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अमेरिका में ट्रम्प ने अपने शासन के पहले दिन जो किया वो बेमिसाल है। कार्यभार संभालते ही ट्रम्प ने दो घंटे में सौ से ज्यादा आदेश जारी किए। एक-एक आदेश चौंकाने वाला है। हर आदेश ऐसा, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। ट्रम्प के ओवल ऑफिस में पहुंचते ही मेक्सिको सीमा पर नेशनल गार्ड्स तैनात हो गई। गैरकानूनी प्रवेश को रोकने के लिए सीमा को सील कर दिया गया।
ट्रम्प ने कहा है कि जल्दी अमेरिका में इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन प्रोग्राम शुरू होगा। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे दूसरे देशों के नागरिकों को वापस भेजा जाएगा। ब्लूमबर्ग एजेंसी ने दावा किया है कि ट्रम्प प्रशासन ने 18 हजार भारतीयों की सूची तैयार कर ली है जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं। अब इन्हें वापस भारत भेजने की तैयारी हो रही है।
ट्रम्प ने कुछ और बड़े फैसले किए हैं। जैसे अब अमेरिकी सरज़मीं पर जन्म लेने पर नवजात को स्वत: नागरिकता नहीं मिलेगी। अभी तक अमेरिका में रह रहे विदेशी लोगों के जिन बच्चों का जन्म अमेरिका में होता है, उन्हें अमेरिका का नागरिक माना जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ट्रम्प ने ये अधिकार खत्म कर दिया। ट्रम्प ने अमेरिका की फेडरल एजेंसियों को आदेश दिया है कि वो किसी अप्रवासी या फिर वर्क वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे शख़्स के बच्चे की अमेरिकी नागरिकता की अर्ज़ी को मंज़ूर न करें। एजेंसियों को ट्रम्प ने अपने इस आदेश का पालन करने के लिए एक महीने का वक़्त दिया है। इसका असर लाखों लोगों पर पड़ सकता है। ट्रम्प के इस आदेश को आगे चलकर अदालतों में चुनौती दिए जाने की आशंका है। लेकिन, ट्रम्प ने कहा कि उनका आदेश पूरी तरह से क़ानूनी है और वो अदालतों का सामना करने के लिए तैयार हैं।
ट्रम्प ने एक बार फिर अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से अलग कर लिया है। 2015 में दुनिया के तमाम देशों ने ये समझौता किया था जिसके तहत ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और कार्बन एमिशन को कम करना था। लेकिन ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। चूंकि धरती के वायुमंडल को प्रदूषित करने वाली सबसे ज़्यादा गैसों का उत्सर्जन अमेरिका करता है, इसलिए, अमेरिका के पेरिस डील से बाहर होने पर ग्लोबल वॉर्मिंग होगी, धरती का तापमान और तेज़ी से बढ़ेगा।
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल का एक और फ़ैसला दोहराते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अलग होने का ऐलान किया है। 196 सदस्य देशों वाला WHO दुनिया भर में हेल्थ इमरजेंसी से निपटने के लिए काम करता है। WHO को सबसे ज़्यादा 20 परसेंट धन अमेरिका देता है। अमेरिका WHO को 50 करोड़ डॉलर देता है, वहीं चीन केवल 3.9 करोड़ डॉलर देता है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने साबित कर दिया कि वो जो कहते हैं, वही करते हैं और जो करते हैं, उसे पहले ही साफ-साफ कह देते हैं। White House में काम संभालने के पहले ही दिन 100 ऑर्डर पहले कभी किसी राष्ट्रपति ने जारी नहीं किए। ट्रम्प ने जो किया, वो अमेरिका के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। सोमवार की रात जब मैंने ट्रम्प का भाषण सुना तो उनके तेवर देखकर अंदाज़ा हो गया था कि वो पूरी दुनिया में खलबली मचाने वाले हैं। जिस अंदाज़ में ट्रम्प ने जो बाइडन और कमला हैरिस के सामने पिछली सरकार की धुलाई की, वो चौंकाने वाला था। जब ट्रम्प अमेरिका की पिछली सरकार को निकम्मा बता रहे थे, उनकी नालायकी का बखान कर रहे थे तो बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के चेहरे देखने वाले थे।
ट्रम्प ने जो फैसले लिए, उनमें सबसे बड़ा फैसला अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से रह रहे लोगों को बाहर निकालने का है। अब एक करोड़ से ज्यादा इल्लीगल इमीग्रेंट्स को वापस उन मुल्कों में भेजा जाएगा, जहां से वो आए थे। ये कई सालों से अमेरिका की एक बड़ी समस्या रही है, पर आज तक किसी राष्ट्रपति ने इन्हें देश निकाला देने की हिम्मत नहीं की क्योंकि एक करोड़ लोगों की पहचान करना, उन्हें वापस भेजना एक बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन ट्रम्प जब ठान लेते हैं तो फिर दुनिया की कोई ताकत उनको रोक नहीं सकती।
ट्रम्प ने जो फैसले किए उसमें दूसरी बड़ी बात अमेरिका के व्यापार, वाणिज्य को लेकर है। इन मामलों में अमेरिका के हर फैसले का असर पूरी दुनिया पर दिखाई देगा। सबसे ज्यादा दबाव चीन पर पड़ेगा। ट्रम्प की नज़र हर उस व्यापार पर है, जिस पर चीन का कब्जा है। लेकिन ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कह दिया था कि वो विश्व व्यापार में अमेरिका के पुराने गौरव को वापस लाएंगे और चीन के वर्चस्व को खत्म करेंगे। उन्होंने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।
ट्रम्प की नई नीतियों को देखते हुए भारत को भी अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी। भारत इस समय दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और अमेरिका के व्यापार से जुड़े हर फैसले का असर भारत पर भी पड़ेगा। ये असर कितना होगा, ये अभी कुछ दिन बाद पता चलेगा। (रजत शर्मा)
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