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चीन से आए एचएमपीवी वायरस ने भारत के लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। वैसे तो आइसीएमआर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ने से लोग डरे हुए हैं। इस वायरस में श्वसन प्रणाली पर असर होता है जिससे हल्के से गंभीर लक्षण होते हैं। इसके सामान्य लक्षण बुखार, थकान, खांसी, कंजेशन और सांस लेने में मुश्किल हैं। कुछ रिपोर्ट्स हैं कि इससे किडनी पर असर हो सकता है, ऐसे में आइए एक्सपर्ट से जानते हैं उनकी सलाह।
क्या एचएमपीवी किडनी से किडनी को खतरा हो सकता है?
एचएमपीवी श्वसन प्रणाली को टार्गेट करता है। हालांकि, रिपोर्ट्स कहती हैं कि कई वायरल संक्रमणों की तरह गंभीर मामलों में इसका असर अंगों पर भी पड़ सकता है। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. बी विजय किरण ने एचटी से बातचीत कर बताया की एक स्टडी से एचएमपीवी और किडनी हेल्थ के बीच संबंध का पता चला है। अस्पताल में भर्ती बच्चों पर एक अध्ययन में पाया गया कि एचएमपीवी संक्रमण एक्यूट किडनी इंजरी से जुड़ा हो सकता है। स्टडी से पता चलता है कि ये खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। लेकिन एक्यूट किडनी इंजरी का श्वसन संबंधी समस्या से कोई डायरेक्ट संबंध नहीं हो सकता है।
एचएमपीवी का पता कैसे लगाया जाता है?
एचएमपीवी के लक्षण दूसरी सांस संबंधी संक्रमणों से मिलते-जुलते हैं। हालांकि, कुछ टेस्टिंग से इस वायरस का पता लगाया जा सकता है।
एचएमपीवी पीसीआर टेस्ट- यह मोलिक्यूलर टेस्ट है जिससे वायरस का पता लगाया जा सकता है और इसे एचएमपीवी का पता लगाने के लिए बेस्ट माना जाता है।
रैपिड एंटीजन टेस्ट- फटाफट रिजल्ट पाने के लिए ये टेस्ट सही है। लेकिन ये पीसीआर टेस्ट की तुलना में कम संवेदनशील होते हैं।
ब्रोंकोस्कोपी- इस टेस्ट को फेफड़ों के वायुमार्ग में परिवर्तन देखने के लिए किया जाता है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी सवाल के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।
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