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हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय बच्चन, हिंदी साहित्य के महान कवि थे। जिन्हें मेगास्टार अमिताभ बच्चन के पिता के रूप में भी लोग जानते हैं, लेकिन आज भी उनकी गिनती हिंदी साहित्य के सबसे लोकप्रिय कवियों में होती है। सरल भाषा और गहरे विचारों के कारण की रचनाएं और कविताएं पाठकों के दिलों में बसती है। हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को एक कायस्थ परिवार में हुआ और 18 जनवरी 2003 को सांस की बीमारी के कारण, मुंबई में निधन हो गया था। वह पिता प्रताप नारायण श्रीवास्तव और मां सरस्वती देवी के बड़े बेटे थे। हरिवंश राय बच्चन वो कवि और लेखक थे, जिनका हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान था।

यहां ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार विजेता की कुछ प्रसिद्ध कविताएं हैं-

1. मधुशाला

मदिरालय जाने को घर से

चलता है पीने वाला
किस रास्ते से जाऊं?
असमंजस में है कौन भोला-भाला
अलग-अलग पथ बतलाते सब,
पर मैं ये बतलाता हूं-
राह पकड़ तू एक चला चल,
पा जाएगा मधुशाला

2. अग्निपथ

तू ना थकेगा कभी,
तू ना थमेगा कभी,
तू ना मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ
रुके ना तू
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरण सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रूके ना तू, थके ना तू
झुके ना तू, थमे ना तू

3. विश्व सारा सो रहा है

हैं विचारते स्वान सुंदर,
किंतु इनका संग तजकर,
व्योमव्यापि शून्यता का
कौन साथी हो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है

4. जो बीत गई सो बात गई है

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

5. न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूं

मगर यामिनी बीच में ढल रही है।
दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे,
वही आ गए ठीक ऊपर हमारे,
क्षितिज पश्चिमी है बुलाता उन्हें अब,
न रोके रुकेंगे हमारे-तुम्हारे।
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूं

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