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रतन टाटा के देहांत के पश्चात कई तरह की ख़बरें और अफवाहें भी सामने आने लगी है. अब उनकी जीवनी में भी एक बड़ा खुलासा हुआ है, इसमें कई तरह के दिग्गजों ने भी दावें किए है साइरस मिस्‍त्री टाटा ग्रुप का तोड़ना चाह रहे थे. इतना ही नहीं रतन टाटा की जीवनी के लेखक थॉमस मैथ्यू ने मुताबिक, जब रतन टाटा से प्रश्न किया गया कि क्या वह टाटा समूह के कुछ दिग्गजों की आशंकाओं से एग्री करते है, जिनको भी लगता था कि साइरस मिस्त्री ग्रुप को तोड़ने का प्रयास कर रहे है, तो उन्होंने इस बारें में कोई भी जवाब नहीं दिया.

थॉमस मैथ्‍यू ने इस बारें में लिखते हुए कहा है कि “रतन टाटा ने वर्ष 2012 में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दिवंगत मिस्त्री का पूरा समर्थन किया था, हालांकि उस साल के बाद ही इनके विचार बदल गए थे. साल 2016 में उन्‍हें रतन टाटा के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था.” बिजनेसमैन की जीवनी ‘Ratan Tata A Life’ में टाटा ग्रुप के कुछ दिग्गजों का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्हें आशंका है कि मिस्त्री नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार वाले ग्रुप को तोड़ने का निरंतर प्रयास कर रहे है. और ये आशंका किसी और खिलाफ नहीं बल्कि साइरस मिस्त्री के बारें थी. 

साइरस मिस्‍त्री पर क्यों लगाया था आरोप?: टाटा ग्रुप के दिग्गजों की माने तो , थॉमस मैथ्यू ने इस बारें में जानकारी दी है कि जिस तरह से SP ग्रुप शेयर को जमा कर दिया था, उससे टाटा ग्रुप बहुत ही ज्यादा नाराज थे, उन्होंने इसमें आगे कहा है कि ”इसे हल्के ढंग से कहें तो और वे बहुत असहज थे… (एक) गुप्त तरीके से, एसपी ग्रुप ने कमजोर परिवार के सदस्यों का फायदा उठाते हुए शेयर हासिल किए. उन्‍होंने कहा कि ऐसा मैं नहीं कह रहा, बल्कि यह सब टाटा के दिग्गज कहते हैं.”

रतन टाटा की जीवनी में इस बारें में साफ़ तौर पर लिखा गया है कि ”SP ग्रुप ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ाकर लगभग 18 प्रतिशत कर ली थी और कंपनी के शेयर खरीद लिए थे, जो जेआरडी ने अपने भाई-बहनों को दिए थे.” इस बारें में थॉमस मैथ्यू ने आगे कहा  “अब दूसरा सहायक कथन यह है कि जब रतन टाटा, टाटा संस के अध्यक्ष थे, तो टाटा संस के निदेशक टाटा की अन्‍य बड़ी कंपनियों में भी निदेशक थे. लगभग 15-20 डायरेक्‍टर पद थे, जिनमें ये लोग टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और टाटा कंपनियों के बीच एक कड़ी के तौर पर रहते थे. लेकिन साइरस मिस्‍त्री के समय ऐसा नहीं था. वास्तव में, वे दो लोगों को छोड़कर, लगभग विशेष रूप से सबसे बड़ी (टाटा) कंपनियों (बोर्ड) में थे. इस कारण दिग्‍गजों ने कहा कि प्रमुख कंपनियों के बोर्ड से उन्‍हें बाहर करना भी अच्‍छा संकेत नहीं था. ”

इस मामले में रतन टाटा का मानना क्या था?: खबरों का कहना है कि जब उनसे इस बारें में बात की गई कि क्या  टाटा दिग्गजों की तरह ही उन्हें भी आशंकाएं हुई हैं, तो उन्होंने इस बारें में बोला था कि ‘रतन टाटा बहुत ही मितभाषी इंसान थे, वे बहुत ही दयालु किस्म इंसान थे. वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते थे. लेकिन मेरे लिए, उनकी कोई टिप्पणी न करना किसी टिप्पणी से भी अधिक है. हालांकि, मैथ्यू ने जोर देकर कहा कि 2016 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में मिस्त्री को हटाना एक नैतिक और नैतिक मुद्दे के कारण था, और दूसरा प्रदर्शन का मुद्दा था. ”

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