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मुंबई: शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह संविधान के निर्माता नहीं हैं। बता दें कि मोहन भागवत ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि भारत की सच्ची स्वतंत्रता की प्रतिष्ठा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन हुई थी। भागवत के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा कि RSS के सरसंघचालक सम्मानीय व्यक्ति जरूर हैं लेकिन वह संविधान के निर्माता नहीं हैं और न ही वह देश के कानून बनाएंगे या बदलेंगे।
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‘मंदिर बनाने में सभी का बलिदान रहा’
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा, ‘आरएसएस के सरसंघचालक यह सम्मानीय व्यक्ति हैं, लेकिन वह संविधान के निर्माता नहीं हैं। वह देश के कानून नहीं बनाएंगे और न ही बदलेंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देश के लिए प्रतिष्ठा की बात रही है और मंदिर बनाने में सभी का साथ रहा है, सभी का बलिदान रहा है। उन्होंने कहा कि देश स्वतंत्र हो गया, यह गलत बात है। रामलला इस देश में हजारों-लाखों साल से हैं और रामलला के लिए पहले भी हमने आंदोलन किए हैं और करते रहेंगे। लेकिन आप राम लला के नाम पर राजनीति मत करिए, तभी देश सही मायने में स्वतंत्र होगा।’
‘…तो विपक्ष जिंदा नहीं रहेगा’
I.N.D.I.A. ब्लॉक में कथित मतभेद के बाद इसके खात्मे की खबरों पर राउत ने कहा, ‘इंडिया अलायंस सर्वाइव क्यों नहीं करेगा? अगर इंडिया अलायंस को जिंदा नहीं रखा गया, तो विपक्ष भी जिंदा नहीं रहेगा, ये तानाशाह लोग हैं। जैसा हमने कहा, यह बात सही है कि इंडिया अलायंस लोकसभा चुनाव के लिए ही बनाया गया था, लेकिन उसे बचाए रखना देश के लिए जरूरी है, लोकतंत्र की जरूरत है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों को लगता है कि वहां उनकी ताकत है, इसलिए वे लड़ रहे हैं। अगर दोनों वहां बैठकर चर्चा करते और कुछ हल निकालते, तो हमें आनंद मिलता।’
निकाय चुनावों पर क्या बोले राउत?
निकाय चुनाव गठबंधन से अलग लड़ने के सवाल पर राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र में लोकल चुनाव कार्यकर्ताओं के चुनाव होते हैं, वहां हमें एलायंस करना मुश्किल होता है, लेकिन विधानसभा और लोकसभा में हमारा अलायंस रहेगा। जिस तरह से खबरें आ रही हैं कि इंडिया अलायंस टूट गया, महा विकास आघाड़ी टूट गई, यह गलत है। सभी को कुछ न कुछ कंप्रोमाइज करना पड़ता है। जब हम एनडीए में थे, तब हम कहते थे कि बीजेपी बड़ी पार्टी है, और बड़ी पार्टी होने की वजह से सभी को एक साथ लाने की जिम्मेदारी बीजेपी की होती है। वैसे ही कांग्रेस पार्टी इंडिया अलायंस की बड़ी पार्टी है, तो सबको एक साथ लेकर लीडरशिप करने की जिम्मेदारी कांग्रेस की होनी चाहिए।’
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