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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा करते हुए कहा है कि वह अगले आम चुनावों में भाग नहीं लेंगे। कनाडा में आम चुनाव इस साल अक्टूबर में होने वाले हैं लेकिन यह तय समय से पहले भी हो सकते हैं। ओटावा में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रूडो ने कहा, “मैं आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं लूंगा। यह मेरा अपना फैसला है।” यह बयान उस समय आया है जब ट्रूडो कनाडाई प्रांतों के प्रमुखों के साथ अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सामंजस्य स्थापित करने की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। 53 वर्षीय ट्रूडो ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता जाहिर की और कहा, “भविष्य में मैं क्या करूंगा, इसके बारे में मैंने अभी तक ज्यादा नहीं सोचा है। फिलहाल, मैं उन कामों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, जिनके लिए कनाडाई नागरिकों ने मुझे चुना है।”

2015 में सत्ता में आए थे ट्रूडो

जस्टिन ट्रूडो पहली बार 2008 में क्यूबेक के पापिनो निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद, उन्होंने 2015 में जबरदस्त जीत के साथ प्रधानमंत्री पद संभाला, जिसमें उनकी लिबरल पार्टी ने 338 में से 184 सीटें जीती थीं। हालांकि, 2019 और 2021 के चुनावों में वह बहुमत हासिल नहीं कर सके।

नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया

6 जनवरी को ट्रूडो ने घोषणा की थी कि लिबरल पार्टी का नया नेता चुने जाने के बाद वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। पार्टी के नेतृत्व चुनाव की प्रक्रिया 9 मार्च को समाप्त होगी और नए नेता के चयन के साथ ट्रूडो की जगह कोई और प्रधानमंत्री पद संभालेगा।

नेतृत्व की दौड़ में शामिल होने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को 23 जनवरी तक आवेदन करना होगा। प्रमुख दावेदारों में पूर्व बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर मार्क कार्नी और पूर्व उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के नाम शामिल हैं। कार्नी गुरुवार को एडमंटन में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर सकते हैं, जबकि फ्रीलैंड 20 जनवरी तक अपने इरादे स्पष्ट कर सकती हैं।

पार्टी के भीतर असंतोष

2024 के अंत तक, ट्रूडो को पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ा। 16 दिसंबर को वित्त मंत्री के पद से क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे ने पार्टी में अस्थिरता को और बढ़ा दिया। इसके बाद लगभग 100 सांसदों ने ट्रूडो के जल्द इस्तीफे की मांग की। अंततः, ट्रूडो को पद छोड़ने की घोषणा करनी पड़ी।

नए नेताओं के नाम पर चर्चा

अब तक औपचारिक रूप से जिन नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है, उनमें इंडो-कनाडाई सांसद चंद्र आर्या शामिल हैं। हालांकि, संभावित प्रमुख उम्मीदवारों जैसे विदेश मंत्री मेलानी जोली, डोमिनिक लेब्लांक, फ्रांस्वा-फिलिप शांपेन और रक्षा मंत्री अनिता आनंद ने नेतृत्व की दौड़ में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

लिबरल पार्टी हाल के महीनों में 20 प्रतिशत से भी कम समर्थन स्तर पर है। वह विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से करीब 25 प्रतिशत अंकों से पीछे चल रही है। ट्रूडो का यह फैसला कनाडा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाएगा, जहां लिबरल पार्टी को नए नेतृत्व के साथ नई दिशा में आगे बढ़ने की चुनौती होगी।

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