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इसरो का स्पेडेक्स मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को स्पेडेक्स मिशन (SpaDeX Mission) के तहत अंतरिक्ष में दो सेटेलाइट्स की डॉकिंग का चौथा प्रयास सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। इसरो के मुताबिक, वैज्ञानिकों को इस प्रयास में कामयाबी मिल गई है। अभी डाटा एनालिसिस किया जा रहा है। इसके बाद इस बात का ऐलान किया जाएगा।

इससे पहले इसरो ने 12 जनवरी को जानकारी दी थी कि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट अपने लक्ष्य के बिल्कुल करीब पहुंचने के बाद भी मिशन को पूरा नहीं कर पाया। ISRO ने बताया था कि दोनों सैटेलाइट्स की दूरी को 15 मीटर से 3 मीटर तक लाने की कोशिश सफल रही, जिसके बाद दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से दूर कर दिया गया। इसरो ने बताया था कि अब डाटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग की कोशिश की जाएगी। 12 जनवरी को डॉकिंग की तीसरी कोशिश थी। उससे पहले भी डॉकिंग प्रक्रिया को दो बार टालना पड़ा था।

डॉकिंग की प्रक्रिया

  • स्पेस डॉकिंग में दो सैटेलाइट्स एक-दूसरे के करीब आते हैं और एक साथ जुड़ जाते हैं।
  • यह एक जटिल तकनीकी प्रक्रिया है, जिसे अंतरिक्ष अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है।
  • डॉकिंग का मकसद 2 उपग्रहों को एक-दूसरे से जोड़कर डेटा शेयर करना, पावर सोर्सेज को जोड़ना या किसी विशेष मिशन को अंजाम देना होता है।
  • स्पेस डॉकिंग के दौरान एक अंतरिक्षयान को दूसरे यान के पास लाकर उसे नियंत्रित तरीके से जोड़ना पड़ता है, ताकि कोई नुकसान न हो।

SpaDeX मिशन क्या है?

  • SpaDeX मिशन में दो सेटेलाइट्स हैं। पहला चेसर और दूसरा टारगेट।
  • चेसर सैटेलाइट को टारगेट को पकड़कर डॉकिंग करना था।
  • हर एक सेटेलाइट का वजन करीब 220 किलो है। 
  • इन सेटेलाइट्स को रॉकेट पीएसएलवी-सी60 के जरिए लॉन्च किया गया।
  • ISRO ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे इस मिशन को लॉन्च किया था। 
  • इसके तहत PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर तैनात किए गए थे।

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