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रूस ने भारत को अफगानिस्तान पर केंद्रित क्वॉड समूह में शामिल करने की अपील की है। इस समूह में अभी चीन, पाकिस्तान, ईरान और रूस शामिल हैं। मंगलवार (14 जनवरी) को एक प्रेस ब्रीफिंग में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, “एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के भीतर विश्वास को मजबूत करना और वर्तमान अफगानिस्तान प्रारूप (रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान) में भारत को शामिल करना सही कदम होगा।”

अफगानिस्तान क्वाड की पिछली बैठक

अफगानिस्तान क्वॉड की पिछली बैठक नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान विदेश मंत्रियों के स्तर पर हुई थी। बैठक में ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी रक्षा मंत्री मुहम्मद आसिफ शामिल हुए थे। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में अफगानिस्तान की “राष्ट्रीय संप्रभुता, राजनीतिक स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता” के समर्थन का आह्वान किया गया था।

आतंकवाद पर चिंता

बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। संयुक्त बयान में अफगानिस्तान से जुड़े सुरक्षा हालात और आतंकवाद की समस्या पर विशेष ध्यान दिया गया। WION की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लावरोव ने पाकिस्तान को “आतंकवाद का शिकार” बताया और कहा कि इस्लामाबाद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अपने अफगान पड़ोसियों, भारत और एससीओ के सभी सदस्यों के साथ मिलकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “मध्य एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान का इस्तेमाल ‘बुरे लोग’ अपने आपराधिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं।”

एससीओ की अफगानिस्तान संपर्क समूह की स्थिति

एससीओ के पास पहले अफगानिस्तान संपर्क समूह था, जिसमें भारत भी शामिल था, लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह समूह निष्क्रिय हो गया। लावरोव की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब नई दिल्ली ने काबुल में तालिबान सरकार के साथ अपनी सहभागिता बढ़ाई है।

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भारत की अफगानिस्तान नीति

जनवरी 2025 की शुरुआत में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी ने दुबई में मुलाकात की। इस दौरान चाबहार पोर्ट और भारतीय मानवीय सहायता जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। भारत ने 2022 में काबुल में एक “तकनीकी कार्यालय” स्थापित किया था और तब से तालिबान सरकार के साथ संपर्क बनाए रखा है, हालांकि भारत ने तालिबान को अब तक आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। 2018 में मॉस्को प्रारूप के तहत भारत ने पहली बार “गैर-आधिकारिक स्तर” पर तालिबान के साथ बातचीत की थी। रूस द्वारा भारत को अफगानिस्तान क्वाड में शामिल करने का यह प्रस्ताव क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ समन्वय को और मजबूत कर सकता है।

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