Source :- NEWSTRACK LIVE
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 400 से अधिक स्कूलों में बम की झूठी धमकी भेजने वाले एक नाबालिग को पकड़ा है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस बच्चे ने कई तकनीकी उपायों का इस्तेमाल कर यह हरकत की। पुलिस को शक है कि इसके पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है और बच्चा किसी के बहकावे में आकर काम कर रहा हो। पुलिस का कहना है कि बच्चे का परिवार एक एनजीओ से जुड़ा हुआ है, जो पहले भी विवादों में रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह वही एनजीओ है जिसने अफजल गुरु की फांसी का विरोध किया था। पुलिस अब इस एंगल से जांच कर रही है कि क्या इस नाबालिग का इस्तेमाल कानून व्यवस्था बिगाड़ने या किसी गहरी साजिश को अंजाम देने के लिए किया गया है। स्पेशल सीपी मधुप तिवारी ने बताया कि 12 फरवरी 2024 से दिल्ली के विभिन्न स्कूलों को धमकी भरे ईमेल्स मिल रहे थे। इन मेल्स के कारण कई स्कूलों को अपने एग्जाम और टेस्ट कैंसिल करने पड़े। शुरुआती जांच में ऐसा लगा था कि मेल्स के पीछे कोई आतंकी संगठन हो सकता है, क्योंकि इन्हें एडवांस तकनीक और VPN के जरिए भेजा गया था और एक बच्चे के लिए ये सब करना इतना आसान नहीं है।
8 जनवरी 2025 को आए अंतिम ईमेल से पुलिस ने मेल भेजने वाले की पहचान की। जांच में पता चला कि मेल्स एक नाबालिग ने भेजे थे। उसके लैपटॉप की फोरेंसिक जांच से खुलासा हुआ कि उसने 400 से अधिक ईमेल्स भेजी थीं। पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि इतनी तकनीकी समझ वाला एक बच्चा यह सब कैसे कर सकता है। जांच में सामने आया कि बच्चे का परिवार एक NGO से जुड़ा है, जो एक कथित सेक्युलर राजनीतिक पार्टी के लिए काम करता है। यह वही NGO है जिसने संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरु की फांसी का विरोध किया था। वैसे देखा जाए तो, दिल्ली की मौजूदा सीएम आतिशी मार्लेना के माता-पिता ने भी इस आतंकी की फांसी का विरोध किया था, तो क्या ये बच्चा AAP समर्थित NGO से जुड़ा है, जो दिल्ली के ही स्कूलों को उड़ाने की धमकी दे रहा है ? या क्या इसके पीछे जिस राजनितिक पार्टी के होने के संकेत मिल रहे हैं, वो AAP ही है ? क्योंकि इस समय दिल्ली में चुनावी माहौल है और राजनितिक लाभ-हानि के लिए माहौल बनाने-बिगाड़ने का खेल भारत में बहुत पुराना है।
बहरहाल, पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस एनजीओ ने बच्चे को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया या इसका इस्तेमाल किसी बड़ी साजिश के तहत किया गया। यह घटना केवल एक मामला नहीं है, बल्कि एक खतरनाक ट्रेंड की ओर इशारा करती है। बीते कुछ सालों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां बच्चों का इस्तेमाल धमकी भरे कामों के लिए किया गया। नाबालिग होने के कारण न तो उनकी पहचान उजागर होती है और न ही उन्हें कठोर सजा मिलती है। अधिकतर मामलों में उन्हें केवल समझाकर छोड़ दिया जाता है।
यह सवाल उठता है कि क्या आतंकी और देशविरोधी तत्व अब बच्चों को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं? बच्चे कानून के शिकंजे से आसानी से बच सकते हैं और इन तत्वों का काम भी पूरा हो जाता है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर गंभीरता से विचार करने और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। दिल्ली पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि धमकी भरे ईमेल्स भेजने का असली मकसद क्या था। कई मेल्स ऐसे समय भेजे गए, जब स्कूलों में एग्जाम नहीं हो रहे थे। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इन मेल्स का मकसद केवल डर फैलाना था या इसके पीछे कोई अन्य बड़ा एजेंडा छिपा हुआ है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल करने वाले तत्व कितने खतरनाक हो सकते हैं। इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना वक्त की मांग है।
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