैं. हालांकि हाथियों का शरीर बहुत बड़ा होता है और उनकी औसत आयु भी इंसानों के बराबर होती है, फिर भी हाथियों में कैंसर से मृत्यु दर 5% से भी कम आंकी गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि हाथियों में कैंसर के प्रति उनकी अत्यधिक प्रतिरोधक क्षमता का कारण उनके पास पाए जाने वाले p53 जीन की 20 कॉपियां हैं. इसे “जीनोम का रक्षक” कहा जाता है. यानी गार्जियन ऑफ जीनोम. ये जीन अन्य स्तनधारियों में केवल एक होता है. ये जीन तेजी से डीएनए की मरम्मत कर देते हैं.

इंसान को क्या सीखना चाहिए
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञान विभाग के प्रोफेसर और सेव द एलिफेंट्स संस्था के ट्रस्टी फ्रिट्ज वोलराथ ने कहा यह जटिल और रोचक अध्ययन दर्शाता है कि हाथी केवल उनके विशाल आकार के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी जैविक विशेषताओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. हमें इन अद्वितीय जीवों को न केवल संरक्षित करना चाहिए बल्कि बारीकी से अध्ययन भी करना चाहिए. आखिरकार, उनका आनुवंशिकी और शरीर विज्ञान न केवल उनके विकासवादी इतिहास से जुड़ा है बल्कि आज के पर्यावरण, आहार और व्यवहार से भी. जब डीएनए को क्षति होती है, तो यह प्रोटीन सक्रिय हो जाता है और कोशिका की कॉपी प्रक्रिया को रोक कर सुधार की प्रक्रिया आरंभ करता है. यदि प्रतिलिपि की गई कोशिकाओं का डीएनए क्षतिग्रस्त नहीं है, तो p53 की मरम्मत गतिविधि की कोई आवश्यकता नहीं होती, और तब इसे MDM2 E3 युबिक्विटिन लिगेस नामक एक अन्य प्रोटीन निष्क्रिय कर देता है, जो एक ऑनकोजीन (कैंसर से जुड़ा जीन) है. इसलिए हमें अपने अध्ययन में यह जानने की कोशिश करना चाहिए कि आखिर हाथी में इतने सारे जीन बने कैसे.

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General Knowledge: क्या आपको पता है कि हाथी को कैंसर क्यों नहीं होता

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